दुनिया भर में अक्टूबर माह में ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता माह मनाया जाता है. इस मौके पर आइए कैंसर रोग विशेषज्ञ से जानते हैं ब्रेस्ट कैंसर क्या पुरुषों में भी होता है, स्त्रियों में ब्रेस्ट कैंसर को पहचानने की तकनीक क्या क्या हैं, शुरुआती स्टेज में इसकी पहचान कैसे की जा सकती है. लाइफस्टाइल में क्या बदलाव करके महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से बचाव कर सकती हैं. ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में क्या तकनीकेंं अपनाई जाती हैं, ऐसी ही कई खास जानकारियांं यहांं पढ़ें...
पुणे के जाने-माने मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ मिनीष जैन कहते हैं कि 99 प्रतिशत महिलाओं और एक प्रतिशत मेल में ब्रेस्ट कैंसर होता है. लेकिन पुरुषों में इसकी पहचान एडवांस स्टेज में ही हो पाती है. वहीं ओवर ऑल कैंसर डेथ रेट महिलाओं में 12 प्रतिशत कम होता है. ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में महिलाओं के सामने यह एक बड़ी समस्या आ जाती है क्योंकि अर्ली स्टेज में उनमें इस समस्या की पहचान आसान नहीं होती. लेकिन 40 की उम्र के बाद महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर की जांच लगातार कराते रहना चाहिए.
ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में अपनाई जाती हैं ये 5 खास तकनीकें
- सर्जरी
- हार्मोन थेरेपी
- रेडिएशन थेरेपी
- कीमोथेरेपी
- टारगेटेड थेरेपी
डॉ जैन बताते हैं कि आधे से अधिक आक्रामक स्तन कैंसर नलिकाओं में मौजूद कोशिकाओं में शुरू होते हैं और इन्हें इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा कहा जाता है. लगभग 10% स्तन कैंसर लोब्यूल्स या दुग्ध ग्रंथियों में शुरू होते हैं और इनवेसिव लोबुलर कार्सिनोमा के रूप में जाने जाते हैं. बाकी स्तन कैंसर में बार-बार होने वाले कैंसर शामिल हैं, जिसमें पगेट की बीमारी शामिल है, जो एक प्रकार का कैंसर है जो निप्पल के नीचे की कोशिकाओं में होता है.
स्तन कैंसर के लिए रिस्क फैक्टर
- ये पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा होता है.
- अधिक उम्र में इसकी संभावना ज्यादा होती है.
- स्तन कैंसर में फैमिली हिस्ट्री का भी रोल होता है.
- अधिक मोटापा होने पर इसका जोखिम और बढ़ जाता है.
- छाती में रेडिएशन भी जोखिम बढ़ाता है.
- स्तन कैंसर का खतरा उन महिलाओं में भी अधिक होता है, जिन्होंने 35 साल की उम्र के बाद अपने पहले बच्चे को जन्म नहीं दिया है.
ये भी हैं कारण
- मेनोपॉज के बाद ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
- गर्भनिरोधक गोलियों का प्रयोग भी जोखिम बढ़ाता है.
- हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी भी एक कारण हो सकता है.
- मासिक धर्म जल्दी (12 वर्ष की आयु से पहले) और मेनोपॉज देर से (55 वर्ष की आयु के बाद) होना भी स्तन कैंसर के लिए थोड़ा जोखिम बढ़ाता है.
- जो महिलाएं किसी भी वजह से स्तनपान नहीं करा पातीं.
- रजोनिवृत्ति के बाद गतिहीन जीवन जीने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा थोड़ा बढ़ जाता है.
स्तन कैंसर के लक्षण
स्तन कैंसर में शुरुआती लक्षण नजर नहीं आते हैं, इसलिए एक अवस्था के बाद या किसी भी तरह की आशंका और फैमिली हिस्ट्री होने पर नियमित रूप से स्क्रीनिंग मैमोग्राम करवाना महत्वपूर्ण है.
स्तन कैंसर के कुछ सामान्य लक्षण हैं:
स्तन में गांठ या मांस का दिखना
निपल से सीक्रेशन
स्तन में सूजन
स्तन या निप्पल में लालिमा
स्तन की त्वचा में परिवर्तन, जैसे संतरे के छिलके जैसी खुरदुरी त्वचा दिखना या स्तन में डिंपल नुमा आकृति दिखना.
स्तन कैंसर की जांच के तरीके
स्क्रीनिंग मैमोग्राफी
एमआरआई स्कैनिंग
बायोप्सी
स्तन कैंसर के लिए विशेष जांच
हार्मोन रिसेप्टर की स्थिति जांच
ये भी हैं जांचें
HER2:
यह परीक्षण स्तन कैंसर कोशिकाओं में पाये जाने वाले एक प्रोटीन HER2 की अत्यधिक उपस्थिति को मापता है. यदि परीक्षण पॉजिटिव आता है, तो इस प्रोटीन के लिए लक्षित चिकित्सा दी जाती है.
कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि लंबे समय तक भारी धूम्रपान से स्तन कैंसर का खतरा अधिक होता है. कुछ अध्ययनों में पाया गया कि कुछ समूहों में जिसमें महिलाओं ने अपना पहला बच्चा होने से पहले धूम्रपान शुरू कर दिया था. उनमें ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम अधिक पाया गया. 2014 में अमेरिकी सर्जन जनरल की धूम्रपान पर रिपोर्ट से साफ हुआ कि धूम्रपान से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. अध्ययनों से पता चला है कि तंबाकू के धुएं में रसायन स्तन के ऊतकों तक पहुंचते हैं और कृन्तकों के स्तन के दूध में पाए जाते हैं.