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रानी वेलु नचियार: अंग्रेजों को घुटनों पर लाकर लिया था पति की हत्या का बदला, PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते रविवार 'मन की बात' में अठारहवीं सदी की महिला स्वतंत्रता सेनानी रानी वेलु का जिक्र करते हुए कहा था कि विदेशी शासन के खिलाफ़ संघर्ष करने वाली देश की कई महान विभूतियों में से एक नाम रानी वेलु नचियार का भी हैं.

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Rani Velu Nachiyar Birth Anniversary
Rani Velu Nachiyar Birth Anniversary

देश की आजादी के लिए अनगितन स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान की बाजी लगाई है. भारत में ब्रिटिश राज से खिलाफ डटकर खड़े रहे सेनानियों की जंग की कहानियां आज भी रौंगटे खड़े कर देती हैं. ऐसी कहानी है कि रानी वेलु नचियार की, जिन्होंने पति की मौत के बाद न सिर्फ हथियार उठाए बल्कि अंग्रेजों को घुटनों पर लाकर अपना किला वापस हासिल किया था. रानी वेलु नचियार का जन्म आज ही के दिन 03 जनवरी 1730 में हुआ था.

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बहादुरी की मिसाल थीं रानी वेलु
रानी वेलु नचियार का जन्म 03 जनवरी 1730  को तमिलनाडु के रामनाथपुरम राजवंश में हुआ था. वे बहादुरी की मिसाल थीं, उन्होंने छोटेपन में ही मार्शल आर्ट और घुड़सवारी सीख ली थी. वह युद्धकला में भी पारंगत थीं. शादी के बाद जब उनके जीवन में कठिन परिस्थितियां आईं तो बचपन में सीखी हुई हर चीज उनके काम आई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते रविवार 'मन की बात' में अठारहवीं सदी की महिला स्वतंत्रता सेनानी रानी वेलु का जिक्र करते हुए कहा था कि विदेशी शासन के खिलाफ़ संघर्ष करने वाली देश की कई महान विभूतियों में से एक नाम रानी वेलु नचियार का भी हैं. तमिलनाडु के मेरे भाई-बहन आज भी उन्हें वीरा मंगई यानि वीर नारी के नाम से याद करते हैं. अंग्रेजों के खिलाफ़ रानी वेलु नचियार जिस बहादुरी से लड़ीं और जो पराक्रम दिखाया, वो बहुत ही प्रेरित करने वाला है.

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पति की हत्या का लिया बदला
वेलु नचियार की शादी शिवगंगा के दूसरे राजा मुथु वडुगनाथ थेवर के साथ हुई थी, जिनसे उनकी एक बेटी भी थी. लेकिन साल 1772 ने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया. जब अंग्रेजों ने उनके पति की हत्या करके उनके किले पर कब्जा कर लिया था. तब वे अपनी बेटी के साथ बच निकली थीं लेकिन उन्होंने बाद में अपने पति को हत्या का बदला लिया और अपने किले को वापस हासिल किया था.

जंगल में बिताए दिन, फिर भी नहीं मानी हार, बनीं पहली महिला शासक
ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, वेलु नचियार ने नवाब और ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों शिवगंगा के पतन के बाद कई साल जंगल में बिताए और हैदर अली के साथ हाथ मिलाकर मैसूर की सेनाओं को साथ मिला लिया. रानी वेलु की सहायता करने के लिए मैसूर की सेना ने शिवगंगा के किले की सफलतापूर्वक घेराबंदी की थी.

रानी वेलु ने हैदल अली और मैसूर की सेना की मदद से अंग्रेजों को हराया और शिवगंगा के किले को वापस अपने हाथ में लिया था. वेलु नचियार ने पद छोड़ने से पहले एक दशक तक शासन किया और 1796 में उनका निधन हो गया. 

पीएम मोदी दी श्रद्धांजलि
पीएम मोदी ने मन की बात के दौरान उन्हें याद करते हुए कहा था कि अंग्रेजों ने शिवगंगा साम्राज्य पर हमले के दौरान उनके पति की हत्या कर दी थी, जो वहां के राजा थे. रानी वेलु नचियार और उनकी बेटी किसी तरह दुश्मनों से बच निकली थीं. वे संगठन बनाने और मरुदु Brothers यानि अपने कमांडरों के साथ सेना तैयार करने में कई सालों तक जुटी रहीं. उन्होंने पूरी तैयारी के साथ अंग्रेजों के खिलाफ़ युद्ध शुरू किया और बहुत ही हिम्मत और संकल्प-शक्ति के साथ लड़ाई लड़ी थी.

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रानी वेलु नचियार का नाम उन लोगों में शामिल है, जिन्होंने अपनी सेना में पहली बार All-Women Group बनाया था. मैं इस वीरांगना को श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं.

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