ब्रिटिश शासन से आजादी के बाद दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा रहा था. पूरा खाका तैयार कर लिया गया था जिसमें एक मुख्यमंत्री और तीन मंत्री के साथ सारे अधिकार दिल्ली को मिलने वाले थे, लेकिन डॉ. भीम राव अंबेडकर ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. कहा गया कि भारत की राजधानी दिल्ली पर राज्य का अधिकारी नहीं हो सकता है. इसके बाद बाकी राज्यों के मुकाबले दिल्ली के मुख्यमंत्री की शक्तियां बदल गईं.
बुधवार को विधायक दल की बैठक के बाद दिल्ली सीएम पद के लिए रेखा गुप्ता का नाम फाइनल किया गया. उन्होंने विधानसभा चुनाव 2025 में शालीमार बाग सीट से आम आदमी पार्टी (AAP) की उम्मीदवार वंदना कुमारी को 29,595 वोटों के बड़े अंतर से मात दी थी. दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही यह चर्चा तेज हो गई है कि सीएम रेखा गुप्ता के पास भी वो शक्तियां नहीं होंगी, जो भारत के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के पास होती हैं.
इसका मुख्य कारण यह है कि दिल्ली एक पूर्ण राज्य न होकर केंद्र शासित प्रदेश (Union Territory) है. जनता के वोटों से बनी दिल्ली सरकार एक तरह से सलाहाकार की तरह काम करती है. सिर्फ नीति और नियम बना सकती है, लेकिन इसे लागू करने का अधिकार उपराज्यपाल के पास है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री के पास कौन-कौन सी पावर नहीं होती?
- पुलिस पर नियंत्रण नहीं होता
दिल्ली पुलिस दिल्ली सरकार के अधीन नहीं, बल्कि केंद्र सरकार (गृह मंत्रालय) के अधीन होती है. अन्य राज्यों में पुलिस पर मुख्यमंत्री का नियंत्रण होता है, लेकिन दिल्ली में ऐसा नहीं है.
- लॉ एंड ऑर्डर (कानून-व्यवस्था) पर कोई अधिकार नहीं
दिल्ली सरकार दंगों, अपराध नियंत्रण, कानून-व्यवस्था से जुड़ी नीतियां तय नहीं कर सकती. दिल्ली में शांति-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी उपराज्यपाल (LG) और केंद्र सरकार की होती है.
- भूमि (Land) पर नियंत्रण नहीं
दिल्ली में सरकारी भूमि का प्रशासन दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और एलजी के अधीन होता है. अन्य राज्यों में मुख्यमंत्री राज्य की भूमि से जुड़े फैसले ले सकते हैं.
- राज्यपाल की जगह उपराज्यपाल (LG) का अधिक हस्तक्षेप
अन्य राज्यों में राज्यपाल को आमतौर पर सलाहकार की भूमिका निभानी होती है, लेकिन दिल्ली में उपराज्यपाल के पास कई अहम शक्तियां होती हैं. दिल्ली सरकार द्वारा लिए गए फैसलों को उपराज्यपाल सशर्त रोक या बदल सकते हैं.
- दिल्ली सरकार के फैसलों पर केंद्र का ज्यादा कंट्रोल
दिल्ली सरकार के कई कानून केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना लागू नहीं हो सकते. अन्य राज्यों में विधानसभा कानून बनाकर सीधे लागू कर सकती है, लेकिन दिल्ली में उपराज्यपाल और केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी होती है.
यह पावर क्यों नहीं होती, आसान भाषा में समझें
संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत दिल्ली को विशेष दर्जा दिया गया है, जिसमें केंद्र सरकार को अधिक अधिकार मिले हैं. 1991 में जब दिल्ली को आंशिक रूप से राज्य का दर्जा मिला, तब इसमें पुलिस, भूमि और कानून-व्यवस्था को केंद्र के अधीन रखा गया. दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी (NCT) है, जहां केंद्र सरकार और संसद का कार्य भी होता है, इसलिए सुरक्षा और प्रशासन पर केंद्र का अधिक नियंत्रण रखा गया. 2023 में ‘GNCTD (Amendment) Act’ पास हुआ, जिससे उपराज्यपाल को और ज्यादा शक्तियां मिल गईं. GNCTD Amendment Act 2023 के बाद दिल्ली सरकार अब अधिकारियों की नियुक्ति, ट्रांसफर या उन्हें तलब नहीं कर सकती. LG के पास किसी भी सरकारी आदेश को रोकने या पलटने का अधिकार होता है.