World Student's Day 2023, Dr APG Abdul Kalam Birth Anniversary: हर साल 15 अक्टूबर को शिक्षा के क्षेत्र में पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के उल्लेखनीय योगदान के सम्मान में विश्व छात्र दिवस (World Students Day 2023) मनाया किया जाता है. एक महान विचारक, लेखक और वैज्ञानिक कलाम साहब की आज 92वीं जयंती है. भारत के मिसाइलमैन कहे जाने वाले डॉ एपीजे अब्दुल कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति, एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक, शिक्षक और लेखक थे. एक टीचर के नाते वे हमेशा छात्रों के साथ जुड़े रहे, उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहे. छात्रों के साथ उनके इसी बंधन को सेलिब्रेट करने के लिए हर साल 15 अक्टूबर को वर्ल्ड स्टूडेंट्स डे मनाता जाता है.
शिक्षा के प्रति डॉ. कलाम साहब की प्रतिबद्धता इतनी अटूट थी कि वे भारत के राष्ट्रपति के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त करने के तुरंत बाद अपने बतौर अध्यापक छात्रों के बीच लौट आए. उनका मानना था कि शिक्षक छात्रों के चरित्र को आकार देने, मानवीय मूल्यों को स्थापित करने, प्रौद्योगिकी के माध्यम से उनकी सीखने की क्षमताओं को बढ़ाने और आत्मविश्वास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इस तरह उन्हें प्रतिस्पर्धात्मक रूप से भविष्य का सामना करने के लिए तैयार करते हैं.
पीएम मोदी ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को दी श्रद्धांजलि
इस अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि अर्पित की और सोशल मीडिया अकाउंट 'एक्स' (पहले ट्विटर) पर लिखा, 'अपने विनम्र व्यवहार और विशिष्ट वैज्ञानिक प्रतिभा को लेकर जन-जन के चहेते रहे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन. राष्ट्र निर्माण में उनके अतुलनीय योगदान को सदैव श्रद्धापूर्वक स्मरण किया जाएगा.'
महज 8 साल की उम्र में स्टेशन पर बेचे अखबार
अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम के गरीब परिवार में हुआ था. उनके पिता मछुवारों को किराए पर नाव देते थे. खुद कलाम ने बचपन में बहुत संघर्ष किया है. 1939 द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इमली के बीज बेचने से लेकर रामेश्वरम रेलवे स्टेशन पर अखबार का काम किया. उस समय उनकी उम्र महज 8 वर्ष थी. वे बचपन से पढ़ाई में अच्छे थे, इसलिए पिता ने भी बाहर जाकर पढ़ने की इजाजत दे दी थी.
पायलट बनना चाहते थे कलाम साहब
पिता चाहते थे वे बड़े होकर कलेक्टर बने, जबकि उनका सपना पायलट बनने का था. लेकिन पारिवारिक वजहों के चलते उन्हें ऋषिकेश जाना पड़ा, जहां स्वामी शिवानंद के मार्गदर्शन में साइंस का सफर शुरू हुआ और वे देश के बड़े वैज्ञानिक बने. उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से वैमानिकी इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और 1958 में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) में शामिल हो गए. डॉ. कलाम का मिसाइल प्रोग्राम में भारत के अग्रणी देशों में शामिल होने के पीछे बड़ा योगदान रहा. उनके असाधारण योगदान के लिए उन्हें 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
पूर्व राष्ट्रपति ने भारत के एयरोस्पेस और रक्षा अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, वह देश के पहले परमाणु परीक्षण, स्माइलिंग बुद्धा के दौरान वहां मौजूद रहे. बाद में उन्होंने प्रोजेक्ट डेविल और प्रोजेक्ट वैलिएंट का नेतृत्व किया, जिसका उद्देश्य सफल एसएलवी कार्यक्रम की तकनीक के आधार पर बैलिस्टिक मिसाइल विकसित करना था. इन वर्षों में, डॉ. कलाम भारत के उन्नत मिसाइल कार्यक्रम के निदेशक के रूप में एक अभिन्न अंग बन गये.
डॉ. कलाम के प्रेरणादायक ज्ञान- FAIL का मतलब असफलता नहीं
डॉ. कलाम ने छात्रों को हमेशा प्रोत्साहित किया और उन्हें बहुमूल्य ज्ञान दिया. उनका कहना था कि "अगर आप असफल होते हैं, तो कभी हार न मानें क्योंकि F.A.I.L. का अर्थ है 'सीखने में पहला प्रयास (First Attempt In Learning)' अंत अंत नहीं है (End is not the end), दरअसल ई.एन.डी. का अर्थ है 'प्रयास कभी नहीं मरता.' यदि आपको जवाब में 'NO' मिलता है, तो याद रखें कि एन.ओ. का अर्थ है 'नेक्स्ट अपॉर्चुनिटी' तो, आइए पोजिटिव सोच बनाए रखें." पिछले कुछ सालों से असफलता की वजह से या फेल होने के डर से जिंदगी को ही हार समझ रहे हैं. खासकर राजस्थान के कोटा में छात्र आत्महत्या एक बड़ी समस्या बन रही है. इस साल सितंबर तक ही 27 छात्रों ने सुसाइड कर लिया है, जिसकी वजह से वहां रहकर प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों का भी मनोबल टूट रहा है. ऐसे में डॉ. अब्दुल कलाम का यह विचार उन्हें नई सोच, नई राह और नई जिंदगी देने वाला है.