सोशल मीडिया पर हर कोई आज मिर्जापुर जिले के एक छोटे से गांव की रहने वाली सानिया की तारीफें करते नहीं थक रहा. सानिया ने वायु सेना में भारत की पहली मुस्लिम महिला फाइटर पायलट बनने का गौरव हासिल किया है. उन्होंने एनडीए की परीक्षा में 148वीं रैंक हासिल की है. उनकी इस सफलता के पीछे उनके टीवी मैकेनिक पिता शाहिद का बड़ा रोल है. aajtak.in से बातचीत में शाहिद ने सानिया की उस पूरी यात्रा का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि कैसे 12वीं पास करने के बाद बेटी से जब मैंने उसका सपना पूछा तो उसके जवाब ने मुझे पूरी तरह बदल दिया. मैंने उसकी तैयारी में पूरी मदद की, अपनी मेहनत लगन और संघर्ष से आज वो इस मुकाम पर पहुंची है. पढ़िए- सानिया की पूरी कहानी.
सानिया मिर्जा देहात कोतवाली थाना क्षेत्र के छोटे से गांव जसोवर की रहने वाली हैं. उनके पिता शाहिद टीवी मैकेनिक का काम करते हैं. शहर की एक दुकान पर वो एलईडी टीवी सुधारने का काम करते हैं. महीने में बमुश्किल वो 15 से बीस हजार है, इसमें पूरे परिवार का पेट पालना पड़ता है. सानिया के अलावा एक बेटे को भी वो पढ़ा रहे हैं. शाहिद कहते हैं कि मैं पहले नहीं समझ पाया था कि बेटी इतना बड़ा लक्ष्य हासिल कर लेगी, लेकिन दसवीं के बाद मुझे पूरी तरह अहसास हो गया था कि मेरी बेटी में कुछ तो खास बात है.
शाहिद कहते हैं कि जब सानिया ने अपना स्कूल टॉप किया तो मुझे लगा कि बेटी में कुछ तो बात है जो इस तरह कंपटीशन में टॉपर है. बिना ट्यूशन या गाइडेंस के उसने स्कूल टॉप कर लिया. फिर इसके बाद सानिया ने मिर्जापुर के गुरु नानक गर्ल्स इंटर कॉलेज से 12वीं की परीक्षा में जिला टॉपर बनीं. मैंने उसी दिन बेटी से पूछा कि अब तुम आगे क्या करियर बनाना चाहती हो तो वो बोली कि मैं फाइटर पायलट बनूंगी. शाहिद कहते हैं कि मैंने उससे पूछा कि ये कर पाओगी? इस सवाल का मुझे जो जवाब मिला, उसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया और मैंने उसी दिन ठान लिया कि अब बेटी का सपना पूरा कराने के लिए मैं दोगुनी मेहनत करूंगा लेकिन उसे रोकूंगा नहीं.
बेटी ने आपको क्या जवाब दिया था? इस पर शाहिद बताते हैं कि बेटी सानिया ने मुझसे कहा कि कुछ भी असंभव नहीं है. लड़का या लड़की होने से कोई फर्क नहीं पड़ता. अगर देश की पहली फाइटर पायलट महिला बन सकती है तो मैं क्यों नहीं बन सकती. उसने कहा कि अवनि चतुर्वेदी को मैं अपनी प्रेरणा मानती हूं और उन्हीं की तरह ही मैं एक दिन बनकर दिखा दूंगी. उस दिन ही मुझे यकीन-सा हो गया था कि मेरी बेटी ने जो कहा है वो करके दिखाएगी. इसीलिए मैंने उसे तैयारी कराना शुरू कर दिया था.
सानिया ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई घर से की, वो बिना कोचिंग की मदद से स्कूल टॉपर बनीं. शाहिद कहते हैं कि बेटी को गणित सबसे प्रिय विषय है. वो खाली समय में भी मैथ के सवाल हल करती थी. एक साल परीक्षा में सफल न होने बाद बीती . 10 अप्रैल को वह एनडीए परीक्षा 2022 के लिए बैठी थीं. एग्जाम क्लियर करने के बाद वह अपने इंटरव्यू की तैयारी के लिए अकादमी में शामिल हो गई. आखिरकार उन्होंने सफलता हासिल की. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सानिया 27 दिसंबर, 2022 को पुणे में एनडीए खडकवासला में शामिल होंगी.
शाहिद कहते हैं कि गांवों में मुस्लिम समाज में बेटियों को करियर के लिए बहुत प्रेरित नहीं किया जाता. आज भी हम सब तय रूढ़ियों में चल रहे हैं. लेकिन जब से सानिया का सेलेक्शन हुआ है, जिस जिस को पता चलता है वो तारीफ कर रहा है. अब मुस्लिम समाज के लोग भी बेटी की उपलब्धि की सराहना कर रहे है. जसोवर ग़ांव के मुसलमानों का कहना है कि वो भी बेटियों की पढ़ाएंगे. अगर मौका दिया तो उनकी बेटी भी सानिया की तरह ही कुछ करके दिखाएगी.
फिलहाल, सानिया भी अपनी सफलता को लेकर बहुत गौरवान्वित महसूस कर रही हैं. उन्हें अपनी जैसी तमाम बेटियों के सामने नजीर की तरह लिया जा रहा है. ये बात उनका हौसला और बढ़ाती है. वो अब फाइटर पायलट बनकर अपने परिवार के लिए बहुत कुछ करना चाहती हैं. उन्हें म्यूजिक का शौक है, पियानो और गिटार बजाना पसंद है, वो अपने सभी सपने पूरा करना चाहती हैं. अभी बेहद गरीब परिवार है जहां पिता शाहिद जो कभी मदरसे में पढ़ाते थे. नौकरी छूटी तो वह परिवार चलाने के लिए दुकान पर टीवी मैकेनिक का काम करने लगे. परिवार में कोई भी पायलट नहीं है, यहां तक कि अभी तक कोई हवाई जहाज पर भी नही बैठा है. सानिया अब सबका सपना पूरा करना चाहती हैं.