Google Doodle on Anne Frank’s Diary:जब द्वितीय विश्व युद्ध हो रहा था, तो नीदरलैंड पर नाजियों के कब्जे के कारण छोटी बच्ची एनी फ्रैंक और उनके परिवार को छिपकर रहना पड़ता था. एनी के पिता ओटो फ्रैंक ने उनके 13वें जन्मदिन पर अपनी बेटी को एक डायरी गिफ्ट की थी, जिसमें एनी अपना रुटीन लिखने के साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजियों द्वारा यहूदियों पर किए अत्याचारों का आंखों-देखा हाल भी लिखती थीं. द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद एनी की ये डायरी ही इतिहास बन गई.
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान एनी को अपने परिवार के साथ सीक्रेट जगह पर छिपकर इसलिए रहना पड़ा था क्योंकि जर्मनी के सैनिक यहूदियों को मार रहे थे. आइए जानते हैं एनी ने डायरी और उनकी कहानी के बारे में..
एनी फ्रैंक का जन्म 12 जून, 1929 को फ्रैंकफर्ट, जर्मनी में हुआ था, वह एक यहूदी थी. 12 जून, 1942 को एनी को 13वें जन्मदिन के अवसर पर उनके पिता ओटो फ्रैंक ने लाल और सफेद रंग की चैक वाली एक डायरी गिफ्ट की थी. इस डायरी में 12 जून 1942 से 1 अगस्त 1944 के बीच उनकी जिंदगी में जो घटा ब्यौरा है.
डायरी की 75वीं वर्षगांठ पर सर्च इंजन गूगल (Google) ने आज, 25 जून को खास डूडल (Doodle) बनाया है. जिसमें एनी की लाइफ और डायरी को स्लाइडशो के जरिए दिखाया गया है. डूडल आर्ट डायरेक्टर थोका मायर द्वारा चित्रित, गूगल डूडल की स्लाइड्स में उनकी डायरी के कुछ अंशों को दर्शाया गया है. बता दें कि यहूदी जर्मन-डच डायरी में एनी ने 1942 से 1944 तक की जानकारी दी है.
एनी जब 4 साल की थीं तो जर्मन पर नाजियों का नियंत्रण हो गया था. 1942 में जब जर्मनी सैनिक यहूदियों को मार रहे थे तो फ्रैंक परिवार की मुश्किलें बढ़ने लगी थीं. फ्रैंक परिवार भी मूल रूप से जर्मनी के यहूदी थे, हिंसा से बचने के लिए उनका परिवार एम्स्टर्डम, नीदरलैंड चला गया था. हालांकि, जर्मनी ने नीदरलैंड पर जब आक्रमण किया तो एनी के परिवार ने छिपकर रहने का फैसला लिया.
ऑटो फ्रैंक के ऑफिस वाली इमारत में एक सीक्रेट जगह पर आने के बाद एनी ने डायरी लिखनी शुरू की और उन्होंने किट्टी नाम की अपनी डायरी में हर घटना का जिक्र किया. डायरी में उन्होंने डच यहूदी आबादी के जीवन पर लगाए गए प्रतिबंधों के बारे में लिखने के साथ ही 'सीक्रेट एनेक्स' में बिताए अपने समय के बारे में भी लिखा
एनी फ्रैंक ने अपनी डायरी में लिखा, 'मैं परेशानियों के बारे में कभी नहीं सोचती, बल्कि उन अच्छे पलों को याद करती हूं जो अब भी बाकी हैं. एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में आज भी ऐन फ्रैक की डायरी का काफी महत्व है.
उन्होंने लड़ाई के दौरान आने वाली गोलियों और तोपों की खौफनाक आवाजों का मंजर पर डायरी में बयां किया है. एनी एक लेखिका बनना चाहती थीं. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उसके पिता ओटो फ्रैंक ने एनी की डायरी को छपवाकर उनकी इच्छा पूरी की थी. एनी की यह डायरी इतिहास का हिस्सा बन गई. 1947 में 'द डायरी ऑफ ए यंग गर्ल' नाम से यह डायरी पहली बार छपी और अब तक 70 से अधिक भाषाओं में यह किताब छप चुकी है.
एनी की डायरी में लास्ट पेज में 1 अगस्त 1944 को लिखा है, जिसमें 4 अगस्त 1944 को उस सीक्रेट जगह में रहने वाले लोगों की गिरफ्तारी का जिक्र है. बता दें कि महज 15 साल की उम्र में किसी गंभीर बीमारी के कारण कैंप में ही एनी का निधन हो गया था.