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एजुकेशन न्यूज़

द‍िल्‍ली के स्‍कूलों में CBSE की जगह लेगा ये नया बोर्ड, जानें, इससे क्‍या-क्‍या बदलेगा

प्रतीकात्‍मक फोटो (Getty)
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द‍िल्‍ली के नये श‍िक्षा बोर्ड के गठन को कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है. जल्‍द ही दिल्‍ली सरकार से संबद्ध करीब 1000 स्‍कूलों में जहां केवल CBSE और ICSE बोर्ड की पढ़ाई होती है. अब छात्र दिल्‍ली बोर्ड के संबद्ध स्‍कूलों में दिल्‍ली बोर्ड द्वारा प्रस्‍तावित सिलेबस की पढ़ाई कर सकेंगे. आइए जानें इस बोर्ड के बारे में, क्‍यों सरकार नये बोर्ड का गठन कर रही है, इससे क्‍या बदल जाएगा, इस बोर्ड की क्‍या खासियतें सरकार बता रही है.

प्रतीकात्‍मक फोटो (AP)
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द‍िल्‍ली बोर्ड ऑफ स्‍कूल एजुकेशन (DBSE) सीबीएसई बोर्ड की जगह लेने की पूरी तैयारी कर चुका है. बता दें कि‍ इसकी गवर्निंग बॉडी की अध्‍यक्षता दिल्ली राज्‍य के श‍िक्षा मंत्री करेंगे. इस बोर्ड की एक एग्‍जीक्‍यूटिव बॉडी भी होगी जिसमें सबसे बड़ा पद CEO होगा. इस नये बोर्ड का फोकस कांसेप्‍शुअल लर्निंग और पर्सनैलिटी डेवलपमेंट (वैचारिक शिक्षण और व्यक्तित्व विकास) पर होगा. 

प्रतीकात्‍मक फोटो (AP)
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लंबे समय से द‍िल्‍ली सरकार यह कह रही थी क‍ि देश के अन्‍य राज्‍यों के अपने शिक्षा बोर्ड हैं, लेकिन दिल्‍ली का कोई श‍िक्षा बोर्ड न होने से यहां सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड का सिलेबस लागू रहता है.  सरकार का मानना है कि‍ श‍िक्षा व्‍यवस्‍था में एक वृहद बदलाव की जरूरत है. बता दें कि‍ दिल्‍ली बोर्ड की पढ़ाई 2021-22 सेशन से ही शुरू हो जाएगी. 

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प्रतीकात्‍मक फोटो (Getty)
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नए बोर्ड बनाने के गठन के पीछे 3 लक्ष्य बताए गए हैं. पहला यह कि ऐसे बच्चे तैयार हों जो कट्टर देशभक्‍त हों. इसके अलावा सभी धर्म जाति के बच्चे अच्छे इंसान बनें. सरकार का दावा है क‍ि यह बोर्ड ऐसी शिक्षा देगा जो बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद करेगा, उसे रोजगार देगा. दिल्‍ली सरकार हमेशा से रोजगार परक श‍िक्षा पर जोर देती रही है. 

प्रतीकात्‍मक फोटो (Getty)
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बता दें कि‍ सीबीएसई बोर्ड पहले कभी 'दिल्‍ली माध्‍यमिक शिक्षा बोर्ड' हुआ करता था. फिर 1962 में बोर्ड का पुनर्गठन किया गया जिसके बाद इसे केन्‍द्रीय बोर्ड में विलय कर दिया गया था. इस तरह से दिल्‍ली बोर्ड से मान्‍यता प्राप्‍त सभी शैक्षिक संस्‍थाएं भी सीबीएसई बोर्ड का अंग बन गई थीं. आज सीबीएसई भारत की स्कूली शिक्षा का एक प्रमुख बोर्ड माना जाता है जिससे देश ही नहीं विदेश के भी बहुत से निजी स्कूल सम्बद्ध हैं. 

प्रतीकात्‍मक फोटो (Getty)
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दिल्‍ली का अपना बोर्ड बनाने के पीछे यह तर्क दिया गया क‍ि वर्तमान का शिक्षा तंत्र रटने पर ज़ोर देता है लेकिन नया बोर्ड समझने पर ज़ोर देगा. यही नहीं बच्चों के असिसमेंट के लिए हाई टेक तकनीक का इस्तेमाल होगा. बच्चों को रट्टू तोता नहीं बनाया जाएगा. दिल्ली में ज्यादातर स्कूल CBSE हैं. फिलहाल अभी दिल्ली के शिक्षा बोर्ड को 20 से 25 सरकारी स्कूल से CBSE की पढ़ाई हटाकर लागू किया जाएगा.

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दिल्ली के डिप्टी सीएम और श‍िक्षामंत्री मनीष स‍िसोदिया ने कहा कि फिलहाल इसे 20-25 सरकारी स्‍कूलों में वहां के प्रिंसिपल से बात करके लागू किया जाएगा. एक दो साल में बोर्ड के बेहतर प्रदर्शन के बाद खुद लोगों की दिलचस्पी बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि क्वालिटी एजुकेशन के लिए आज पैरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चों को इंटरनेशनल बोर्ड मिले. ऐसे में हम दिल्ली के शिक्षा बोर्ड को उसी तर्ज पर डेवेलप करेंगे. धीरे-धीरे इसे विकसित किया जाएगा और फिर इसकी मांग बढ़ेगी.  

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मनीष सिसोदिया ने कहा है कि NCERT आदि में जो विषय हैं वही बोर्ड के करीकुलम में होंगे. उसमें कोई बदलाव नहीं होगा. हम बच्चों को सिर्फ किताबें रटने के लिए नहीं कहेंगे, हम उनका समुचित आंकलन करेंगे. वैज्ञानिक ढंग से शिक्षा हो तो अच्छी बात है. रटाने के बजाय चीजों को समझाने पर जोर दिया जाएगा. हम दिल्ली में इंटरनेशनल लेवल का बोर्ड बनाएंगे. सिर्फ बोर्ड बना देना ही हमारा मकसद नहीं है. हम क्वालिटी एजुकेशन के साथ, पूरी पढ़ाई को रिफॉर्म करेंगे. 

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