रूस के लिए 03 नवंबर एक डॉगी (Female Dog) के बलिदान के रूप में दर्ज है जिसने स्पेस मिशन में अहम भूमिका निभाई थी. हम बात कर रहे हैं अंतरिक्ष की सैर करने वाली दुनिया की पहली डॉगी 'लाइका' की, जिसे आज से करीब 65 साल पहले अंतरिक्ष में भेजा गया था. इस स्पेस मिशन का मकसद इस बात का अंदाजा लगाना था कि अंतरिक्ष में इंसान को भेजना कितना सुरक्षित है.
03 नवंबर को ही क्यों रवाना हुआ स्पेस शिप
सोवियत ने 3 नवंबर, 1957 को डॉगी लाइका को स्पूतनिक-2 स्पेस शिप में बैठाकर धरती से मीलों दूर अंतरिक्ष में भेजा गया था. इस स्पेस शिप का साइज लगभग वॉशिंग मशीन जितना था. प्रीमियर निकिता ख्रुश्चेव के अनुरोध पर 7 नवंबर, 1957 को रूस की बोल्शेविक क्रांति की 40वीं वर्षगांठ के मौके पर एक मिसाल बनाने के लिए सपेस में स्पूतनिक-2 भेजना का प्लान बनाया था.
स्पेस में डॉगी को भेजने की वजह
मानव रहित और बिना कुत्ते वाले स्पूतनिक 1 के आधार पर ब्लूप्रिंट के बिना काम करते हुए, टीमों ने एक स्पेस शिप बनाने के लिए तेजी से काम किया, जिसमें एक कुत्ते को भेजा जा सके. इस मिशन के लिए सोवियत कैनाइन रिक्रूटर्स ने आवारा फीमेल डॉग की तलाश की, जो छोटी और काफी शांत स्वभाव की हो. ताकि वो इस छोटे से स्पेस शिप में ज्यादा दिनों तक रह सके. 'लाइका' एक 6 किलो वजन की छोटी, शांत स्वभाव वाली, मिश्रित नस्ल की लगभग 2 साल की डॉगी थी. वह उन कई स्ट्रीट डॉग्स में से एक थी जिन्हें सड़कों से बचाए जाने के बाद रूसी अंतरिक्ष प्रोग्राम में ले जाया गया था.
डॉगी को ऐसे दी गई थी ट्रेनिंग
स्पूतनिक-2 ज्यादा बड़ी स्पेस शिप नहीं थी, इसलिए लाइका को छोटे-छोटे पिंजरों में रखकर खुद को जिंदा रखने की ट्रेनिंग दी गई थी. डॉक्टर्स ने एयर प्रेशर के बदलाव होने से लेकर ज्यादा आवाज होने पर लाइका के स्वभाव पर काम किया था. हालांकि स्पूतनिक-2 के लॉन्च से पहले लाइका काफी डरी और सहमी हुई थी, उसकी धड़कन सामान्य से तीन-चार गुना तेज थी, उसे नॉर्मल होने में करीब तीन घंटे का समय लगा था.
सोवियत का सुसाइड मिशन था स्पूतनिक-2
सोवियत का स्पूतनिक-2 एक सुसाइज स्पेस मिशन था. इस मिशन के कई साल की रिपोर्ट्स में यह सामने आया कि वैज्ञानिकों ने जल्दबाजी में इस स्पेश शिप को तैयार किया था, उन्हें अंदाजा था लाइका इस शिप में कभी जिंदा धरती पर नहीं लौटेगी. सोवियत लीडर निकिता की डिमांड पर जल्दबाजी में तैयार किए गए शिप में कई खामियां थी, जिन्हें नजरअंदाज करते हुए लॉन्च किया गया था. लेकिन वे इतने भी बेरहम नहीं थे. लॉन्च से पहले डॉक्टर्स लाइका को उसके घर ले गए, उसे अपने छोटे बच्चों के साथ समय बिताने का समय दिया और लॉन्च से पहले वैज्ञानिकों ने लाइका की नाक को चूमकर उसे स्पेस शिप से रवाना किया था.
कई साल बाद हुआ लाइका की मौत के कारण खुलासा
लाइका ने भयानक गर्मी, तंग जगह, भूख और ऑक्सीजन की कमी से जूझते हुए अपने घर से लगभग 3200 किलोमीटर दूर जाकर, अपने देश के लिए जान दे दी थी. उसने 103 मिनट तक पृथ्वी का चक्कर लगाया था. हालांकि उसकी मौत की असली वजह कई साल बाद सामने आई. शुरुआत में लाइका की मौत के कारण को छुपाया गया था और अलग-अलग तरह की कहानियां बताई गई थी. कुछ का कहना था कि उसने बेहोशी का कैप्सूल खा लिया था, कुछ का कहना था दम घुटने से उसकी मौत हुई तो कुछ बैट्री फेल होने के मौत कारण बता रहे थे.
लेकिन 1993 में रूस के स्पेस डॉग ट्रेनर और डॉक्टर ओलेग गज़ेंको ने खुलासा किया था कि स्पेस शिप जल्दबाजी में बनाया गया था, उसमें तापमान नियंत्रण सिस्टम सही से नहीं लगाई थी. उन्होंने कहा था "अंतरिक्ष की चौथी कक्षा के बाद स्पेस शिप के अंदर का तापमान 90 डिग्री से अधिक हो गया था. स्पूतनिक 2 पांच महीने तक बिना यात्री के परिक्रमा करता रहा. 14 अप्रैल, 1958 को जब वह धरती पर लौटा तो विस्फोट के बाद लाइका के अवशेषों के साथ टुकड़ों में बंट गया.