scorecardresearch
 

मोहन भागवत को मिली ASL सिक्योरिटी और शरद पवार को Z+, दोनों में क्या है फर्क?

आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत को हाल ही में ASL सिक्योरिटी कवर मिला है और शरद पवार को जेड प्लस सिक्योरिटी दी गई है. तो जानते हैं दोनों में क्या फर्क है?

Advertisement
X
आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत (फोटो- PTI)
आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत (फोटो- PTI)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत की सिक्योरिटी को जेड प्लस से बढ़ाकर जेड प्लस ASL कर दिया गया है. अब उनकी सुरक्षा में और भी ज्यादा खास इंतजाम किए जाएंगे. वहीं, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार को जेड प्लस सिक्योरिटी दी गई है. मोहन भागवत और शरद पवार दोनों की सिक्योरिटी जेड प्लस ही है, लेकिन फिर भी दोनों में काफी फर्क है. ऐसे में सवाल है कि जेड प्लस ASL और जेड प्लस सिक्योरिटी में क्या फर्क है और दोनों में किस तरह से कवर दिया जाता है. 
 
भारत सरकार की ओर से देश के कुछ लोगों को सिक्योरिटी दी जाती है. मुख्य तौर पर गृह मंत्रालय की ओर से X, Y, Y Plus, Z, Z Plus सिक्योरिटी दी जाती है. इसके अलावा एक एसपीजी सिक्योरिटी होती है, जो सिर्फ देश के प्रधानमंत्री को मिली है. एसपीजी एक अलग फोर्स की तरह है, जो सिर्फ प्रधानमंत्री को कवर करती है. इसके बाद जेड प्लस आदि सिक्योरिटी का नंबर आता है. हर एक सिक्योरिटी में साथ में चलने वाले जवानों आदि की संख्या तय होती है और प्रोटोकॉल से जुड़ी जानकारी होती है. 
 
अब समझते हैं जेड प्लस सिक्योरिटी का सिस्टम...

Advertisement

जेड प्लस सिक्योरिटी भी कई तरह की होती है और हर एक कैटेगरी में अलग अलग तरह से कवर दिया जाता है. जेड प्लस सिक्योरिटी में जेड प्लस कवर, जेड प्लस विद एनएसजी कवर और जेड प्लस विद ASL सिक्योरिटी शामिल है. 

क्या होता है ASL कवर- अगर एएसएल कवर की बात करें तो ये जेड प्लस सिक्योरिटी में सबसे खास है. ये पीएम के एसपीजी कवर की तरह है और इसमें कुछ प्रोटोकॉल पीएम सिक्योरिटी की तरह हैं. यानी जिस तरह पीएम की सिक्योरिटी में नियम होते हैं, वैसे ही नियम एएसएल कवर वाले की सिक्योरिटी में भी होते हैं. एएसएल का मतलब है एडवांस सिक्योरिटी लाइजन. इस कवर में ना सिर्फ सिक्योरिटी पर्सन साथ चलते हैं जबकि सिक्योरिटी प्राप्त शख्स कहीं जाता है तो उसकी सिक्योरिटी पहले वहां जाती है. 

Advertisement

क्या है येलो, ब्लू बुक... जिसमें छुपे हैं पीएम सिक्योरिटी के राज

उनकी सिक्योरिटी विजिट से पहले उस जगह का दौरा करती है और ये देखती है कि वहां किस तरह की व्यवस्था है और एक प्लान तैयार करती है. इसमें सिक्योरिटी प्राप्त शख्स की एंट्री, एग्जिट और वहां आने वाले लोगों के एक्सेस आदि के बारे में पता कर लिया जाता है और उसके हिसाब से प्लान तैयार होता है. उनके कहीं आने जाने का रूट भी खास तरह से तैयार किया जाता है. ये कवर भारत में कुछ ही लोगों के पास है, जिसमें गृह मंत्री शामिल है. इस कवर में आईबी भी इन्वॉल्व रहती है और उनके साथ मिलकर सिक्योरिटी दी जाती है. 

क्या है जेड प्लस एनएसजी कवर- जेड प्लस सिक्योरिटी में एक कवर एनएसजी कवर होता है. एनएसजी कवर का मतलब है कि इसमें एनएससी कमांडो भी शामिल होते हैं और सिक्योरिटी देते हैं. इनमें एनएसजी कवर की जिम्मेदारी सुरक्षाप्राप्त शख्स को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने की होती है. एनएसजी कमांडो उन्हें घर में सुरक्षा नहीं देते हैं और किसी भी अनहोनी भी उन्हें बचाने का काम करते हैं. 

विदेश में कैसी होती है प्रधानमंत्री की सुरक्षा?

सिर्फ जेड प्लस सिक्योरिटी में क्या होता है? अगर सिर्फ जेड प्लस सिक्योरिटी की बात करें तो इसमें कई जवान सिक्योरिटी देते हैं. इसमें करीब 36 जवान होते हैं और इसमें कई लोगों को एनएसजी तो कई लोगों को सीआरपीएफ, सीआईएसएफ कवर मिलता है. वहीं, कुछ लोगों की जेड प्लस सुरक्षा में स्टेट पुलिस के जवान भी होते हैं. जेड प्लस के बाद जेड, वाई प्लस, वाई, एक्स आदि कैटेगरी है. 
 

Live TV

Advertisement
Advertisement