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कौन थे भारतीय खगोलशास्‍त्री डॉ जयंत नार्लीकर? जिन्‍होंने अपनी थ्‍योरीज़ से 'द बिग बैंग' को नकारा

Jayant Vishnu Narlikar: नार्लीकर 'स्‍टेडी स्‍टेट कॉस्‍मोलॉजी' के समर्थक हैं और ब्रह्मांड विज्ञान (cosmology) में अपने काम के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाने जाते हैं. उन्‍होंने सर फ्रेड हॉयल के साथ कंफर्मल ग्रैविटी थ्‍योरी विकसित की, जिसे आमतौर पर हॉयल-नार्लीकर थ्‍योरी के रूप में जाना जाता है.

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Dr Jayant Narlikar:
Dr Jayant Narlikar:

Who is Jayant Vishnu Narlikar: जयंत विष्णु नार्लीकर एक भारतीय खगोल भौतिक विज्ञानी यानी स्‍पेस फिजिसिस्‍ट हैं. नार्लीकर 'स्‍टेडी स्‍टेट कॉस्‍मोलॉजी' के समर्थक हैं और ब्रह्मांड विज्ञान (cosmology) में अपने काम के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाने जाते हैं. उन्‍होंने सर फ्रेड हॉयल के साथ कंफर्मल ग्रैविटी थ्‍योरी विकसित की, जिसे आमतौर पर हॉयल-नार्लीकर थ्‍योरी के रूप में जाना जाता है. आज उनकी 84वीं जयंती है.

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Childhood and Early Life
जयंत विष्णु नार्लीकर का जन्म 19 जुलाई 1938 को कोल्हापुर में विष्णु वासुदेव नार्लीकर और सुमति नार्लीकर के घर ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उन्‍होंने अपनी कक्षा 12वीं केन्द्रीय विद्यालय बनारस से पूरी की और 1957 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से साइंस ग्रेजुएट की उपाधि प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के फिट्ज़विलियम हाउस में अपनी पढ़ाई शुरू की. यहां उन्होंने 1959 में गणित में बीए किया और सीनियर रैंगलर बने. उन्होंने अपनी PHd 1963 में फ्रेड हॉयल के मार्गदर्शन में पूरी की.

Career and Achievements
उन्होंने कैम्ब्रिज में किंग्स कॉलेज में बेरी रैमसे फेलो के रूप में कार्य किया और 1964 में स्‍पेस विज्ञान में MA किया. नार्लीकर ने 1972 में मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में प्रोफेसर की उपाधि प्राप्त की. 1988 में भारतीय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने पुणे में स्‍पेस विज्ञान के लिए अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र की स्थापना की और नार्लीकर इसके संस्थापक-निदेशक बने. उन्‍होंने स्‍टेडी स्‍टेट कॉस्‍मोलॉजी का समर्थन किया और 'द बिग बैंग' थ्‍यारी को नकारा. नार्लीकर ने एक गणित रीसर्च स्‍कॉलर और प्रोफेसर मंगला राजवाड़े से शादी की. दंपति की तीन बेटियां हैं.

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Awards Received
जयंत नार्लीकर को विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं. उनमें से उल्लेखनीय 2004 में पद्म विभूषण और 1965 में पद्म भूषण हैं. उन्हें 2010 में महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार मिला. उन्हें भटनागर पुरस्कार, एमपी बिड़ला पुरस्कार और फ्रेंच एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी के प्रिक्स जूल्स जानसेन भी मिले हैं. 1996 में यूनेस्को ने उन्हें कलिंग पुरस्कार से सम्मानित किया है.

 

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