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एजुकेशन न्यूज़

कई राज्यों में ब्लैक फंगस महामारी घोष‍ित, जानिए- कब, कैसे और क्यों की जाती है ये घोषणा?

प्रतीकात्मक फोटो (Getty)
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कोरोना वायरस की दूसरी लहर से अभी लोग उबर भी नहीं पाए थे. इसी बीच ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस (Mucormycosis) का खतरा मंडराने लगा है. कई राज्यों ने इस फंगल इंफेक्शन को महामारी घोषित कर दिया है. क्या आपको पता है कि किन हालातों में किसी बीमारी को महामारी घोष‍ित किया जाता है, इसके पीछे के कारण क्या होते हैं. कोई महामारी यानी एपिडेमिक फिर पैनडेमिक यानी वैश्व‍िक महामारी को कब घोषित किया जाता है? इसका क्या फायदा मिलता है? 

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क्या होती है महामारी 

विश्व स्वास्थ्य संगठन की परिभाषा के अनुसार जब कोई बीमारी संक्रमण के जरिये बड़ी संख्या को प्रभाव‍ित करती है और फिर इसका प्रकोप सामान्य की अपेक्षा अधिक होता है तो इसे महामारी (epidemic)घोष‍ित कर दिया जाता है. ये महामारी जब तक किसी एक स्थान, क्षेत्र या जनसंख्या के भूभाग पर सीमित होती है तो ये महामारी की श्रेणी में होती है. किसी बीमारी के महामारी होने की घोषणा उसके कारण होने वाली मौतों और पीड़ितों की संख्या पर भी निर्भर करती है.

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पैनडेमिक किसे कहते हैं 
आपने सुना होगा कि कोरोना को पैनडेमिक भी कहा जाता है. पैनडेमिक यानी वैश्च‍िक महामारी उसे घोष‍ित किया जाता है जब कोई बीमारी एक से ज्यादा देशों और दूसरे महाद्वीपों में भी प्रसारित हो जाए. एक ही समय दुनिया के अलग-अलग देशों में लोगों में फैल रही हो तो ये पैनडेमिक घोष‍ित की जाती है. डब्ल्यूएचओ ने कोरोना को पैनडेमिक इसीलिए घोष‍ित किया था. 

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कभी क‍िसी बीमारी के अचानक फैलने पर ही इसे महामारी नहीं करार दिया जाता है. इसे महामारी घोष‍ित करने की प्रक्र‍िया कठ‍िन है, ये फैसला बहुत सोच समझकर लिया जाता है क्योंकि किसी बीमारी को महामारी घोषित करते ही दुनियाभर में डर का माहौल बन जाता है. महामारी घोषित करने के बाद इस बात का खतरा भी होता है कि डर में लोग पलायन करने लगते हैं. ऐसे लोगों के पलायन करने की वजह से संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. 

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कोरोना को ऐसे घोष‍ित किया गया पैनडेमिक 

साल 2020 की फरवरी के आखिर में डब्ल्यूएचओ के डॉक्टर टेडरोज ने कहा था कि कोरोना वायरस में महामारी बनने की क्षमता है लेकिन अभी ये महामारी नहीं है क्योंकि अभी तक इसके दूसरे देशों में तेजी से फैलने के प्रमाण सामने नहीं आ रहे  हैं. आपको बता दें कि चीन, इटली और ईरान समेत करीब 114 देशों में वायरस फैलने के बाद ही इसे महामारी घोषित किया गया है. 

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महामारी घोष‍ित करने के पीछे की वजह 
जब किसी राज्य या देश में कोई बीमारी महामारी घोष‍ित की जाती है तो इसके पीछे कई वजहें होती हैं. महामारी घोष‍ित होते ही सरकारें और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसियां एलर्ट मोड पर आ जाती हैं. अगर कोई देश या राज्य  इलाज की क्षमता की कमी से जूझ रहे हैं या संसाधनों या इच्छाशक्ति की कमी देखी जा रही है तो उसकी मदद की जाती है. 

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ठीक जैसे जब कोरोना वायरस को पैनडेमिक घोष‍ित किया गया तो डब्ल्यूएचओ ने उम्मीद जताई कि सभी देश इससे बचाव, इलाज और रीसर्च को लेकर कदम उठाएं. देशों में आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र को तत्काल लागू किया जाए और इसकी क्षमता बढ़ाई जाए. ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसके खतरों और बचाव के बारे में बताया जाए. कोरोना वायरस संक्रमण के हर मामले को खोजें, टेस्ट करें, इलाज करें और उनके संपर्क में आए सभी लोगों की पहचान करें.

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बता दें क‍ि कोरोना के गंभीर संकट के बीच देश के कई राज्यों में इस बीमारी के मरीज़ों की संख्या बढ़ने लगी है. सिर्फ राजस्थान में ही ब्लैक फंगस के 700 से अधिक केस हैं, ऐसे में राज्य सरकार सचेत हो गई है. राजस्थान में ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया गया है, जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अधिकारियों को जरूरी एक्शन लेने के निर्देश दिए हैं. पूरे प्रदेश में कुल 700 केस हैं, जबकि सिर्फ एक ही अस्पताल में ब्लैक फंगस के 100 से अधिक मरीज़ हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा राज्यों को चिट्ठी लिखी गई है कि ब्लैक फंगस को महामारी के अंतर्गत शामिल करें, साथ ही इससे जुड़े हर मामले को रिपोर्ट किया जाए. केंद्र ने ICMR और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन्स का पालन करने को कहा है. 

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सिर्फ राजस्थान ही नहीं बल्कि कई राज्यों में ब्लैक फंगस ने चिंता बढ़ाई है. महाराष्ट्र में अबतक इस बीमारी के कारण 90 मरीजों की जान जा चुकी है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली जैसे राज्यों में नियमित अंतराल पर ब्लैक फंगस के मरीज़ मिल रहे हैं. महाराष्ट्र में करीब दो हज़ार से अधिक केस दर्ज किए गए हैं. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे खुद इस मुद्दे को गुरुवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में उठा सकते हैं. महाराष्ट्र ने केंद्र से अपील की है कि तुरंत उसे दवाइयां मुहैया कराई जाए. महाराष्ट्र के हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बारामती में म्युकरमाइकोसिस जांच कैंप लगाए गए हैं, जहां 400 लोगों की जांच हुई जिनमें 16 लोग संक्रमित निकले.

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