The Lancet की हालिया स्टडी चौंकाने वाली है. बीते 29 सालों में पूरे देश में सिर दर्द, स्ट्रोक, मिर्गी जैसे कई न्यूरोलॉजिक स्ट्रेस के दबाव दोगुने हो गए हैं. इसके पीछे तमाम ऐसी वजहें हैं जो हमारी नासमझी और लापरवाह जिंदगी जीने का नतीजा कही जाएंगी. जिस तरह आज पूरी दुनिया कोरोना को लेकर संजीदा हुई है, वैसे ही हमें न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के लिए गंभीर होना होगा. थोड़ा ठहरकर सोचना होगा कि अब कैसे संभल सकते हैं. स्टडी में शामिल डॉक्टर से जानिए इसके पीछे के कारण और निदान...
AIIMS नई दिल्ली में मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ राजेश सागर भी द लैंसट के इस सर्वे टीम का हिस्सा रहे हैं. aajtak.in से बातचीत में डॉ राजेश सागर ने बताया कि ये स्टडी पूरे देश और सभी राज्यों के लिए की गई है. जिसमें पाया गया है कि भारत में न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का बोझ 29 सालों में यानी कि 1990 से साल 2019 तक जस्ट डबल हो गया है. उन्होंने इसके पीछे की वजहों और निदान पर भी चर्चा की.
डॉ राजेश सागर ने बताया कि न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का 29 साल पहले जो बोझ 4 प्रतिशत था वो डबल होकर अब 8.2 हो गया है. इसमें सबसे ज्यादा 37 फीसदी बोझ स्ट्रोक का है जिसे फालिज कहते हैं. इसके बाद नंबर दो पर सिरदर्द है जोकि 17 प्रतिशत है. इसके बाद तीसरे स्थान पर एपिलेप्सी यानी मिर्गी है. फिर इसी क्रम में सेरेब्रल पाल्सी और इंसेफलाइटिस हैं.
उन्होंने कहा कि लेकिन स्टडी में जो सुखद आंकड़ा सामने आया है उसके अनुसार बच्चों में इंफेक्शन का जो बोझ था, वो घटा है. पहले न्यूरोलॉजी में जो कंडिशन थी, उसमें पांच साल की उम्र में इंफेक्शन की दर चार प्रतिशत थी जो अब घटकर एक प्रतिशत हो गई है.
द लैंसेट की स्टडी में एक्सीडेंट या अन्य तरीकों से चोट लगने पर इंजरी से ब्रेन तक समस्याएं पहुंचने की प्रतिशत दर .2 से .9 हो गई है. वो कहते हैं कि हमें अगर इंजरी से हो रही न्यूरोलॉजिक समस्याओं से बचना है तो उसके लिए बहुत एहतियात बरतनी होगी. अगर चोट लगती है तो उससे बचाव करें. इसके अलावा बच्चों को लेकर भी ध्यान रखना चाहिए कि प्री मेच्योर बच्चे न हों, डिलीवरी सही कराएं और एंटीनेटल केयर भी सही होनी चाहिए.
क्या हैं रिस्क फैक्टर
सिरदर्द से लेकर फालिज होने तक ये न्यूरोलॉजिकल समस्याएं बढ़ाने के पीछे रिस्क फैक्टर हमारी सामान्य मानी जाने वाली बीमारियां हैं जैसे कि हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापा. डॉ राजेश सागर का कहना है कि ये वो समस्याएं हैं जो हमारी लाइफस्टाइल से पैदा होती हैं. हमें हर हाल में इस पर कंट्रोल करना जरूरी है. अगर हम अपने ब्लड प्रेशर, मोटापा और डायबिटीज को कंट्रोल रखते हैं तो ये न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का संकट अपने आप कम हो जाता है.
बचाव के लिए क्या करें
इसके बचाव के लिए आपको ठीक इसी पल से सचेत होना है. अगर हम अपनी जीवनशैली को थोड़ा सा भी बदल दें और कुछ चीजें आहार और व्यवहार में शामिल कर लें या घटा दें तो आप बहुत सी न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से बच सकते हैं. अगर आहार की बात करें तो आपको हाई ब्लड प्रेशर के लिए जरूरी है कि नमक का सेवन कम करें. इसके अलावा तली हुई चीजें कम खाएं जिससे मोटापा कंट्रोल रहे और डायबिटीज का खतरा कम करने के लिए भी अच्छी लाइफस्टाइल जरूरी है. इसके अलावा स्ट्रेस फ्री लाइफ भी न्यूरोलॉजिकल तौर पर फिट रहने के लिए भी बहुत जरूरी है.