दिल्ली में एक बार फिर से स्कूल खुलने की घोषणा हो चुकी है. कोरोना के खतरे को देखते हुए सरकार ने सख्त गाइडलाइंस के साथ इसकी अनुमति दी है. इसे लेकर सरकार ने टीचर्स और स्टाफ को वैक्सीन लगाने पर पूरा जोर दिया है. किसी भी बच्चे को स्कूल आने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा, जानें क्या है पूरी गाइडलाइन...
स्कूल खोलने को लेकर सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जो भी स्कूल, कॉलेज, इंस्टिट्यूट खोले जाएंगे, वहां सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन होगा. बिना पेरेंट्स के कंसेंट के किसी भी बच्चे को स्कूल आने के लिए प्रेशर नहीं डाला जाएगा. हर हाल में बच्चों को स्कूल बुलाने के लिए स्कूल अभिभावकों का सहमति पत्र जरूर लें. कोई भी स्कूल बच्चे को अनुपस्थित नहीं करेगा. बच्चे ऑनलाइन या ऑफलाइन क्लासेज में से कोई भी विकल्प चुन सकते हैं.
सरकार ने इस पर स्पष्ट किया है कि कि कई अन्य राज्यों में छठवीं से 12वीं तक के स्कूलों को खोला जा चुका है. लगभग ज्यादातर राज्यों में स्कूल फिर से शुरू हो चुके हैं. दिल्ली में भी एक सितंबर से स्कूल खोल दिए जाएंगे. इसके अलावा, कक्षा छह से 8वीं के स्कूल 8 सितंबर से खुल जाएंगे. वहीं, अन्य क्लासेस को खोलने पर सवाल किया गया तो सिसोदिया ने कहा कि बाकी क्लासेस के बारे में अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है. अभी स्कूलों को खोलने के बाद कैसा बिहेवियर होता है, प्रोटोकॉल्स का किस तरह से पालन हो पाता है. यह सब देखने के बाद ही फैसला लिया जाएगा. उन्होंने बताया कि हमने स्कूल को खोलने को लेकर हजारों अभिभावकों से प्रतिक्रिया मांगी थी, जिसमें ज्यादातर का मत यही था कि स्कूलों को खोल दिया जाए. वहीं, स्कूल अब भी बंद रखे जाएं कहने वालों की संख्या काफी कम थी.
दिल्ली में स्कूलों को खोलने को लेकर सरकार के फैसले पर दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. एसोसिएशन की प्रेसिडेंट अपराजिता गौतम ने कहा कि क्योंकि दिल्ली सरकार, नीति आयोग की रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर रही है तो सरकार बच्चों की सारी जिम्मेदारी शपथ पत्र ज़ारी करके उठाए. पेरेंट्स का बहुमत स्कूलों के खुलने के खिलाफ है तो किन पेरेंट्स को ध्यान में रखते हुए सरकार इतना खतरनाक निर्णय ले रही है.
ऐसोसिएशन का कहना है कि सरकार का दावा था कि अधिकांश सरकारी स्कूलों के पेरेंट्स स्कूल खुलने के पक्षधर हैं, तो स्कूलों के खुलने पर मात्र 10% बच्चे ही स्कूल क्यों जा रहे हैं? दूसरे राज्यों में क्या हो रहा है हमें इससे मतलब नहीं लेकिन दिल्ली की जनता ने दूसरी वेव में मौत का आतंक देखा है जिसके चलते सरकार पर से विश्वास उठ गया है. हमें तो लगता है सरकार प्राइवेट स्कूलों के दबाव में आकर स्कूलों को खोलने ला निर्णय ले रही है, जिससे वो पेरेंट्स से सभी मदों की फीस उगाही कर सकें.
अपराजिता ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर के चलते कई राज्यों में स्कूलों को खोले जाने के नकारात्मक परिणाम हमारे सामने हैं. दिल्ली अभिभावक संघ द्वारा करवाए गए पोल के अनुसार दिल्ली के 79% अभिभावक स्कूलों के खुलने के विरोध में हैं क्योंकि बेशक वो जानते हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई सामान्य स्कूल की तरह नहीं है परंतु बच्चे सुरक्षित हैं. ये सरकार की विफलता ही है जो पेरेंट्स के बीच इतना विश्वास नहीं बना पाई.
एसोसिएशन ने कहा कि हम ऐसी सभी समितियों को सिरे से खारिज करते हैं जहां पेरेंट्स की भागीदारी शून्य है. इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी, यदि सरकार स्कूलों को खोलने का मन बना ही लिया है तो सरकार और स्कूलों को बच्चों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी कोर्ट में एफिडेविट देकर लेनी चाहिए. इसके अलावा स्कूल के सभी टीचर्स व कर्मचारियों के पूर्ण टीका प्रमाणपत्र स्कूल की वेबसाइट पर अपलोड हों.
पेरेंट्स एसोसिएशन ने यह शर्त भी दी है कि स्कूलों में covid सुरक्षा कमिटी पेरेंट्स को साथ लेकर गठित करनी चाहिए, जो नियमित रूप से स्कूल का निरीक्षण कर कोविड प्रोटोकॉल/ कोविड एप्रोप्रियेट बेहेवियर सुनिश्चित कर सके. इसके अलावा सरकार एक आपातकालीन नंबर ज़ारी करे और शिकायत पर तुरंत कार्यवाही हो, और एक भी केस आने पर स्कूल तुरंत 14 दिनों के लिए बंद हो.
दिल्ली सरकार ने घोषणा की है कि 1 सितंबर से दिल्ली के स्कूल फिर से खुलेंगे. इस पर अभिभावक डॉ जिज्ञासा गोविल (स्त्री रोग विशेषज्ञ, नोएडा) ने कहा कि मेरा बेटा ग्रेड XI में अहल्कोन इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ता है. एक मां और डॉक्टर दोनों ही रूप में, मेरा दृढ़ मत है कि कोविड टीकाकरण के बाद ही स्कूलों को ऑफलाइन क्लास के लिए फिर से खोला जाना चाहिए. सभी ने COVID की विनाशकारी दूसरी लहर का अनुभव किया है और एक अभिभावक के रूप में कोई भी अपने बच्चे की सुरक्षा को कभी भी जोखिम में नहीं डालना चाहेगा.
अभिभावक परमजीत कहते हैं कि जिस तरह तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है, स्कूल खोलना बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. स्कूल में टीचर पढ़ाने के साथ साथ सभी बच्चों पर इस तरह नजर नहीं रख सकते. वहीं अभिभावक अमित गुप्ता ने कहा कि मेरी नजर में सरकार ने यह सही फैसला लिया है. अब जब 2021-22 में ऑफलाइन एग्जाम की घोषणा हो चुकी है, ऐसे में बच्चों को स्कूल में बुलाकर पढ़ाना ही ठीक रहेगा.