भयानक गर्मी में दो ही चीज का सहारा है, वो है एसी और कूलर. एसी और कूलर का एक ही काम है और वो है गर्मी से राहत देना, दोनों कमरे को ठंडा करने का काम करते हैं. लेकिन, दोनों विपरीत तरीके से काम करते हैं. एक में तो पानी डालना पड़ता है और वो कुछ देर में गायब हो जाता है, जबकि एक में पानी डाले बिना है निकलता रहता है. तो कभी आपने सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है और कूलर-एसी के पानी के पीछे का विज्ञान क्या है?
पहले समझते हैं कूलर का सिस्टम...
कूलर का पानी कहां जाता है, ये बताने से पहले आपको बताते हैं कि कूलर काम कैसे करता है. दरअसल, कूलर में पानी भरा रहता है और पानी में लगा पंप पानी को कूल पैड्स (घास,हनीपैड) पर डालता है, जिससे वातावरण की गर्म हवा कूलर में आती है तो पानी वाष्प बनकर उड़ता है और हवा को ठंडा करता है. फिर पंखे के जरिए ये ठंडी हवा बाहर आती है.
अब जानते हैं पानी कहां जाता है... जैसा आपको बताया कि कूलर वाष्पीकरण के जरिए हवा को ठंडा करता है, तो इसी वाष्पीकरण में पानी गायब हो जाता है. ये हवा में गैस बनकर चला जाता है और कूलर का पानी खत्म हो जाता है. ये पानी की नमी ही हवा को ठंडी करती है. इसके अलावा कुछ पानी हवा के साथ छीटों के रुप में बाहर आता है. आपने भी कूलर के सामने महसूस किया होगा कि कई बार पानी की कुछ बूंद आप तक पहुंचती है.
फिर क्या है एसी के पानी का खेल
अब बात करते हैं एसी के पानी की. एसी रेफ्रिजेशन के जरिए पानी को ठंडा करता है. एसी जब बाहर की हवा को ठंडा करता है तो इससे नमी को भी बाहर निकालता है और इस प्रक्रिया को संघनन कहते हैं. इसका मतलब है किसी भी गैस में से द्रव्य निकालना. ऐसे में एसी जब कमरे को ठंडा करता है, उससे निकली हवा एसी में कॉइल के संपर्क में आती है. एसी में कंडेंसर के साथ जुड़े दो कॉइल सेट होते हैं, ये दोनों गर्म और ठंडा करने का काम करते हैं.
ऐसे में कॉइल के संपर्क में जब हवा आती है तो उससे नमी निकल जाती है और पानी की बूंदों के रुप में जमा होती है और फिर एक्जिट से निकल जाती है. आपने गौर किया होगा कि जब हवा में नमी ज्यादा होती है तो पानी ज्यादा निकलता है तो इसका कारण ये ही है. ये ह्यूमिडिटी के मौसम में होता है और पानी ज्यादा निकलता है.