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ब्रिटिश राज, नील की खेती, व्यापारियों का ठिकाना... पढ़ें अररिया नाम का इतिहास

History of Araria District Name: प्रथम विश्व युद्ध के पहले तक यहां नील की खेती होती थी. व्यापारियों के रहने के लिए फारबिसगंज में रेजिडेंशियल एरिया था. रिहायशी क्षेत्र के रूप में मशहूर था. जानिए इसके बाद कैसे पड़ा अररिया नाम.

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अररिया जिले के नाम का इतिहास
अररिया जिले के नाम का इतिहास

अररिया, बिहार के उत्तर-पूर्व में स्थित वह जिला है, जिसका नाम वहां होने वाली खेती और ब्रिटिश शासन के दौरान वहां आने वाले अंग्रेज अधिकारियों के कारण पड़ा. बिहार का यह जिला सीमांचल का महत्वपूर्ण भाग रहा है. जनसंख्या के लिहाज से अररिया, बिहार का 19वां सबसे बड़ा जिला माना जाता है. जो 1990 से पहले पूर्णिया जिले का हिस्सा था. आइए जानते हैं कैसे ब्रिटिश राज में कैसे पड़ा अररिया नाम.

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नील की खेती ने व्यापारियों को खींचा
दरअसल साल 1807 में ब्रिटिश ऑफिसर अलेक्जेंडर जॉन फोर्ब्स फारबिसगंज आए और 1870 तक रहे. उस वक्त यह हिस्सा पूर्णिया जिले में शामिल था. हालांकि 1877 की हंटर रिपोर्ट में बिहार के इस शहर का नाम फोरबेसाबाद लिखा है लेकिन जब सरकार द्वारा इस क्षेत्र में रेलवे लाइन का विस्तार किया गया तो इसे फोरबेसगंज जंक्शन नाम दिया गया. इतिहास के जानकार राकेश कुमार और इतिहासकार और पर्यावरणविद सूदन सहाय बताते हैं कि अलेक्जेंडर जॉन फोर्ब्स के समय यहां बड़े पैमाने पर नील की खेती होती थी, जिसकी वजह से धीरे-धीरे फरबिसगंज में व्यापारियों के लिए एक बड़ा बाजार बन चुका था. यहां पर 17000 बीघा जमीन में नील की खेती करते थे. जिसके लिए बाहर से बड़ी तादाद में व्यापारी आते थे. 

व्यापारियों का ठिकाना से निकला नाम
प्रथम विश्व युद्ध के पहले तक यहां नील की खेती होती थी. व्यापारियों के रहने के लिए फारबिसगंज में रेजिडेंशियल एरिया था. रिहायशी क्षेत्र के रूप में मशहूर था. रेजिडेंशियल एरिया का उच्चारण अंग्रेज शॉर्ट फॉर्म में आर एरिया के रूप में करते थे जो कालांतर में अररिया कहलाने लगा. नील की खेती के दौरान फारबिसगंज का लाल कोठी ब्रिटिशर्स का प्रशासनिक कैंप हुआ करता था. प्रथम विश्व युद्ध के बाद नील की खेती के जगह जूट की खेती ने पांव फैला लिया. यह सुल्तानपुर स्टेट के रूप में प्रचलित था. बाद में यह रियासत ई रॉल मैके को सौंप दिया गया जिसे 1945 में जेके कंपनी के हाथों बेच दिया. फिर यह टुकड़ों टुकड़ों में बिकते चले गए.

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बता दें कि 2011 की जनसंख्या के अनुसार अररिया की जनसंख्या 28,11,569 है. जिसमें से 1,463,333 पुरुष (Male) और 1,348,236 महिलाएं (Female) हैं. जबकि जनसंख्या घनत्व के हिसाब से यहां एक वर्ग किमी में 993 लोग रहते हैं. अगर लिंग अनुपात (Sex Ratio) की बात करें तो एक हजार पुरुष पर यहां 921 महिलाएं रहती हैं. जनसंख्या के लिहाज से अररिया बिहार का 19वां सबसे बड़ा जिला है. हालांकि बिहार का जनसंख्या घनत्व 1,106 है. ऐसे में जनसंख्या घनत्व के मामले में ये राज्य का 25वां सबसे बड़ा जिला है. 

(अररिया से अमरेन्द्र कुमार सिंह की रिपोर्ट)

 

 

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