राष्ट्रीय राजधानी के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा ना केवल स्वायत्तता लेकर आएगा, बल्कि दिल्ली को एक अलग तरह का शहर भी बना सकता है. लेकिन यह काफी मुश्किल है.
दिल्ली का बंटवारा
चूंकि केंद्र सरकार किसी दूसरे सरकार के तहत आने वाला राज्य से काम करेगी, ऐसे में पूर्ण राज्य का दर्जा देने के मामले में राजधानी को कुछ हिस्सों में बांटना पड़ सकता है. इनमें से एक होगा केंद्र सरकार का स्वायत्त इलाका और दूसरा पूर्ण राज्य दिल्ली.
कमजोर दिल्ली पुलिस
मौजूदा पुलिस बल को भी केंद्र और राज्य के बीच बांटना होगा, जिसका मतलब होगा दो धड़ों में बंटी पुलिस, जो कमजोर होगी. कुछ ऐसा ही नई दिल्ली म्यूनिसिपल काउंसिल (NDMC) और दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के साथ होगा.
पानी-बिजली दिक्कत
दिल्ली अगर पूर्ण राज्य बना, तो केंद्र सरकार से बिजली और पानी सुधारों के लिए मिलने वाला पैसा उसके हाथ से चला जाएगा. उसे दूसरे राज्यों से बिजली खरीदनी होगी और जरूरतें पूरी करने के लिए खुद भी बिजली बनानी होगी. केंद्र सरकार तस्वीर से बाहर हुई, तो पानी की समस्या भी विकराल रूप ले सकती है.
कोई खास दर्जा नहीं
फिलहाल केंद्र सरकार दिल्ली पर खास ध्यान देती है, क्योंकि यह राष्ट्रीय राजधानी है. लेकिन जब यह पूर्ण राज्य बन जाएगा, तो ऐसा नहीं रहेगा. इसका मतलब यह हुआ कि दिल्ली के सरकार खजाने पर दबाव बढ़ना जारी रहेगा.
मुफ्त सामान बंद
स्वतंत्र राज्य के तौर पर दिल्ली को सब कुछ खुद संभालना होगा. उसे कानून व्यवस्था, राज्य की पुलिस, सार्वजनिक परिवहन, साफ-सफाई और दूसरी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए पैसा खुद तलाशना होगा.
क्या दिल्ली दुनिया में इकलौती ऐसी जगह है?
नहीं, ऐसा कतई नहीं है. दिल्ली इकलौता ऐसा शहर नहीं, जिसकी कमान केंद्र सरकार के पास है. अमेरिकी संसद वॉशिंगटन डीसी से काम करती है, जो अमेरिका की राजधानी भी है. हालांकि इस शहर में अपनी चुनी हुई सरकार है, लेकिन संसद के पास स्थानीय मामलों में दखल देने का पूरा अधिकार है.
सौजन्य: NEWSFLICKS