Christmas Day 2023: क्रिसमस ईसाई धर्म का मुख्य त्योहार है, जो हर साल 25 दिसंबर को बड़ी धूम-धाम से सेलिब्रेट किया जाता है. गिरजाघरों में क्रिसमस बेल की गूंज, लाइटिंग और तरह-तरह की सजावट नजर आती है. ईसाई धर्म के लोग अपने घरों में तरह-तरह के केक बनाकर एक-दूसरे का मुंह मीठा कराते हैं.
कथाओं के अनुसार, इस दिन प्रभु यीशु मसीह का जन्मदिन होता है. ईसाई धर्म का मानना है कि प्रभु यीशु यानी जीसस क्राइस्ट का जन्म बैथलहम में मैरी और जोसेफ के घर हुआ था. सेक्सटस जूलियस अफ्रीकानस ने 221 ई. में पहली बार 25 दिसंबर को जीसस क्राइस्ट का जन्म दिवस मनाने का फैसला लिया था. तब से अभी तक 25 दिसंबर को देश-दुनिया में क्रिसमस डे के नाम से सेलिब्रेट किया जाता है.
वहीं, रोमन के लोग मानते थे कि सर्दियों के दिनों में यानी 25 दिसंबर को सूर्य का जन्म होता है. कहा यह भी जाता है कि जीजस क्राइस्ट की मां यानी कि मैरी (25 मार्च) को प्रेग्नेंट हुई थी इसके 9 महीने बाद यानी 25 दिसंबर को इस दुनिया में यीशु ने अपना पहला कदम रखा था.
सैंटा क्लॉज का क्रिसमस से क्या है कनेक्शन?
क्रिसमस पर यीशु यानी जीसस क्राइस्ट का जन्म हुआ था, लेकिन फिर इस दिन को सैंटा क्लॉज के नाम पर क्यों मनाया जाता है? दरअसल, सैंटा का असली नाम सांता निकोलस है, यह कहानी 280 ईस्वी के दौरान तुर्की में शुरू होती है. सांता उत्तरी ध्रुव में अपनी मिसेज क्लॉज के साथ रहते हैं. यह सफेद दाढ़ी वाले एक खुशमिजाज इंसान हैं जिनके मन में दया का भाव कूट कूटकर भरा हुआ है. संत निकोलस, जरूरतमंद और बीमारों की मदद करने के लिए घूमा करते थे.
सांता ने अपनी पूरी संपत्ति का इस्तेमाल वंचितों की सहायता के लिए किया. कहा जाता है कि उन्होंने 3 बहनों के दहेज के लिए अपनी पूरी संपत्ति दे दी, जिनके पिता उन्हें बेच देना चाहते थे. उन्होंने बच्चों और उस इलाके के नाविकों की भी बहुत सहायता की है. सांता लोगों की काफी सहायता करते और बच्चों को तोहफे दिया करते थे, उन्हें एक महान और दयालु व्यक्ति माना जाता था. यही कारण है कि सैंटा को क्रिसमस से जोड़ा गया क्योंकि भगवान यीशु भी सबकी सहायता करते थे. जब उन्हें सूली पर चढ़ाया जा रहा था तब भी उन्होंने लोगों के लिए दुआ मांगी थी.