जानिए उन बड़े वित्तीय घोटालों के बारे में जिन्होंने देश को हिला कर रख दिया था. यही नहीं, इसके कारण भारत की छवि भी विश्व में घोटाले और घपले वाले देश के रूप में बनने लगी.
कोयला घोटाला, साल 2012:
घोटाले की रकम: 1.86 लाख करोड़
सरकार ने निजी और सरकारी कंपनियों को कोयला खदानों का आवंटन किया. इस पर सामने आई कैग रिपोर्ट ने खुलासा किया कि गलत तरीके से कोयला आवंटित की गईं. इन खदानों से देश को करीब 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. सितंबर 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने 218 में से 214 खदानों के आवंटनों को रद्द कर दिया.
2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, साल 2008:
घोटाले की रकम: 1.76 लाख करोड़
2जी स्पेक्ट्रम मामलों में मंत्रियों ने कथित तौर पर मोबाइल कंपनी को फायद पहुंचाने के लिए आनन-फानन में मोबाइल स्पेक्ट्रम का आवंटन कर दिया था. इससे देश के राजस्व को 1.76 करोड़ लाख करोड़ का नुकसान हुआ. पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और दयानिधी मारन पर कार्रवाई शुरू हुई और बड़ी कंपनियों के पदाधिकारी को जेल की हवा खानी पड़ी.
वक्फ बोर्ड जमीन घोटाला, साल 2012:
घोटाले की रकम: 1.5-2 लाख करोड़
कर्नाटक के राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने पूर्व सीएम डीवी सदानंद गौड़ा को रिपोर्ट दाखिल करते हुए बताया कि कर्नाटक वक्फ बोर्ड की निगरानी में 27000 एकड़ जमीन पर अवैध खनन हो रहा है. गैरकानूनी तौर पर हो रहे खनन में 50 फीसदी जमीन वक्फ बोर्ड की थी जिसमें नेता और बोर्ड सदस्य भी शामिल थे.
कॉमनवेल्थ घोटाल, साल 2010
घोटाले की रकम: 70 हजार करोड़
भारत में पहली बार आयोजित हुए कॉमनवेल्थ खेलों के लिए सरकार ने बड़ा बजट जारी किया. आरोप है कि उसमें से सिर्फ आधा ही जमीनी स्तर पर खर्च किया गया. कांग्रेस सदस्य और खेल प्रशासक सुरेश कालमाड़ी और आर्थिक अनियमितता के आरोप लगे और कई बड़े अधिकारियों को जेल भी जाना पड़ा.
सहारा हाउसिंग बॉन्ड घोटाला, साल 2010:
घोटाले की रकम: 24 हजार करोड़
सेबी के नियमों का उल्लंघन करते हुए उद्योगपति सुब्रत रॉय सहारा ने 2.96 करोड़ निवेशकों के लिए बॉन्ड जारी किए, जो पूरी तरह गैरकानूनी था.
तेलगी घोटाला, साल 2002
घोटाले की रकम: 20000 हजार करोड़
इस घोटाले के मुख्य आरोप अब्दुल करीम तेलगी ने फर्जी स्टांप पेपर की मदद से जमकर पैसा कमाया. ये घोटाला कई वर्षों तक अखबारों और चैनलों की सुर्खियां बना रहा. इसके साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार का नाम भी इस घोटाले में सामने आया.
सत्यम घोटाला, साल 2009:
घोटाले की रकम: 14 हजार करोड़
सत्यम कंप्यूटर्स के पूर्व चेयरमैन बी रामलिंग राजू ने कंपनी के खातों में गड़बड़ियां की. वर्षों तक करोड़ों का लाभ अधिक दिखाने की बात राजू ने न्यायालय के सामने स्वीकारी. लेखा धोखाधड़ी का यह सबसे बड़ा मामला माना जाता है. इसका खुलासा जनवरी 2009 के दौरान हुआ था. बाद में सत्यम कंपनी को महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप ने खरीद लिया.
शारदा घोटाला, साल 2013
घोटाले की रकम: 10 हजार करोड़ रुपये
शारदा चिटफंड ग्रुप के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर सुदीप्त सेन ने कई स्कीमों के जरिए बंगाल और उड़िसा के करीब 14 लाख निवेशकों से पैसा जुटाया और उन्हें ठगा.
एनएसईएल घोटाला, साल 2013
घोटाले की रकम: 5600 करोड़
इस मामले में मुख्य आरोपी जिगनेश शाह पर 5,600 करोड़ रुपये के एक्सचेंज भुगतान घोटाले का आरोप है. इस घोटाले से हजारों लोगों की साधा नुकसान उठाना पड़ा था.
सिक्योरिटी घोटाला, साल 1992
घोटाले की रकम: 4 हजार करोड़
बीएसई शेयर खरीदने के लिए हर्षद मेहता ने बैंकिंग सिस्टम के जरिए 1 हजार करोड़ की रकम ट्रांसफर की. मामला तब खुला जब SBI ने सरकार को प्रतिभूतियों की कमी की सूचना दी. जांच के बाद सामने आया कि मेहता ने 4 हजार करोड़ की हेरफेर की जिससे बाजार धड़ाम से 72 फीसदी नीचे जा गिरा.
सौजन्य: NEWSFLICKS