कोरोना की दूसरी लहर से देश के तमाम राज्यों में कोविड-19 पॉजिटिव केसेज बढ़े हैं. इसी भयावहता को देखते हुए केंद्र सरकार ने सीबीएसई बोर्ड दसवीं की परीक्षाएं कैंसिल कर दी हैं. वहीं 12वीं की परीक्षाओं को आगे के लिए पोस्टपोन कर दिया है. ऐसे में अब ये सवाल उठ रहा है कि आखिर सीबीएसई बोर्ड 10वीं के बच्चों को कैसे ग्रेड देकर पास करेगा. सीबीएसई ने जिस ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया की बात की है. उसमें क्या-क्या प्वाइंट्स शामिल हो सकते हैं. aajtak.in ने विशेषज्ञों से बात करके जाना कि आखिर सीबीएसई बोर्ड क्या संभावित तरीके अपनाकर ग्रेड देकर बच्चों को आगे की कक्षाओं में प्रमोट करेगा.
सीबीएसई 10वीं के बच्चों को आगे प्रमोट करने को लेकर अभिभावकों के मन में तमाम तरह के सवाल हैं. वो पूछ रहे हैं कि बिना ऑनलाइन या ऑफलाइन के उनके बच्चों का इवैल्यूएशन कैसे होगा. कैसे उन्हें ग्रेड दिया जाएगा. सीबीएसई ने जिस ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया की बात की है, उसमें इवैल्यूएशन के लिए क्या क्या चीजें शामिल की जाएंगी.
इसके जवाब में सीबीएसई की गवर्निंग बॉडी की सदस्य व शिक्षाविद डॉ ज्योति अरोड़ा ने कहा कि इसमें कोई प्रॉब्लम ही नहीं है. जब तक हम लोग स्कूलों में सीसीई (Continuous and Comprehensive Evaluation (CCE) अपनाते थे तो बच्चों का इससे आसानी से असेसमेंट होता था. बता दें कि सीसीई राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 के तहत आने वाले असेसमेंट की प्रोसेस है.
ज्योति अरोड़ा माउंट आबु स्कूल दिल्ली में प्रिंसिपल भी हैं, वो कहती हैं कि स्कूलों के पास बच्चों के असेसमेंट के कई टूल हैं जो अपनाकर आसानी से ग्रेड दिए जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि दसवीं के फाइनल एग्जाम से पहले दो दो प्री बोर्ड हुए हैं. इसके अलावा हाफ इयरली, प्रोजेक्ट, एसाइनमेंट सभी के आधार पर रिजल्ट बन सकता है. सब स्कूलों के पास अपना रिकॉर्ड इंटेंट है जिसके आधार पर बच्चों का मूल्यांकन करके ग्रेड दी जा सकती है.
एल्कॉन ग्रुप ऑफ स्कूल के डायरेक्टर अशोक पांडेय ने कहा कि सीबीएसई बोर्ड के पास असेसमेंट के तमाम प्रोसेस हैं. उन्होंने कहा कि अगर मुझसे पूछा जाए तो मैं सोचता हूं कि असेसमेंट के तरीकों को चार पहलुओं में बांटकर उसी के आधार पर बच्चों को नंबर और ग्रेड दिए जा सकते हैं. आगे पढ़ें:
पहला पहलू: इसके लिए दसवीं क्लास का इंटरनल असेसमेंट किया जा सकता है जिसमें प्रैक्टिकल व अन्य एग्जाम शामिल हो सकते हैं. इसे 20 से 25 प्रतिशत अंक तय किए जा सकते हैं.
दूसरा पहलू: इसमें पिरियोडिक टेस्ट, हाफ इयरली एग्जम और फार्मेटिव टेस्ट जैसे सारे कंपोनेंट मिलाकर 25 से 30 प्रतिशत अंक से ग्रेड में जोड़ सकते हैं.
तीसरा पहलू: वो कहते हैं कि तीसरे चरण में क्लास नौ के फाइनल एग्जाम के मार्क का असेसमेंट 25-35 फीसदी तक अंक निर्धारित कर सकता है. क्योंकि नौवीं में प्रॉपर क्लासेज में परीक्षा हुई थीं.
चौथा पहलू: छात्रों के समय-सुविधा और सहूलियत को ध्यान में रखकर 10-15 प्रतिशत सब्जेक्ट बेस्ड असेसमेंट ऑनलाइन स्कूल करा सकते हैं.
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इस तरह ये चारों स्टेप मिलाकर 100 पर्सेंट तक की गणना में सहायक होगी. उन्होंने कहा कि बोर्ड कोई भी निर्णय अपनेआप नहीं लेता, बोर्ड भी कुछ इसी के हिसाब से ही ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया तैयार कर सकता है. क्योंकि इससे ये आरोप भी नहीं लगेगा कि बच्चे को बिना असेसमेंट के ऐसे ही पास कर दिया.
स्प्रिंगडेल्स स्कूल, पूसा रोड दिल्ली की प्रधानाचार्य अमिता मुल्ला वत्तल एक जानी-मानी शिक्षाविद हैं. वो कहती हैं कि आज हम नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी लागू करने की तैयारी कर चुके हैं. जिसमें कि रिपोर्ट कार्ड को लेकर काफी गंभीरता से प्वाइंट रखे गए हैं. वो कहती हैं कि लंबे समय से ये बहस चली आ रही है कि क्या तीन घंटे के एग्जाम से किसी बच्चे की काबिलियत और योग्यता को मापा जा सकता है. अब हालातों ने ये एक मौका दिया है जिसमें नई परीक्षा प्रणाली पर बात हो. बच्चें के असेसमेंट का सार्वभौमिक और सर्वग्राही तरीका सामने आए. बोर्ड विशेषज्ञों के साथ इस पर चर्चा करके लगातार काम कर रहा है कि कैसे 10वीं के बच्चों का बिना किसी परीक्षा के मूल्यांकन हो सके. इसमें प्रोजेक्ट वर्क से लेकर टीचर्स की मदद से बच्चों की सही काबिलियत को आंका जा सकता है.