कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बनी खतरनाक स्थिति को देखते हुए भारत में CBSE, ICSE समेत कई राज्य बोर्डों ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा कैंसिल कर दी. वहीं पाकिस्तान में छात्रों और अभिभावकों की मांग के बावजूद सरकार बोर्ड एग्जाम कराने को लेकर सख्त है. यहां दसवीं और 12वीं के एग्जाम कैंसिल नहीं हुए हैं. पाकिस्तान सरकार ने दस जुलाई से बोर्ड परीक्षाएं कराने का फैसला किया है, लेकिन इस फैसले के साथ साथ छात्रों को कुछ सहूलियत भी दी है.
पाकिस्तान के फेडरल बोर्ड ऑफ इंटरमीडिएट एंड सेकेंडरी एजुकेशन (FBISE)ने घोषणा की है कि मैट्रिक और इंटरमीडिएट कक्षाओं के लिए परीक्षाएं 10 जुलाई से शुरू होंगी. समा टीवी की रिपोर्ट के अनुसार एफबीआईएसई के अध्यक्ष कैसर आलम ने इस्लामाबाद में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पहली बार बोर्ड परीक्षाओं में डिजिटल अटेंडेंस की शुरुआत हो रही है. इससे न तो अब किसी परीक्षा का पेपर गायब होगा और न ही उपस्थिति का कोई इश्यू बनेगा.
FBISE के अध्यक्ष के अनुसार अगर कोई छात्र परीक्षा में शामिल नहीं होता है तो उनके पेरेंट्स को एसएमएस के माध्यम से अलर्ट भेजा जाएगा. इसके अलावा इस बार परीक्षा पत्रों में ई-मार्किंग भी होगी. इसके बाद रिजल्ट भी एक महीने के भीतर तैयार करने की संभावना है.
बता दें कि जून की शुरुआत में ही सरकार ने कक्षा पांच, आठ, नौ, 10, 11 और 12 की परीक्षा आयोजित करने का फैसला किया था, इसके अलावा अन्य सभी ग्रेड के छात्रों को बिना परीक्षा के उत्तीर्ण किया जाएगा. यही नहीं पाकिस्तान में जिन जिन शहरों में कोरोना वायरस संक्रमण दर कम हैं, वहां शैक्षणिक संस्थान फिर से खुल गए हैं. यहां 50% उपस्थिति के साथ छात्रों को वैकल्पिक आधार पर बुलाया जा रहा है.
बोर्ड एग्जाम कराने को लेकर सरकार ने अनुमति जरूर दी है लेकिन इसके साथ ही सरकार ने कई सहूलियत भी दी है. पाकिस्तान के संघीय शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण मंत्री शफकत महमूद ने बीते सप्ताह कहा कि छात्रों की सुविधा के लिए मैट्रिक और इंटरमीडिएट स्तर के सिलेबस को कम कर दिया गया है, बता दें कि बोर्ड परीक्षा अब 10 जुलाई के बाद आयोजित की जाएगी.
सरकार ने तय किया है कि इस साल बोर्ड परीक्षाएं अब केवल ऑप्शनल सब्जेक्ट और गणित के लिए होगी, जबकि इंटरमीडिएट के छात्रों के लिए वे केवल वैकल्पिक विषयों के लिए आयोजित किए जाएंगे. बता दें कि साल 2020 में भारत में पैनडेमिक के बढ़ते खतरों को देखते हुए सीबीएसई 10वीं-12वीं परीक्षाएं रोक दी गई थीं. फिर बाद में 12वीं के लिए कुछ ऑप्शनल सब्जेक्ट की परीक्षाएं ही हुई थीं.
ऑप्शनल सब्जेक्ट की एग्जाम कराने का उद्देश्य उन छात्रों को सुविधा प्रदान करना है जिनके पास अलग-अलग स्ट्रीम हैं, जिससे उन्हें अपनी रुचि के विषय को आगे बढ़ाने का मौका मिलता है. कई छात्रों ने सरकार से कहा था कि उनका सिलेबस पूरा नहीं हो सका. छात्रों की शिकायतों पर विचार करते हुए सरकार ने कहा कि ऐसा स्कूलों के बार-बार बंद होने और खोलने के कारण हुआ है. इन्हीं शिकायतों को देखते हुए सरकार ने कम सिलेबस और ऑप्शनल विषयों के एग्जाम कराने का निर्णय लिया है.
देखा जाए तो पाकिस्तान में भी कोरोना थर्ड वेव में बच्चो को खतरे को लेकर पेरेंट्स काफी डरे हुए हैं. लेकिन यहां सरकार ने पहले ही साफ कर दिया था कि मई के अंतिम सप्ताह में बैठक के बाद स्थितियों का जायजा लेने के बाद ही ये फैसला लिया जाएगा. अब सरकार ने जब स्पष्ट कर दिया है कि हर हाल में 9वीं से 12वीं तक के एग्जाम लिए जाएंगे, इसके लिए कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाएगा.