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क्या पाकिस्तान में भी है कृष्ण मंदिर? वहां हिंदू कुछ ऐसे सेलिब्रेट करते हैं जन्माष्टमी

Krishna Janmashtami 2024: भारत और भारत से बाहर भी कई देशों में कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जा रहा है. ऐसे में जानतते हैं पाकिस्तान की क्या स्थिति है?

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सांकेतिक फोटो (फोटो- AP)
सांकेतिक फोटो (फोटो- AP)

भारत और कई अन्य देशों में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. दुनियाभर के कृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी सेलिब्रेट किया जा रहा है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि पड़ोसी देश पाकिस्तान में क्या हाल है और वहां किस तरह से जन्माष्टमी सेलिब्रेट की जाती है? ऐसे में सवाल ये भी है कि आखिर पाकिस्तान में कृष्ण मंदिर हैं या नहीं और वहां किस तरह से कृष्ण जन्म का उत्सव मनाया जाता है?

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क्या पाकिस्तान में सेलिब्रेट होती है जन्माष्टमी?

सबसे पहले आपको बता दें कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू कृष्ण जन्माष्टमी को धूमधाम से सेलिब्रेट करते हैं. भारत की तरह ही यहां भी रात में लोग कृष्ण मंदिरों में जाते हैं. अक्सर हिंदू मंदिरों पर हमले और कम होती मंदिरों की संख्या को लेकर चर्चा में रहने वाले पाकिस्तान में कई कृष्ण मंदिर हैं, जहां जन्माष्टमी सेलिब्रेट की जाती है. 
 
पाकिस्तान में अमरकोट से हर साल जन्माष्टमी सेलिब्रेट करने की तस्वीरें सामने आती हैं. दरअसल ये वो इलाका है, जहां 52 फीसदी से ज्यादा आबादी हिंदुओं की है. भारत की तरह यहां भी हिंदू मंदिरों को सजाया जाता है और लोग मंदिर जाते हैं. साथ ही जन्माष्टमी पर आपको यहां बच्चों को भगवान कृष्ण की ड्रेस पहने देखा जा सकता है और लोग विधि विधान से पूजा करते हैं. अमरकोट में हिंदू हर त्यौहार धूमधाम से मनाते हैं, लेकिन पाकिस्तान के कुछ इलाकों में हिंदुओं को किसी त्यौहार को सेलिब्रेट करने में मुश्किल भी होती है. 

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बता दें कि इससे पहले जन्माष्टमी मना रहे हिंदुओं पर हमले की खबरें भी आई थीं. साल 2021 में पाकिस्तान में सिंध के खिप्रो में मंदिर पर हमले पर खबरें आई थीं. वैसे हिंदू मंदिरों पर पाकिस्तान में अटैक काफी आम है. 

कितने हैं कृष्ण मंदिर?

पाकिस्तान के मंदिरों में तोड़फोड़ की खबरें आम हैं. कई रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों की संख्या काफी कम हो गई है. कई मंदिरों को तोड दिया गया है तो कुछ मंदिरों को दूसरी इमारतों में तब्दील कर दिया गया है. बताया जाता है कि पाकिस्तान में 1947 में आजादी के दौरान 300 से ज्यादा हिंदू मंदिर थे और अब इनकी संख्या 50 से भी कम हो गई है. 

पाकिस्तानी मीडिया हाउस डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पहले पाकिस्तान के नोरोवाल इलाके में कई हिंदू मंदिर थे, लेकिन साल 2023 में ये संख्या जीरो हो गई. अब यहां के हिंदुओं को पूजा, धार्मिक अनुष्ठान, शादी वगैहरा करने में काफी मुश्किल होती है, जबकि इस इलाके में 1000 से ज्यादा हिंदू रहते हैं. अगर कृष्ण मंदिरों की बात करें तो पाकिस्तान में लाहौर, रावलपिंडी, इस्लामाबाद, कराची आदि में कृष्ण मंदिर हैं. साथ ही कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, एबटाबाद के कृष्ण मंदिर, हारीपुर के मंदिर को तोड़ दिया गया है.

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इस्लामाबाद के कृष्ण मंदिर पर है विवाद

वहीं, इस्लामाबाद में भी एक कृष्ण मंदिर बन रहा है, लेकिन इसे लेकर काफी विवाद भी है. साल 2020 में हिंदू समुदाय को इस्लामाबाद में प्रस्तावित कृष्ण मंदिर की चारदीवारी और श्मशान बनाने की अनुमति दी गई थी. ये मंदिर इस्लामाबाद के सेक्टर एच-9-2 में बन रहा है. हालांकि, मंदिर  फतवा आदि को लेकर काफी विवादों में भी रहा है.

इस्कॉन के भी हैं मंदिर

इस्कॉन के भी पाकिस्तान में कई मंदिर हैं, जो कराची, लरकाना, सिंध, हैदराबाद में है. अब बहवालपुर, पंदाब, मिरवाह, क्वेटा, बलोचिस्तान में भी इस्कॉन का विस्तार हो रहा है. 
 

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