कई बार ऐसे केस सामने आते हैं जिनमें लोग सुविधा संपन्न होते हुए भी छोटी-मोटी चोरी करते हैं. ऐसे पेशों के लोगों ने भी चोरी करके हैरान कर दिया है जो कि बहुत सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारियों वाले बड़े पदों पर थे. लेकिन, क्या आपको पता है कि कई बार लोग न चाहते हुए भी खुद को चोरी करने से रोक नहीं पाते. यह उनके लिए एक मजबूरी जैसा होता है. इसकी एक वजह हमारे मानसिक विकार से जुड़ी हुई है. आइए जानते हैं, वो क्या है.
असल में ऐसे लोग जो खुद को चीजें चुराने से रोक नहीं पाते. और कई बार ऐसे लोग चोरी करके चीजें वापस भी करते पाए गए. लेकिन चोरी करते वक्त उनकी मानसिक अवस्था ऐसी थी कि वो खुद को चोरी से रोक नहीं पाए. मनोचिकित्सा की दुनिया में इसे एक मनोविकार की श्रेणी में रखा जाता है जिसमें अवसाद और अन्य लक्षणों के साथ चोरी करने का भी एक सिंप्टम नजर आता है.
IHBAS दिल्ली के मनोचिकित्सक डॉ ओमप्रकाश कहते हैं इस मनोविकार को क्लेप्टोमैनिया कहते हैं. ऐसे मनोरोगियों की पहचान करके उनमें अपराध की भावना को चिकित्सा द्वारा हटाया जाता है. इसे कानूनी बचाव के रूप में भी उपयोग किया जाता है. सिंगापुर के इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ में 2010 में एक साल में फोरेंसिक मनोरोग मूल्यांकन के जरिये चोरी के अपराधियों के केस नोट्स की स्टडी में तीन रोगियों का पता चला, जिन्हें क्लेप्टोमेनिया की शिकायत थी.
मनो विकार विशेषज्ञों के अनुसार क्लिप्टोमीनिया के रोगी के मस्तिष्क में केमिकल इफेक्ट के चलते एड्रिनल का लेवल बढ़ जाता है. इससे उनके भीतर कुछ चुरा लेने की तीव्र इच्छा होती है. उन्हें लगता है कि ऐसा करने से उनके अवसाद और तनाव में कुछ कमी आ जाएगी.
असल में वो स्थिति किसी तरह उनके मस्तिष्क के कंट्रोल में ही नहीं होती. क्लिप्टोमीनिया से ग्रसित व्यक्ति की मानसिक स्थिति विशेष आवेग से जुड़ी होती है. आवेग के समय रोगी खुद को इम्पल्सिव या अत्याधिक हाई महसूस करता है और उसकी इच्छा होती है कि वह चोरी कर ले. आवेग के दूसरे स्तर पर रोगी चोरी करता है. तीसरे स्तर पर रोगी चोरी करके राहत महसूस करता है.
क्लेप्टोमेनिया के लक्षण
जिन चीजों की आपको आवश्यकता नहीं है, उन्हें चुराने के लिए मन में आ रहे शक्तिशाली आग्रह का विरोध करने में असमर्थ पाते हैं.
बढ़ते तनाव, चिंता या उत्तेजना के कारण चोरी तक बात बढ़ जाती है.
चोरी करते समय खुशी, राहत या संतुष्टि महसूस करना.
चोरी के बाद भयानक अपराध, पछतावा, आत्म-घृणा, शर्म या गिरफ्तारी का डर महसूस करना
डॉ ओमप्रकाश कहते हैं कि क्योंकि क्लेप्टोमैनिया होने का कारण स्पष्ट नहीं है, यह अभी तक ज्ञात नहीं है कि इसे किसी निश्चित इलाज के साथ कैसे रोका जाए. चोरी करने में मजे का भाव और खुद को न रोक पाने जैसे लक्षण दिखते ही मनोचिकित्सक से उपचार करवाने से क्लेप्टोमेनिया को बदतर होने से रोकने और कुछ नकारात्मक परिणामों को रोकने में मदद मिल सकती है.