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रोस्तोव: रूस के उस शहर की कहानी... जिस पर पुतिन के बागी दोस्त ने कर लिया कब्जा, 82 साल पहले भी देखी जंग

मॉस्को की तरफ बढ़ रही बागी वैनगर आर्मी ने रूस के रोस्तोव शहर पर कब्जा करने का दावा किया है. सड़क पर गरजते टैंक के बीच वहां के लोग अपने ही घरों में कैद हैं. दावा किया जा रहा है कि वैगनर आर्मी के लड़ाकों ने शहर की नाकेबंदी कर दी और मिलिट्री अड्डों पर भी कब्जा कर लिया. आइए जानते हैं इस शहर के बारे में, जिसने 82 साल पहले भी देखी थी जंग.

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रूस के रोस्तोव शहर में तनाव बढ़ा
रूस के रोस्तोव शहर में तनाव बढ़ा

यूक्रेन से युद्ध के बीच रूस अब गृह युद्ध में फंसता नजर आ रहा है. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सेना और वैगनर आर्मी के लड़ाके आमने सामने हैं. पुतिन के बागी दोस्त वैगनर ग्रुप के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन ने पुतिन को तख्तपलट की धमकी दी है. राजधानी मॉस्को की तरफ बढ़ रही है वैगनर ग्रुप की सेना को रोकने के लिए रूसी सेना ने सड़कों पर टैंक उतार दिए हैं. प्रिगोझिन की धमकी के बाद रूसी रक्षा मंत्रालय ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है. इस बीच वैगनर सेना ने रूस के रोस्तोव शहर पर कब्जा करने का दावा किया है.

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प्रिगोझिन ने टेलीग्राम पर वीडियो जारी कर कहा कि वह और उनके लड़ाके रोस्तोव-ऑन-डॉन में दक्षिणी जिला सैन्य मुख्यालय में हैं, सभी मिलिट्री बेस वैगनर ग्रुप के कब्जे में हैं, जब तक कि रक्षा प्रमुख शोइगु और गेरासिमोव उनके पास नहीं आते, तब तक उनके लोग रोस्तोव-ऑन-डॉन की नाकेबंदी करेंगे और मॉस्को की ओर बढ़ते रहेंगे. रोस्तोव शहर में हाताल बिगड़ते देख रूसी सेना के अधिकारियों ने वहां के लोगों को अपने ही घरों में रहने की सलाह दी है.

वैगनर ग्रुप के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन

82 साल पहले भी रोस्तोव ने देखी थी जंग
रूस का रोस्तोव शहर पहली बार जंग नहीं देख रहा है. अब से 82 साल पहले भी शहर की सड़कों पर हथियारों के साथ लोग उतरे थे और लोग अपने घरों में कैद हो गए थे. हम बात कर रहे हैं बैटल Battle of Rostov (1941) की.

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द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पूर्वी मोर्चे की लड़ाई में नाज़ी जर्मनी के दक्षिण सेना ग्रुप और सोवियत संघ के दक्षिणी मोर्चे के बीच रोस्तोव-ऑन-डॉन के आसपास लड़ी गई थी.  यह लड़ाई तीन फेज में लड़ी गई थी-

  • आर्मी ग्रुप साउथ (जनरल गर्ड वॉन रुन्स्टेड्ट) द्वारा जर्मन सागर ऑफ एज़ोव आक्रामक ऑपरेशन: 12 सितंबर 1941
  • दक्षिणी मोर्चे (जनरल याकोव टिमोफ़ेयेविच) द्वारा सोवियत रोस्तोव रक्षात्मक ऑपरेशन: 5 नवंबर 1941 - 16 नवंबर 1941
  • चेरेविचेंको और रोस्तोव आक्रामक ऑपरेशन: 27 नवंबर 1941 - 2 दिसंबर 1941

रूस के रोस्तोव शहर का इतिहास
एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार, रूस के रोस्तोव शहर की स्थापना साल 1749 में हुई थी, जब टेमेर्निका (रूस के रोस्तोव ओब्लास्ट में एक छोटी नदी) पर कस्टम पोस्ट बनाई गई. उस वक्त नदी का मुहाना तुर्की के हाथों में था. धीरे-धीरे यहां बड़ा बिजनेस ट्रेड सेंटर बन गया. 1761 और 1763 के बीच रोस्तोव में सेंट दिमित्री का किला बनाया गया और इसके चारों ओर नखिचेवन-ना-डोनू की अर्मेनियाई बस्ती के पास मकान बनते गए और शहर में बन गया. 1797 में इसे शहर का दर्जा दिया गया और 1806 में इसका नाम रोस्तोव-ऑन-डॉन रखा गया.

रोस्तोव एवेन्यू: बाजार से बना शहर
रोस्तोव शहर में व्यापार का महत्वपूर्ण केंद्र है जो रोस्तोव एवेन्यू के नाम से जाना जाता है. यह विभिन्न व्यापारी और व्यापार संगठनों को आकर्षित करता है. बढ़ते बाजार के चलते 19वीं सदी तक इस शहर में ट्रांसपोर्ट सेंटर और पोर्ट बने. इसके बाद इस शहर की आबादी और विकास दोगुनी तेजी से बढ़ा. 1952 में वोल्गा-डॉन शिपिंग नहर के खुलने से आंतरिक भाग तक डॉन नदी मार्ग में सुधार हुआ, जिससे शहर पूरे वोल्गा बेसिन से जुड़ गया. रोस्तोव मध्य यूरोपीय रूस और काकेशस (Caucasus) क्षेत्र के बीच सड़क-रेल, तेल और प्राकृतिक गैस पाइपलाइन कनेक्शन बने.

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कला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का बड़ा मंच
रोस्तोव शहर में कई कला केंद्र हैं जहां स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों के बड़े-बडे़ प्रोग्राम होते हैं. यहां ऐसे कई संगठन और मंच हैं जो कला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को समर्थन करते हैं. रोस्तोव शहर में साल भर में कई सांस्कृतिक महोत्सव और उत्सव मनाए जाते हैं, जहां लोग दूर-दूर से यहां के लोक संगीत, नृत्य, रंगमंच प्रदर्शन और स्थानीय रसोई का आनंद लेने पहुंचते हैं. इसके अलावा यहां कई खेल क्लब, स्थानीय लीग और स्पोर्ट्स एसोसिएशनंस हैं. रोस्तोव शहर में कई यूनिवर्सिटी और रिसर्च सेंटर हैं.

 

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