कांग्रेस पार्टी के स्थापना को पूरे 133 साल हो चुके हैं. वहीं पार्टी की स्थापना होने क बाद 72 प्रतिनिधियों की मौजूदगी में व्योमेश चंद्र बनर्जी को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था. वह इस पार्टी के पहले अध्यक्ष चुने गए थे. आज ही के दिन 29 दिसंबर, 1844 में उनका जन्म हुआ था. बता दें, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के पहले अध्यक्ष और कोलकाता उच्च न्यायालय के प्रमुख वक़ील थे. वह भारत में अंग्रेजी शासन से प्रभावित थे और उसे देश के लिये अच्छा मानते थे. आइए जानते हैं उनके बारे में...
1. व्योमेश चन्द्र बनर्जी का जन्म 29 दिसम्बर 1844 को कलकत्ता के एक उच्च मध्यम वर्ग के कुलीन ब्राह्मण परिवार में हुआ था.
2. उनके पिता कोलकाता उच्च न्यायालय में न्यायवादी थे.
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4. 1864 में उन्हें बम्बई (अब मुंबई) के आर.जे. जीजाबाई ने छात्रवृत्ति के साथ इंग्लैंड भेजा. 1868 में अपनी कोलकाता वापसी पर उन्हें सर चार्ल्स पॉल, बैरिस्टर-एट-लॉ, कलकत्ता उच्च न्यायालय में नौकरी मिली.
5. कुछ ही समय में वो उच्च न्यायालय के जाने-माने वकीलों में से एक हो गए. वह कोलकाता विश्वविद्यालय के President of law faculty अध्यक्ष भी रहे.
6. व्योमेश, अंग्रेजी चाल-ढाल के इतने कट्टर अनुयायी थे कि इन्होंने स्वयं अपने पारिवारिक नाम 'बैनर्जी' का अंग्रेजीकरण करके उसे बोनर्जी कर दिया. उन्होंने अपने पुत्र का नाम भी 'शेली' रखा, जो कि अंग्रेजों में अधिक प्रचलित था. लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी हृदय से वे सच्चे भारतीय थे.
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7. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1885 ई. में हुए प्रथम अधिवेशन के वे अध्यक्ष चुने गये थे. इसके बाद उन्हें दोबारा भी इलाहाबाद में 1892 ई. में हुए कांग्रेस अधिवेशन का अध्यक्ष बनाया गया था.8. साल 1902 में वह इंग्लैंड जाकर बस गये. 1906 में अपनी मृत्यु के अंतिम समय भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के आंदोलन को ये बढ़ावा देते रहे.
9. देश में चले राष्ट्रीय आंदोलन के शुरुआती दौर के अहम किरदारों में से एक थे. उन्होंने ब्रिटिश संसद में भी दाखिल होने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे.
10. उन्होंने साल 1893 में बनर्जी ने दादाभाई नौरोजी और बदरुद्दीन तैय्यबजी के साथ मिलकर इंग्लैंड में इंडियन पार्लियामेंट्री कमेटी का गठन भी किया.
11. व्योमेश चन्द्र बनर्जी ने 21 जुलाई साल 1906 को दुनिया को अलविदा कह दिया था. था.