बिहार के एग्जिट पोल में आगे चल रहे तेजस्वी यादव के सीएम बनने को लेकर जारी चर्चा के साथ ये चर्चा भी तेज है कि वो राज्य के सबसे युवा सीएम होंगे. लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि तेजस्वी भले ही अपने राज्य के युवा सीएम बन रहे हों, लेकिन 30 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बनकर हसन फारुख ने ये रिकॉर्ड अपने नाम किया था. आइए जानें उनके बारे में.
प्रखर वक्ता और राजनीति की पैनी समझ रखने वाले बिहार की राजनीति में लालू यादव के उत्तराधिकारी के तौर पर उनके बेटे तेजस्वी यादव को देखा जाता है. लालू यादव के बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव का जन्म 9 नवंबर 1989 को हुआ था. वो आज 31 साल के हो गए. लेकिन फारुख हसन ने 30 साल की उम्र में ही ये पद संभाल लिया था.
हसन फारुख का नाम एम.ओ.एच. फारुख मारिकर है. उनका जन्म 6 सितंबर 1937 को हुआ था. महज 30 साल की उम्र में 1967 में वो पहली बार पुदुचेरी के मुख्यमंत्री बने. वह भारत के किसी भी राज्य में सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने वाले राजनेता हैं.
फारुख साल 1991, 1996 और 1999 में लोकसभा चुनाव जीतकर ससंद भवन पहुंचे. पी.वी.नरसिम्हा राव की सरकार में 1991-1992 में फारुख को सिविल एविएशन एंड टूरिज्म मिनिस्ट्री का पदभार देकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी शामिल किया गया.
सिर्फ राजनीति ही नहीं बल्कि वो विदेशी मामलों में भी गहरी पकड़ रखते थे. इसी के चलते साल 2004 में फारुख सउदी अरब में भारतीय राजदूत बनाकर भेजे गए. इसके बाद 2010 में उन्हें झारखंड का गवर्नर बनाया गया. इसके एक साल बाद 2011 में वो केरल के गवर्नर बने. साल 2012 में एक दिन ऑफिस में फारुख की तबीयत अचानक बिगड़ी. चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में 26 जनवरी 2012 को उन्होंने अंतिम सांस ली.
तेजस्वी और हसन फारुख की राजनीतिक यात्रा भी एकदम अलग है. तेजस्वी ने जहां खिलाड़ी के तौर पर अपना करियर शुरू किया था, वहीं हसन फारुख ने एक छात्र के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और फ्रांसीसी शासन से पांडिचेरी (अब पुदुचेरी) की मुक्ति के लिए संघर्ष में भाग लिया. उन्होंने 1964 में विधान सभा में अपनी पहली प्रविष्टि दर्ज की और 1991 तक यहां डटे रहे. इस अवधि के दौरान, उन्होंने 1964 से 1967 और 1980 से 1985 तक पांडिचेरी विधान सभा के अध्यक्ष और 1990 में विपक्ष के नेता के रूप में कार्य किया. वो पुडुचेरी के तीन बार सीएम रहे.
फारुख ने सीएम रहते हुए पुडुचेरी के विकास के लिए काफी काम किया. वहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहते उन्होंने लॉस्पेट के साथ-साथ पांडिचेरी विश्वविद्यालय, और पुडुचेरी हवाई अड्डे की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. अब बिहार की जनता अपने नए सीएम से भी विकास की कई उम्मीदें लगाए है. अगर ये जिम्मेदारी तेजस्वी को मिली तो उनसे भी युवाओंं को उम्मीद होगी.
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव को महज 26 साल की उम्र में बिहार का उप मुख्यमंत्री बनने का श्रेय भी मिल चुका है. बता दें कि राजनीति में एंट्री से पहले तेजस्वी यादव क्रिकेट की दुनिया में थे. उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी में भी झारखंड का प्रतिनिधित्व किया था.
वो 2008 से 2012 तक चार साल IPL टीम का भी हिस्सा रहे, वो दिल्ली डेयरडेविल्स टीम में थे. लेकिन उन्होंने आईपीएल में एक भी मैच नहीं खेला. इसका जिक्र स्वयं उनके पिता सदन तक में कर चुके हैं. एक मुद्दे पर बोलते हुए लालू प्रसाद ने कहा था कि मेरा बेटा तेजस्वी दिल्ली की टीम का हिस्सा है, लेकिन उसने अब तक खिलाड़ियों को मैदान पर पानी की बोतलें ही पहुंचाई हैं. वे उसे खेलने का मौका नहीं देते हैं.