दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर भारी मात्रा में कैश बरामद होने के बाद उनके ट्रांसफर की सिफारिश की गई है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने का फैसला किया है. आपको बता दें कि होली की छुट्टियों के दौरान जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी बंगले पर आग लग गई थी. वे उस वक्त अपने घर पर नहीं थे. परिवार के लोगों ने पुलिस और इमरजेंसी सर्विस को कॉल कर आग की जानकारी दी. इसके बाद जब पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम उनके घर आग बुझाने पहुंची तो उन्होंने भारी मात्रा में कैश बरामद किया. इस घटना के बाद से न्यायपालिका को लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं. तो चलिए जानते हैं कि जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से जो कैश बरामद हुआ उन पैसों को क्या होगा.
जज साहब के घर से बरामद कैश का क्या होगा?
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में कार्यरत जीएसटी कस्टम ऑफिसर हेमंत गुप्ता बताते हैं कि किसी भी तरह की रेड में बरामद कैश ट्रेजरी में जमा होता है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का भी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में अकाउंट होता है. हर तरह के रेड में बरामद कैश जमा किए जाते हैं. जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से भारी मात्रा में बरामद कैश को भी ट्रैजरी में जमा किया जाएगा.
क्या बरामद कैश वापस मिल जाएंगे?
यदि Assessee (यहां आरोपी की बात हो रही है) को दोषी ठहराया जाता है, तो कुर्की आदेश के आधार पर धन जब्त कर लिया जाता है, यदि आरोप साफ हो जाते हैं तो Assessee को धन वापस मिल जाता है.
क्या ED और CBI की रेड का तरीका एक जैसा होता है?
हां, किसी भी रेड का तरीका एक जैसा ही होता है. हमें जब किसी भी तरह का कोई इनपुट मिलता है तो सबसे पहले एक टीम का गठन होता है. इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाती है.
यशवंत वर्मा के केस में आग लगने के बाद कैश बरामद की गई और कहीं से इनपुट मिलने पर एक जैसी कार्रवाई की जाएगी?
ये वहां के हालात पर निर्भर करता है कि उनके घर में किस कंडीशन में, क्या सामान या कितना कैश जब्त किया गया है.
कौन हैं जस्टिस यशवंत वर्मा?
जस्टिस यशवंत वर्मा सिविल मामलों में विशेषज्ञता रखते थे और संवैधानिक, औद्योगिक विवाद, कॉरपोरेट, टैक्सेशन और पर्यावरण से जुड़े मामलों की पैरवी करते थे. 2006 से हाई कोर्ट के विशेष वकील रहे और 2012 में उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता बने. अगस्त 2013 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा मिला. उनका जन्म 6 जनवरी 1969 को हुआ था. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से बीकॉम (ऑनर्स) किया. फिर 1992 में रीवा यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई पूरी की. 8 अगस्त 1992 को उन्होंने बतौर वकील पंजीकरण कराया और इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत शुरू की.
कई महत्वपूर्ण फैसले दिए
अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए. मार्च 2024 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी द्वारा इनकम टैक्स पुनर्मूल्यांकन के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी थी.
इसके अलावा जनवरी 2023 में उन्होंने नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज 'Trial by Fire' पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. इस मामले में रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस वर्मा ने कहा था, 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखना जरूरी है, भले ही सरकार और न्यायालय कुछ चीजों को प्रकाशित करने के पक्ष में न हों.'