सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु हमेशा ही विवादों के घेरे में रही है. लोगों को भी समझ नहीं आया कि आखिरकार बोस कहां गायब हो गए.
18 अगस्त, 1945 को नेताजी के एक विमान हादसे में गायब हो जाने के बाद से अक्सर ये खबरें आती रहीं कि उनकी मौत हो गई है. फिर ये भी कहा गया कि वो जिंदा हैं. पर ये गुत्थी कभी सुलझ नहीं सकी.
ये बात उस समय फिर उछली थी, जब पंडित जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयालक्ष्मी पंडित ने मीडिया में एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि मेरे पास ऐसी खबर है कि हिंदुस्तान में तहलका मच जाएगा. शायद आज़ादी से भी बड़ी खबर. पर नेहरू ने उनको मना कर दिया कुछ भी कहने से.
उस समय उनकी बात को इसलिए इस मुद्दे से जोड़कर देखा गया था क्योंकि विजया उस समय रूस में बतौर इंडियन अंबेसडर नियुक्त थीं. कहा जाता है कि उन्होंने सुभाष चंद्र बोस को रूस में देखा भी था. मॉस्को में रामकृष्ण मिशन के मुखिया स्वामी ज्योतिरूपानंद ने भी कुछ समय पहले कहा था कि एक बार विजया को रूसी अधिकारी ले गए थे सुभाष के पास. एक छेद से दिखाया गया था सुभाष को. विजया ने इसकी जानकारी तत्कालीन सरकार को दी थी, पर इस मामले में कुछ भी नहीं किया गया.
क्यों है मौत पर विवाद
तथ्यों के मुताबिक 18 अगस्त, 1945 को नेताजी हवाई जहाज से मंचुरिया जा रहे थे और इसी हवाई सफर के बाद वो लापता हो गए. हालांकि, जापान की एक संस्था ने उसी साल 23 अगस्त को ये खबर जारी किया कि नेताजी का विमान ताइवान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसके कारण उनकी मौत हो गई. लेकिन इसके कुछ दिन बाद खुद जापान सरकार ने इस बात की पुष्टि की थी कि 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में कोई विमान हादसा नहीं हुआ था. इसलिए आज भी नेताजी की मौत का रहस्य खुल नहीं पाया है. ये खबरें भी आती रहीं कि उन्हें रूस के सैनिकों ने गिरफ्तार कर लिया और वहीं की जेल में उन्होंने अंतिम सांस ली थी.