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महाराणा प्रताप से राठौड़ वंश तक... राजस्थान की वो 5 Royal Family, जिनकी संपत्ति आज भी करोड़ों में है!

Rajasthan Royal Families: राजस्थान, जिसे 'राजाओं की भूमि' के नाम से भी जाना जाता है, में ऐतिहासिक रूप से कई प्रमुख राजवंशों का वर्चस्व रहा है. इन राजवंशों ने राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. भारत में 1971 में 26वें संविधान संशोधन के माध्यम से रियासतों के शाही विशेषाधिकार और प्रिवी पर्स खत्म कर दिए गए थे. इसके बावजूद, कई राजपरिवारों की सांस्कतिक विरासत और परंपराएं आज भी जिंदा हैं.

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राजस्थान की रॉयल फैमिलीज
राजस्थान की रॉयल फैमिलीज

महाराणा प्रताप के वंशज और मेवाड़ राजघराने के मुख्य सदस्य 80 वर्षीय महाराणा अरविंद सिंह मेवाड़ का रविवार (16 मार्च 2025) को निधन हो गया है. मिली जानकारी के अनुसार, वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उदयपुर में उनका इलाज चल रहा था. अरविंद सिंह, मेवाड़ राजवंश के 76वें संरक्षक और एकलिंग जी महादेव (एकलिंग जी का मंदिर उदयपुर के पास कैलाशपुरी में स्थित है.) के दीवान थे.

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राजस्थान, जिसे 'राजाओं की भूमि' के नाम से भी जाना जाता है, में ऐतिहासिक रूप से कई प्रमुख राजवंशों का वर्चस्व रहा है. इन राजवंशों ने राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. भारत में 1971 में 26वें संविधान संशोधन के माध्यम से रियासतों के शाही विशेषाधिकार और प्रिवी पर्स खत्म कर दिए गए थे. इसके बावजूद, कई राजपरिवारों की सांस्कतिक विरासत और परंपराएं आज भी जिंदा हैं. आइए जानते हैं राजस्थान में प्रमुख पांच राजघराने (पूर्व राजपरिवार) कौन से हैं, जिनकी संपत्ति करोड़ों में है.

राजस्थान की पांच रॉयल फैमिलीज

1. मेवाड़ का गहलोत/सिसोदिया वंश (उदयपुर)

यह वंश राजस्थान के सबसे प्रतिष्ठित राजवंशों में से एक है, जिसने मेवाड़ क्षेत्र पर शासन किया. महाराणा प्रताप जैसे वीर योद्धा इसी वंश से थे. मेवाड़ राजपरिवार के प्रमुख् सदस्यों में से एक अरविंद सिंह मेवाड़ का 16 मार्च 2025 को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है. हालांकि उदयपुर में राजपरिवार के बड़े बेटे और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ को पिछले साल (25 नवंबर 2024) गद्दी पर बैठाने की परंपरा निभाई गई थी. वहीं अरविंद सिंह मेवाड़ और उनके बेटे लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने इस रस्म को 'गैर-कानूनी' बताया था. मेवाड़ वंश की संपत्ति में उदयपुर के सिटी पैलेस, लेक पैलेस होटल, और अन्य विरासत संपत्तियां शामिल हैं. इनकी अनुमानित संपत्ति करोड़ों रुपये की मानी जाती है.

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2. मारवाड़ का राठौड़ वंश (जोधपुर)

राठौड़ वंश ने मारवाड़ क्षेत्र पर शासन किया, जिसकी राजधानी जोधपुर थी. मेहरानगढ़ किला उनकी शक्ति का प्रतीक है. राठौड़ वंश के उत्तराधिकारी महाराजा गज सिंह द्वितीय हैं. अगर इनके कारोबार और संपत्ति की बात की जाए तो उम्मेद भवन पैलेस, मेहरानगढ़ किला समेत इनकी कई संपत्तियां हैं. संपत्ति का सटीक मूल्यांकन उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह भी करोड़ों रुपये में आंकी जाती है.

3. जयपुर का कछवाहा वंश

कछवाहा वंश ने जयपुर पर शासन किया और शहर की स्थापना महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने की थी. ये लोग राम के पुत्र कुश के वंश का होने का दावा करते हैं. महामहिम भवानी सिंह इनके अंतिम महाराजा थे. भवानी सिंह का कोई बेटा नहीं था इसलिए उन्होंने 2002 में उन्होंने अपनी बेटी के बड़े बेटे, पद्मनाभ सिंह को गोद लिया था. साल 2011 में पद्मनाभ सिंह को अनौपचारिक रूप से जयपुर की राजगद्दी मिल गई थी. इस राजपरिवार के सिटी पैलेस, रामबाग पैलेस, और अन्य विरासत संपत्तियां शामिल हैं. इनकी संपत्ति भी करोड़ों रुपये में मानी जाती है.

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4. बीकानेर का राठौड़ वंश

बीकानेर की स्थापना 1465 में राव बीका ने की थी, जो राठौड़ वंश से थे. बीकानेर के पूर्व राज परिवार के महाराजा रवि राज सिंह का साल 2022 में हार्ट अटैक से निधन हो गया था. उनकी उम्र ​45 वर्ष थी. रविराज सिंह ने मेयो कॉलेज अजमेर से स्कूल एजुकेशन  किया था. ये महाराजा गंगासिंह के पोते महाराज अमरसिंह के पौत्र थे, उनके नाम दो लाख 84 हजार बीघा जमीन भूदान करने का रिकॉर्ड रहा है. लालगढ़ पैलेस और अन्य संपत्तियां शामिल हैं.

5. अलसीसर का राजघराना
राजस्थान के पूर्व राजपरिवारों में से एक अलसीसर का राजपरिवार भी है, जो आज भी अपनी पुरानी राजशाही पंरपराओं के साथ जीता है. इस राजपरिवार के वर्तमान प्रमुख अभिमन्यु सिंह हैं, जिन्हें खेत्री का राजा भी कहा जाता है. इनकी जयपुर और रणथम्भौर में कई बड़ी हवेलियां हैं जिनमें से अलसीसर हवेली को एक हेरिटेज होटल में तबदील कर दिया गया है. 

- राजस्थान के इन राजघरानों की संपत्ति का यह आंकलन अनुमानित है क्योंकि इनकी संपत्ति का सटीक मूल्यांकन सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है. साथ ही समय के साथ इनकी संपत्ति में बदलाव होते रहते हैं.

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