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Google Doodle Hamida Banu: जब यूपी की धाकड़ बेटी ने विदेशी धरती पर रचा इतिहास, पढ़ें भारत की पहली महिला पहलवान हमीदा बानो के बारे में

Google Doodle Hamida Banu: हमीदा बानो का जन्म 1900 के दशक की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के पास एक पहलवान परिवार में हुआ था. वह बचपन से ही कुश्ती करती रहीं और 1940 और 1950 के दशक में अपने करियर के दौरान 300 से अधिक प्रतियोगिताएं जीतीं.

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हमीदा बानो गूगल डूडल
हमीदा बानो गूगल डूडल

Google Doodle Today Hamida Banu: दुनिया की सबसे ताकतवर महिलाओं में से एक हमीदा बानो को याद करते हुई गूगल ने खास डूडल (Google Doodle Hamida Bano) बनाया है. हमीदा बानो को भारत की पहली महिला पहलवान माना जाता है, जो अपने दौर में पुरुष पहलवानों को खुली चुनौती देने के लिए जानी जाती थी. कुश्ती के अखाड़े में कोई पुरुष भी उनके सामने नहीं टिक पाता था. कहा यह भी जाता है कि छोटे गामा के नाम से मशहूर पहलवान ने भी हमीदा बानो के साथ लड़ने से पहले ही अपना नाम वापस ले लिया था.

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आज के दिन हमीदा बानो में रचा था इतिहास
आज का गुगल डूडल भारत की पहली महिला पहलवान मानी जाने वाली हमीदा बानो को समर्पित है. क्योंकि आज ही के दिन 1954 में, उस कुश्ती मुकाबले की खबर छपी जिसने बानो को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई थी - उन्होंने सिर्फ 1 मिनट 34 सेकंड में मशहूर पहलवान बाबा पहलवान को हरा दिया था, जिसके बाद बाबा पहलवान ने हमेशा के लिए कुश्ती छोड़ दी थी. इसके साथ ही रेफरी ने ऐलान किया कि ऐसा कोई पुरुष पहलवान नहीं है, जो हमीदा को हराकर उनसे शादी कर पाए.

यूपी के अलीगढ़ में हुआ था जन्म
हमीदा बानो का जन्म 1900 के दशक की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के पास एक पहलवान परिवार में हुआ था. वह बचपन से ही कुश्ती करती रहीं और 1940 और 1950 के दशक में अपने करियर के दौरान 300 से अधिक प्रतियोगिताएं जीतीं. उस समय महिलाओं की खेलों में भागीदारी को सामाजिक मान्यताओं के चलते हतोत्साहित किया जाता था, लेकिन हमीदा को कुश्ती का जुनून था और उन्होंने पुरुष पहलवानों के साथ भी मुकाबले किए. उन्होंने सभी पहलवानों को खुली चुनौती दी थी और शर्त रखी थी कि जो उन्हें हरा देगा उससे उनकी शादी कर दी जाएगी. उनका करियर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी चला, जहां उन्होंने रूसी महिला पहलवान वेरा चिस्तिलिन को दो मिनट से भी कम समय में हरा दिया.

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कहा जाता था अलीगढ़ की अमेजॉन
उनका नाम सालों तक अखबारों की सुर्खियों में रहा और उन्हें "अलीगढ़ की अमेजॉन (Amazon of Aligarh.)" के नाम से जाना जाने लगा. उनके जीते गए मुकाबले, उनकी डाइट और उनके प्रशिक्षण कार्यक्रम को मीडिया में खूब जगह मिली.

हमीदा बानो अपने समय की एक सच्ची धाकड़ थीं और उनकी निडरता को पूरे भारत और दुनिया भर में याद किया जाता है. अपनी खेल उपलब्धियों के अलावा, उन्हें हमेशा खुद के प्रति सच्ची रहने के लिए भी याद किया जाएगा.

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