कोरोना की दूसरी लहर ने कई बच्चों से माता-पिता का साया भी छीन लिया है. ऐसे में सवाल होता है कि आखिर इन बच्चों की जिम्मेदारी कौन संभालेगा. अगर आपके आसपास ऐसा कोई बच्चा है जिसके सामने ये मुसीबत आ गई है और आप उसे अपनाना चाहते हैं या उसे सुरक्षित हाथों में सौंपना चाहते हैं तो क्या कदम उठा सकते हैं... क्या है पूरी कानूनी प्रक्रिया आइए जानें....
अनाथ बच्चों के लिए कई सालों से काम कर रही प्रयास संस्था के निदेशक विश्वजीत घोषाल ने aajtak.in से बताया कि हमारी संस्था के संज्ञान में दिल्ली बिहार राजस्थान से जो मामलेआ रहे हैं, उन्हें हम देख रहे हैं. इस समय ये कठिन समस्या है कि माता पिता के जाने के बाद बच्चे को प्रॉपर प्रोटेक्शन और इमोशनल सपोर्ट की बहुत जरूरत होती है. ऐसे समय में एक्सटेंडेंड फैमिली भी मदद के लिए सामने आ रही हैं. लेकिन फैमिली, दोस्तों या पड़ोस में कोई भी ऐसे बच्चों को अपनाना चाहता है तो उन्हें कानूनी प्रक्रिया जरूर पता होनी चाहिए.
क्या है फॉस्टर केयर का सिस्टम
कोरोना के दौरान ऐसे भी केसेज सामने आ रहे हैं जिसमें बच्चों को देखने वाला कोई नहीं है. ऐसे मामलों को देखने के लिए चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट डीएम से मिलकर काम कर रही हैं. इन बच्चों को होम फॉर शेल्टर में भेजने की पूरी प्रक्रिया की जाती है जहां से बच्चों को कोई गोद लेकर पाल सकता है. इन बच्चों को पूरी कार्यवाही के बाद गोद लेकर कोई भी उनका फॉस्टर पेरेंट बन सकता है, लेकिन इसके लिए उन्हें CARA की तय गाइडलाइन का पूरा करना जरूरी है.
विश्वजीत बताते हैं कि उनके पास बिहार केअररिया, आरा, दरभंगा, दिल्ली के बवाना से जो केसेज आए हैं उनमें भी कार्य चल रहा है. अगर कोई रिलेटिव लेता है तो उन्हें सीडब्ल्यूसी के सहयोग से फॉस्टर केयर में लेना होगा. वो कहते हैं कि ऐसे मामलों में आप लोकल पुलिस से भी संपर्क कर सकते हैं. इससे वो बच्चा बाल संरक्षण कानून के तहत रिकॉर्ड हो जाता है. या आप 1098 पर कॉल करते हैं तो टीम जाती है. इसके बाद अपना सारा रिकॉर्ड चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सामने रखकर उसे गोद ले सकते हैं.
भारत में CARA (Central Adoption Resource Authority) के जरिये एडॉप्शन की पूरी गाइडलाइन दी गई है. अगर आप बच्चे को गोद लेने का मन बना रहे हैं तो सबसे पहले वेबसाइट www.cara.nic.in पर जाकर पूरी गाइडलाइन पढ़ें. यहां एडॉप्शन की जो प्रक्रिया है, उसे फॉलो करना होगा. कारा में आपको तय रजिस्ट्रेशन फीस के अलावा किसी भी तरह का भुगतान नहीं करना होगा. गाइडलाइन के अनुसार भावी दत्तक माता-पिता का शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से स्थिर और आर्थिक रूप से सक्षम होना जरूरी है. ताकि किसी भी नई जिंदगी के लिए भविष्य में चिकित्सीय स्थिति के लिए खतरा न हो.
कोई भी भावी दत्तक माता-पिता, चाहे उसकी वैवाहिक स्थिति कुछ भी हो और उसका बायोलॉजिकल बेटा या बेटी है या नहीं, सभी को इन शर्तों के अधीन बच्चे को गोद लेने का नियम है.
-विवाहित जोड़े के मामले में, गोद लेने के लिए दोनों पति-पत्नी की सहमति की आवश्यकता होगी.
-एक सिंगल महिला किसी भी जेंडर के बच्चे को गोद ले सकती है.
- एक सिंगल पुरुष बेटी को गोद लेने के योग्य नहीं होगा.
दंपत्ति को तब तक कोई बच्चा गोद नहीं दिया जाएगा जब तक कि उनका कम से कम दो साल का स्थिर वैवाहिक संबंध न हो. इसके अलावा संभावित गोद लेने वाले माता-पिता की आयु, पंजीकरण की तारीख के अनुसार, पात्रता तय करने के लिए गिना जाएगा और विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों के लिए आवेदन करने के लिए भावी दत्तक माता-पिता की योग्यता अलग अलग होगी.
कितनी उम्र जरूरी
कारा के नियमों के अनुसार बच्चे और भावी दत्तक माता-पिता में से किसी के बीच न्यूनतम आयु का अंतर पच्चीस वर्ष से कम नहीं होना चाहिए. वहीं अगर सौतेले माता या पिता या रिश्तेदार दत्तक बच्चा गोद लेते हैं तो इस मामले में भावी दत्तक माता-पिता के लिए आयु मानदंड लागू नहीं होंगे. इसके अलावा कारा में विशिष्ट नियम ये भी है कि जिन पेरेंट्स के पहले ही तीन या चार बच्चे हैं, वो किसी भी हाल में बच्चे को गोद नहीं ले सकते.