आज 17 सितंबर है. 17 सितंबर कैलंडर के अनुसार वर्ष का 261 वां दिन(लीप वर्ष )है. आज की तारीख से जुड़ी कई ऐसी घटनाएं हैं जो बेहद दिलचस्प हैं. खासकर भारत के संदर्भ में आज का दिन विशेष महत्व रखता है. क्योंकि आज के दिन कुछ ऐसा हुआ था, जिसने भारत की भौगोलिक और राजनीतिक संरचना को बदलकर रख दिया. इसके अलावा आज के दिन देश और दुनिया में और भी कई रोचक घटनाएं हुई, जो इस दिन को खास बनाती है.
17 सितंबर 1948 को ही हैदराबाद रियासत का भारत में विलय हुआ था. इसी दिन हैदराबाद के आखिरी निजाम को वहां की सत्ता से अपदस्थ कर दिया गया था. निजाम की एक जिद की वजह से आजादी के 13 महीने बाद हैदराबाद भारत में शामिल हो सका.
हैदराबाद ने खुद को घोषित कर लिया था अलग देश
आजादी मिलने के बाद जब भारत विभाजन हुआ, तब हैदराबाद ने खुद को अलग देश घोषित कर लिया था. वहीं हैदराबाद रियासत की एक बड़ी आबादी भारत में विलय की मांग कर रही थी. इस विद्रोह को दबाने के लिए हैदराबाद के निजाम ने रियासत की सेना के साथ ही रजकारों की एक फौज खड़ी की. फिर इसके बल पर भारत के साथ जाने की आवाज उठाने वाले लोगों का कत्लेआम शुरू कर दिया.
ऑपरेशन पोलो की मदद से भारत में शामिल हो सका हैदराबाद
भारत ने पहले हैदराबाद के खुद से भारत में एक राज्य के रूप में शामिल होने का इंतजार किया. इसके बाद जब तेलंगाना और मराठावाड़ा के इलाकों में रजाकारों का दमन और हिंसा काफी बढ़ गई. तब भारत सरकार ने ऑपरेशन पोलो शुरू किया. ऑपरेशन पोलो 1948 में भारतीय सेना के गुप्त ऑपरेशन का नाम था.
ऑपरेशन का नाम पोलो ही क्यों रखा गया
इस ऑपरेशन को चलाने के पीछे का उद्देश्य हैदराबाद को एक अलग राष्ट्र बनने से रोकना और उसे भारत में शामिल करना था. इस अभियान को चलाने के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल ने मेजर जनरल जेएन चौधरी के नेतृत्व में सेना और पुलिस को लगाया था. इस अभियान को पुलिस कार्रवाई का नाम दिया गया था, ताकि बाहरी देशों में इसका विरोध न हो. इस ऑपरेशन का नाम पोलो इसलिए रखा गया था, क्योंकि उस समय हैदराबाद में दुनिया के सबसे ज्यादा पोलो के मैदान थे.
ऑपरेशन पोलों में मारे गए थे निजाम के 1373 रजाकार
इस अभियान में 1,373 रजाकार मारे गए और हैदराबाद स्टेट के 807 जवानों की मौत हो गई. भारतीय सेना ने 66 जवान गंवाए और 96 जवान जख्मी हुए थे. इसी ऑपरेशन पोले की मदद हैदराबाद के अंतिम निजाम को हटाकर 17 सितंबर 1948 को रिसायत को भारत में शामिल कर लिया गया था.
17 सितंबर को मनाया जाता है मुक्ति दिवस
हैदराबाद रियासत के विलय की यह ऐतिहासिक घटना राज्य में विभाजन और विलय के बाद हुई हिंसा के लिए याद किया जाता है. महाराष्ट्र और कर्नाटक में इस दिन को मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है. वहीं अब केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि हर साल 17 सितंबर को 'हैदराबाद मुक्ति दिवस' के रूप में मनाया जाएगा.
17 सितंबर को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन
आज ही के दिन 17 सितंबर 1950 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात के वडनगर में जन्म हुआ था. वह हीराबेन मोदी और दामोदरदास मूलचंद मोदी की तीसरी संतान थे. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1971 में घर छोड़ दिया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से पूर्णरूपेण जुड़ गए. 1985 में उन्होंने भाजपा ज्वाइन किया. इसके बाद बीजेपी में अपनी मेहनत के दम पर सियासी बुलंदियां छूने लगे. 2001 में पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने और 2014 में देश के प्रधानमंत्री.
अन्य प्रमुख घटनाएं
17 सितंबर 1787 को फिलाडेल्फिया में अमेरिकी संविधान पर हस्ताक्षर किए गए थे. इसलिए इस दिन की याद में अमेरिका में आज के दिन संविधान दिवस और नागरिकता दिवस मनाया जाता है.
17 सितंबर 1982 को भारत और श्रीलंका के बीच पहला क्रिकेट टेस्ट मैच खेला गया था.
17 सितंबर 1956 को भारतीय तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग का गठन हुआ था.
17 सितंबर 1630 को अमेरिका के बॉस्टन शहर की स्थापना.
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