7 अक्टूबर, 2001 को, अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन की अमेरिकी और ब्रिटिश सेनाओं ने गहन बमबारी अभियान के साथ तालिबान-नियंत्रित अफगानिस्तान पर हमले शुरू किए. फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा सहित अन्य देशों ने भी इसमें मदद की. साथ ही तालिबान विरोधी उत्तरी गठबंधन विद्रोहियों ने भी इसमें अमेरिका की मदद की.
2001 में अफ़गानिस्तान पर आक्रमण संयुक्त राज्य अमेरिका के "आतंकवाद के खिलाफ युद्ध" का शुरुआती चरण था.अफ़गानिस्तान में यह संघर्ष दो दशकों तक चला और अमेरिकी इतिहास का सबसे लंबा युद्ध बन गया. अमेरिकी सैन्य भाषा में इसे "ऑपरेशन एंड्योरिंग फ्रीडम" नाम दिया गया था. अफगानिस्तान पर आक्रमण का उद्देश्य आतंकवादी सरगना ओसामा बिन लादेन के अल-कायदा संगठन को निशाना बनाना था, जो उसी देश में स्थित था.
9/11 हमले के बाद शुरू हुई कार्रवाई
दशकों की अस्थिरता ने अल-कायदा और 9/11 हमलों को जन्म दिया था.साथ ही चरमपंथी तालिबान सरकार को भी निशाना बनाना था, जिसने 1996 से देश के अधिकांश हिस्से पर शासन किया था और अल-कायदा को समर्थन और संरक्षण दिया था.तालिबान, जिसने पूरे देश पर इस्लाम के अपने चरमपंथी संस्करण को थोपा था. जिसने अपने लोगों, खासकर महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ़ अनगिनत मानवाधिकारों का हनन भी किया.
बिन लादेन को सौंपने से तालिबान ने कर दिया था मना
आक्रमण से पहले के हफ्तों में, संयुक्त राज्य अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद दोनों ने मांग की थी कि तालिबान ओसामा बिन लादेन को अभियोजन के लिए सौंप दे. तालिबान के जवाबी प्रस्तावों को असंतोषजनक मानने के बाद - जिनमें बिन लादेन पर इस्लामी अदालत में मुकदमा चलाने की बात भी शामिल थी. 12 अक्टूबर को आक्रमण की शुरुआत काबुल, कंधार, जलालाबाद, कोंडुज और मजार-ए-शरीफ में तालिबान और अल-कायदा के ठिकानों पर हवाई बमबारी से हुई.
अन्य गठबंधन विमानों ने अफगान नागरिकों के लिए मानवीय आपूर्ति के लिए हवाई अभियान चलाया. हवाई अभियान के बाद तालिबान की सुरक्षा कमज़ोर हो गई. अमेरिकी गठबंधन ने जमीनी आक्रमण शुरू कर दिया. इसमें उत्तरी गठबंधन की सेना ने ज़्यादातर सैनिकों को तैनात किया और संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों ने हवाई और जमीनी समर्थन दिया.
12 नवंबर को, सैन्य कार्रवाई शुरू होने के एक महीने से थोड़ा ज़्यादा समय बाद, तालिबान के अधिकारी और उनकी सेनाएं राजधानी काबुल से पीछे हट गईं. दिसंबर की शुरुआत में, तालिबान का आखिरी गढ़ कंधार गिर गया था और तालिबान नेता मुल्ला मोहम्मद उमर आत्मसमर्पण करने के बजाय छिप गया था. अल-कायदा के लड़ाके अफगानिस्तान के पहाड़ी तोरा बोरा क्षेत्र में छिपे रहे, जहां उनका मुकाबला तालिबान विरोधी अफगान बलों से हुआ. उन्हें अमेरिकी विशेष बल के सैनिकों का समर्थन प्राप्त था.
अल कायदा ने युद्ध विराम की पहल की
अल-कायदा ने जल्द ही एक युद्धविराम की पहल की. इसके बारे में अब माना जाता है कि यह ओसामा बिन लादेन और अन्य प्रमुख अल-कायदा सदस्यों को पड़ोसी पाकिस्तान में भागने का समय देने की एक चाल थी. दिसंबर के मध्य तक, तोरा बोरा में अल-कायदा द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले बंकर और गुफा परिसर पर कब्जा कर लिया गया था, लेकिन बिन लादेन का कोई संकेत नहीं था.
तोरा बोरा के बाद, हामिद करजई के नेतृत्व में अफगान कबायली नेताओं और पूर्व निर्वासितों की एक बड़ी परिषद बुलाई गई, जिन्होंने 7 दिसंबर, 2004 को अफ़गानिस्तान के पहले लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति बनने से पहले अंतरिम नेता के रूप में कार्य किया.
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ऐसे मारा गया ओसामा बिन लादेन
जब अफ़गानिस्तान ने लोकतंत्र की ओर पहला कदम उठाना शुरू किया, तब देश में 10,000 से अधिक अमेरिकी सैनिकों के साथ, अल-कायदा और तालिबान बलों ने अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के बीच पहाड़ी सीमा क्षेत्र में फिर से संगठित होना शुरू कर दिया.10 साल की तलाशी के बाद, बिन लादेन को आखिरकार 2 मई, 2011 को अमेरिकी नौसेना के जवानों ने पाकिस्तान में पाया और मार गिराया.
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7 अक्टूबर को हुई कुछ प्रमुख घटनाएं
1949 में, जर्मनी के सोवियत कब्ज़े वाले क्षेत्र में एक संविधान लागू हुआ, जिससे पूर्वी जर्मनी का देश बना. 1990 में पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी फिर से एक हो गए.
1586 में, मुगल बादशाह अकबर की सेना ने कश्मीर में प्रवेश किया था.
1737 में, बंगाल में 20 हज़ार छोटे जहाज़ समुद्र में डूब गए थे, जिससे करीब तीन लाख लोगों की मौत हो गई थी.
1840 में, विलेम द्वितीय नीदरलैंड का राजा बना था.
1950 में, मदर टेरेसा ने कोलकाता में मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी की स्थापना की थी.
1959 में, सोवियत संघ के अंतरिक्षयान लूनर-3 ने चंद्रमा के छिपे हुए हिस्से की तस्वीर ली थी.
1992 में, भारत में त्वरित कार्यवाही बल का गठन किया गया था.