Avalanche in Uttarkashi: उत्तराखंड में द्रौपदी का डांडा पर्वत चोटी पर हिमस्खलन के बाद 28 लोगों के फंसे होने की आशंका है. फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए तेजी से राहत अभियान जारी है, जो सभी उत्तरकाशी के नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में ट्रेनी हैं. यह चोटी उत्तराखंड में गढ़वाल हिमालय की गंगोत्री में स्थित है. इस संस्थान से अक्सर ही पर्वतारोहियों का दल पहाड़ों की चढ़ाई के लिए जाता रहता हैं. आइये जानते हैं इस इंस्टिट्यूट के बारे में कुछ खस बातें.
भारत के सबसे बेहतरीन पर्वतारोहण संस्थानों में से एक के रूप में प्रतिष्ठित नेहरू इंस्टिट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग (NIM), की स्थापना नवंबर, 1965 की कड़ाके की ठंड में की गई थी. पं. जवाहर लाल नेहरू की युवा पीढ़ी को पहाड़ों के करीब लाने और पर्यावरण के लिए साहस और करुणा की भावना पैदा करने की बहुत इच्छा थी. उन्हीं के नाम पर इस इंस्टिट्यूट की स्थापना की गई. इसकी स्थापना भागीरथी नदी के उत्तर में 5 किमी की दूरी पर की गई थी जिसे 1970 पर अपनी नई लोकेशन पर शिफ्ट कर दिया गया.
कई कोर्सेज़ करता है ऑफर
यहां कई तरह के एडवेंचर कोर्स और बेसिक और एडवांस्ड माउंटेनियरिंग कोर्स कराए जाते हैं जिनकी न्यूनतम अवधि 15 दिन की भी है. इंस्टिट्यूट के बेसिक कोर्सेज़ में 14 वर्ष की आयु के उम्मीदवार भी हिस्सा ले सकते हैं. आप यहां एडवेंचर कोर्स, बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स, एडवांस्ड माउंटेनियरिंग कोर्स और सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स का हिस्सा बन सकते हैं. NIM भारत का एकलौता माउंटेनियरिंग इंस्टिट्यूट है जो इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर क्लाइंबिंग एंड माउंटेनियरिंग (UIAA) द्वारा सर्टिफाइड है.
केदारनाथ बाढ़ में किया था राहत कार्य
पर्वतारोहण संस्थान होने के अलावा NIM ने आपदा के समय कई राहत कार्य भी किए हैं. NIM ट्रेनी और इसके पूर्व छात्रों ने केदारनाथ बाढ़ के दौरान रेस्क्यू ऑपरेशन में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी. उनके खोज और बचाव अभियान की मदद से ही आपदा के दौरान कई लोगों की जान बच पाई थी.