डॉक्टर शब्द सुनते ही सबसे पहले हमारे दिमाग में जो तस्वीर उभर कर आती है, वो होती है सफेद कोट, गले में स्टेथोस्कोप डाले कोई व्यक्ति. डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ को आप अक्सर ही सफेद कोट में देखते होंगे. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ सफेद कोट ही क्यों पहनते हैं?
अगर आप सोच रहे हैं बस ऐसी ही डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के कोट का रंग सफेद रखा गया है तो आप गलत हैं. इसके पीछे गहरा लॉजिक है. दरअसल, हॉस्पिटल जैसी जगहों पर अक्सर ज्यादा भीड़ होती है. मरीजों, तीमारदारों से भरे अस्पताल में आप आसानी से डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ की पहचान कर सकेंगे इसलिए ये सफेद कोट में होते हैं.
इसके अलावा इस कोट का रिश्ता सफाई और हाइजीन से भी है. दरअसल, डॉक्टर्स खुद सफाई और हाइजीन के प्रतीक माने जाते हैं. सफेद कोट होने से किसी भी प्रकार के दाग धब्बे आसानी से दिखाई दे जाते हैं. इसलिए ही डॉक्टर्स सफेद कोट पहनते हैं.
दरअसल, डॉक्टर्स दिनभर अलग-अलग बीमारियों से ग्रस्त लोगों से मिलते हैं. कई बार वो ऐसे मरीजों से मिलते हैं जो चोटिल होते हैं. वो तमाम तरह की दवाइयों, इंजेक्शन के आसपास रहते हैं. ऐसे में सफेद कोट पर खून या किसी भी प्रकार के केमिकल के निशान आसानी से लग सकते हैं. इसकी वजह से खुद डॉक्टर्स और मरीजों में किसी भी तरह का संक्रमण फैल सकता है. हालांकि, सफेद कोट होने की वजह से ये निशान आसानी से दिखाई दे जाते हैं. अगर किसी डॉक्टर के कोट पर खून या किसी कैमिकल का धब्बा लग गया है तो वो कोट को बदल सकते हैं. वहीं, अगर डॉक्टर्स के लिए किसी और रंग के कोट बनने लगे तो इन दाग-धब्बों को देख पाना आसान नहीं होगा. क्या आपको पता था इसके पीछे का लॉजिक.