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रुतबे और हनक के साथ मोटी सैलरी... भारत में सांसद को मिलते हैं ये अधिकार

सांसदों की हर महीने की सैलरी एक लाख रुपये है. 1 अप्रैल 2023 से, सांसदों और विधायकों के वेतन और भत्ते में हर पांच साल बाद 5% की वृद्धि का फैसला लिया गया था. नियमों के मुताबिक, लोकसभा-राज्यसभा के सांसद, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति सिर्फ सैलरी पर ही टैक्स भरते हैं. बाकी जो अलग से भत्ते मिलते हैं उन पर कोई टैक्स नहीं लगता है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे 4 जून को जारी कर दिए गए हैं. भाजपा के सूरत उम्मीदवार मुकेश दलाल के निर्विरोध चुने जाने के बाद चुनाव आयोग ने 542 (कुल 543 सीट) लोकसभा सीटों के लिए मतों के गिनती की थी, जिसमें एनडीए को 293, इंडिया अलायंस को 234 और अन्य के खाते में 16 सीट आई हैं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सर्वाधिक 240 सीटें हासिल की है जबकि कांग्रेस ने 99 सीटें जीती हैं. आज हम आपको ससंदीय क्षेत्रों से चुने हुए सांसदों को मिलनी वाली सुख-सुविधाएं और सैलरी के बारे में बता रहे हैं.

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सांसद के काम 

कानून बनाना: संविधान के अनुसार कानून बनाना और संशोधित करना सांसदों का प्राथमिक काम है.
सरकार पर नजर रखना: सरकार की नीतियों और कार्यों की समीक्षा करना और उनकी आलोचना करना.
जनता की आवाज उठाना: अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की समस्याओं और चिंताओं को संसद में उठाना.
सरकार को सलाह देना: राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर सरकार को सलाह देना.
अंतरराष्ट्रीय मामलों में भागीदारी: अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और बैठकों में भारत का प्रतिनिधित्व करना.

सांसद की शक्तियां

कानूनों पर मतदान: संसद में प्रस्तावित कानूनों पर मतदान करने का अधिकार.
बहस में भाग लेना: संसद में होने वाली बहस में भाग लेने का अधिकार.
सरकारी अधिकारियों से सवाल पूछना: सरकार के कामकाज से संबंधित सवाल पूछने का अधिकार.

सांसद के विशेषाधिकार

संसद के दोनों सदनों को विशेषाधिकार प्राप्त हैं, जिसके अनुसार संसद के परिसरों के भीतर, अध्‍यक्ष या सभापति की अनुमति के बिना, दीवानी या आपराधिक कोई भी किसी तरह के कानूनी समन नहीं दिए जा सकते हैं. इसी प्रकार अध्‍यक्ष या सभापति की अनुमति के बिना संसद भवन के अंदर किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. क्‍योंकि संसद के परिसर में केवल सदन के अध्‍यक्ष या सभापति के आदेशों का पालन होता है. सदन में किसी सरकारी अधिकारी के या स्‍थानीय प्रशासन के आदेश का पालन नहीं होता है.

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सांसद की गिरफ्तारी का नियम

संसद की नियमावली के अध्याय 20क में संसद सदस्य की गिरफ्तारी के संबंध में प्रावधान किए गए हैं. जिनके मुताबिक आपराधिक मामले में किसी भी सांसद की गिरफ्तारी हो सकती है. इसके लिए सांसद को गिरफ्तार करने जा रही पुलिस या संबंधित एजेंसी को राज्यसभा के चेयरमैन अथवा लोकसभा के स्पीकर को गिरफ्तारी की वजह बतानी पड़ती है.

सांसद का वेतन

  • मूल वेतन: रु. 1,00,000/- प्रति माह (01/04/2018 से प्रभावी)
  • दैनिक भत्ता: रु. 2,000/- (01/10/2010 से प्रभावी)
  • अन्य भत्ते:
  • निर्वाचन क्षेत्र भत्ता: रु. 70,000/- प्रति माह
  • कार्यालय व्यय भत्ता: रु. 60,000/- प्रति माह (इसमें से रु. 20,000/- स्टेशनरी वस्तुओं आदि और डाक पर खर्च के लिए)
  • टेलीफोन: दिल्ली आवास, निर्वाचन क्षेत्र आवास और इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए तीनों टेलीफोनों पर सालाना 1,50,000 फ्री कॉल
  • आवास: किराए से मुक्त सरकारी आवास (हॉस्टल आवास सहित)
  • पानी और बिजली: प्रति वर्ष 50,000 यूनिट बिजली (25,000 यूनिट प्रत्येक प्रकाश/पावर मीटर या एक साथ) और प्रति वर्ष 4,000 किलोलीटर पानी (प्रत्येक वर्ष जनवरी से शुरू)
  • पेंशन: सेवानिवृत्त सांसदों को न्यूनतम पेंशन रु. 25,000/- प्रति माह (01/04/2018 से प्रभावी)
  • पांच वर्ष से अधिक की सदस्यता के लिए प्रति वर्ष रु. 2,000/- अतिरिक्त पेंशन
  • यात्रा भत्ता: हवाई यात्रा, रेल यात्रा, सड़क यात्रा के लिए भत्ता
  • यात्रा सुविधा: सांसद और उनके साथी/परिवार के लिए रेलवे पास, हवाई यात्रा
  • पूर्व सांसदों के लिए यात्रा सुविधा: फ्री एसी द्वितीय श्रेणी रेल यात्रा

बता दें कि साल 2020 में, कोविड-19 महामारी के कारण, एक साल के लिए सांसदों के वेतन और भत्ते में 30% की कटौती की गई थी. इसके बाद 1 अप्रैल 2023 से, सांसदों और विधायकों के वेतन और भत्ते में हर पांच साल बाद 5% की वृद्धि का फैसला लिया गया था.

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स्वास्थ्य सुविधाएं

एक सांसद को एक केंद्रीय सरकार के ग्रेड-1 अधिकारियों को सीजीएचएस के अंतर्गत उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती हैं. सांसद किसी भी सरकारी या रेफर कराने के बाद किसी प्राइवेट अस्पताल में अगर इलाज, ऑपरेशन कराता है, तो उस इलाज का पूरा खर्च सरकार उठाती है. इसके अलावा सांसद को सरकारी खर्च पर सुरक्षाकर्मी और केयर-टेकर भी मिलते हैं.

सांसद कितना टैक्स देते हैं?

नियमों के मुताबिक, लोकसभा-राज्यसभा के सांसद, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति सिर्फ सैलरी पर ही टैक्स भरते हैं. बाकी जो अलग से भत्ते मिलते हैं उन पर कोई टैक्स नहीं लगता. मतलब, सांसदों की हर महीने की सैलरी एक लाख रुपये है. इस हिसाब से सालाना सैलरी 12 लाख रुपये हुई. इस पर ही उन्हें टैक्स देना होता है. सांसदों, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की सैलरी पर 'अन्य स्रोतों से प्राप्त आय' के अंतर्गत टैक्स लगाया जाता है.

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