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Mughal Garden: इतिहास हुआ मुगल गार्डन! 106 साल पहले अंग्रेजों ने रखा था नाम, अमृत उद्यान से मिली नई पहचान

Mughal Garden renamed as Amrit Udyan
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Mughal Garden renamed as Amrit Udyan: लगभग 106 साल पुराना मुगल गार्ड (Mughal Garden) अब अमृत उद्यान (Amrit Udyan) के नाम से जाना जाएगा. केंद्र सरकार ने अमृत महोत्सव के मद्देनजर राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan ) में स्थित मुगल गार्डन का नाम बदल दिया है.

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नाम बदलने की घोषणा के बाद दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों ने 'मुगल गार्डन' नाम वाला पुराना बोर्ड भी हटा लिया है. राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक बयान में बताया गया है कि इस साल 31 जनवरी से 30 मार्च तक अमृत उद्यान खोला जाएगा.

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मुगल गार्डन का इतिहास?
ब्रिटिश राज में साल 1911 में जब अंग्रेजों ने कोलकाता के बदले दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया था तब रायसीना की पहाड़ी को काटकर वायसराय हाउस (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) बनाने का फैसला किया गया. इसे बनाने के लिए खासतौर से इंग्लैंड से ब्रिटिश वास्तुकार सर एडिवन लूटियंस को बुलाया गया, जिन्होंने वायसराय हाउस डिजाइन किया था. 

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सर एडविन लूटियंस ने साल 1917 से वायसराय हाउस बनाने की शुरुआत की. वायसराय हाउस की सुंदरता बढ़ाने के लिए एक खास बाग बनाया गया, जहां कई तरह के फूल-पौधे और पेड़ों की प्रजातियां लगाई गईं. हालांकि कहा यह भी जाता है कि उस समय वायसराय लॉर्ड हार्डिंग की पत्नी लेडी हार्डिंग को यह बाग पसंद नहीं आया था. साल 1928 में मुगल गार्डन बनकर तैयार हुआ, 1928 से 1929 तक प्लांटिंग का काम चला. 

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मुगलों के नाम पर क्यों रखा गया था नाम?
16वीं शताब्दी में बाबर के हमले के बाद दिल्ली में मुगल साम्राज्य शुरू हुआ था. इसके बाद हुमायूं, अकबर, शाहजहां और औरंगजेब ने दिल्ली की गद्दी संभाली. इस दौरान मुगलों ने देशभर में बाग-बगीचों का निर्माण करवाया. दिल्ली में एक हजार से ज्यादा (लगभग 1200) बाग बनवाए. बाद में अंग्रेजों ने मुगल परंपराओं को अंग्रेजी सौंदर्यशास्त्र के साथ मिला दिया. यही वजह है कि इसका नाम मुगलों के नाम पर पड़ा. मुगल गार्डन का डिजाइन ताजमहल और जम्मू और कश्मीर के बगीचों से प्रेरित है. मुगल गार्डन को चार भागों में बांटा गया है - चतुर्भुजकार बाग, लंबा बाग, पर्दा बाग और वृत्ताकार बाग.

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जब पहली बार आम लोगों के लिए खुला मुगल गार्डन
ब्रिटिश राज में इस गार्डन का दीदार केवल खास लोगों को नसीब होता था. ब्रिटिश शासक अपने गेस्ट्स को इस गार्डन की सैर पर ले जाते थे लेकिन 26 जनवरी 1950 को वह दिन आया जब भारत में गणतंत्र स्थापित हुआ और डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत का राष्ट्रपति बनाया गया (वे  26 जनवरी 1950 से 14 मई 1962 तक राष्ट्रपति पद पर रहे). वायसराय हाउस का नाम बदलकर राष्ट्रपति भवन किया गया. आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने ही आम लोगों को मुगल गार्डन देखने की 'आजादी' दी थी. तब से लेकर आज तक हर साल बसंत ऋतु में इस गार्डन को आम लोगों के लिए खोला जाता है.

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हर साल लाखों लोगों को राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन खुलने का इंतजार होता है. 15 एकड़ में फैले मुगल गार्डन में खुशबूदार रंग-बिरेंगे फूलों के आकर्षण और मुगल गार्डन के सौंदर्य को देखने देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से लोग दिल्ली आते हैं. बता दें कि अमृत उद्यान में 138 तरह के गुलाबों के साथ, 10,000 से ज्यादा ट्यूलिप (कंद-पुष्प) और 70 विभिन्न प्रजातियों के लगभग 5,000 मौसमी फूल होंगे.

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31 जनवरी से खुलेगा 'अमृत उद्यान'
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक बयान में बताया गया है कि इस वर्ष 31 जनवरी से 26 मार्च तक आम लोगों के लिए अमृत उद्यान (मुगल गार्डन) खोला जाएगा. इसके बाद 28 मार्च को सिर्फ किसानों के लिए और 29 मार्च को दिव्यांगों को एंट्री दी जाएगी. वहीं 30 मार्च को पुलिस, सुरक्षा बल और सेना के परिवारों के लिए गार्डन खुला रहेगा. इस दौरान वीजिटर यहां पर मौजूद खूबसूरत फूलों का आनंद ले सकेंगे. 

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'अमृत उद्यान' की सैर का टाइम
अमृत उद्यान में उन्हीं लोगों की एंट्री होगी, जो लोग ऑनलाइन अग्रिम बुकिंग के जरिए पास लेकर आएंगे. गार्डन सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक खुला रहेगा. अमृत उद्यान को दो टाइमिंग स्लॉट में खोला जाता है. सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक 7 हजार 500 लोगों के लिए ही टिकट जारी किए जाएंगे. इसके बाद दोपहर 12 से शाम के चार बजे तक गार्डन में जाने के लिए एक फिर से 10 हजार लोगों को पास जारी किए जाएंगे.

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