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प्लेग की वजह से पणजी बनी राजधानी, जानें क्या है गोवा मुक्ति दिवस का इतिहास

19 दिसंबर का दिन गोवा मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है. आइए जानते हैं गोवा का इतिहास और कैसे पणजी बनी गोवा की राजधानी.

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History of Goa Liberation Day
History of Goa Liberation Day

हमारे देश में 19 दिसंबर का दिन गोवा मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है. साल 1962 में गोवा को पुर्तगालियों के शासन से मुक्ति मिली थी. हर साल गोवा के लोग इस दिन को एक साथ मिलकर राज्य के आजादी दिवस के रूप में मनाते हैं.

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गोवा मुक्ति दिवस का इतिहास
गोवा पर पुर्तगालियों ने 451 साल तक शासन किया था. भारत की आजादी के 14 साल बाद गोवा को 19 दिसंबर 1961 को आजादी मिली थी. साल 1961 में भारतीय सेना ने गोवा को पुर्तगालियों के कब्जे से छुड़ाया था. जब साल 1940 में भारत में सत्याग्रह चल रहा था तो उस समय गोवा के कुछ नागरिकों ने भी उसमें भाग लिया था. गोवा की संस्कृति भारत से बिल्कुल अलग थी इसलिए 1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद भी पुर्तगाली गोवा को मुक्त नहीं करना चाहते थे. हालांकि, भारत सरकार ने पुर्तगालियों को समझाने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन जब वो नहीं मानें तो भारत सरकार ने सेना के द्वारा ऑपरेशन विजय चलाया और गोवा को पुर्तगालियों के चंगुल से मुक्त करवाया था.

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गोवा मुक्ति दिवस का महत्व 
गोवा मुक्ति दिवस का बहुत महत्व है क्योंकि इसी दिन गोवा को पुर्तगालियों के लंबे शासन से मुक्ति मिली थी. गोवा को आजादी दिलाने में उसके नागरिकों का भी अहम योगदान है. गोवा वासी इस दिन को बड़े ही खास अंदाज में सेलिब्रेट करते हैं, जिसमें उनके राज्य की संस्कृति और इतिहास की झलक देखने को मिलती है. गोवा में इस दिन बहुत सारे इवेंट्स और प्रोग्राम्स ऑर्गेनाइज करवाए जाते हैं.
 
पणजी गोवा की राजधानी कैसे बनी?
साल 1843 तक पणजी एक छोटा सा गांव था. उस समय गोवा की राजधानी उस स्थान पर थी, जो आज पुराना गोवा कहलाता है. पुराने गोवा में प्लेग फैल गया था, तब पुर्तगालियों ने उसे छोड़ दिया और पणजी को राज्य की राजधानी बनाया था. 1961 से 1987 तक पणजी गोवा, दमन और दीव की राजधानी थी. लेकिन जब 1987 में गोवा को राज्य का दर्जा मिला तब पणजी को उसकी राजधानी घोषित किया गया था.
 
गोवा मुक्ति दिवस कैसे सेलिब्रेट किया जाता है?
गोवा में इस दिन टॉर्चलाइट परेड निकाली जाती है. आजाद मैदान में परेड के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान दिया जाता है. इसके अलावा सुगम संगीत जैसे सांस्कृतिक आयोजन भी करवाए जाते हैं.

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