कोरोना ने स्कूल लाइफ को पूरी तरह बदल दिया है. अब कोरोना के बाद की न्यू नॉर्मल लाइफ एकदम अलग है. बच्चों को खेलकूद से अलग सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बैठना, टिफिन शेयर न करना, स्कूल में साथ साथ न खेलना और पूरे टाइम मास्क में बैठना एकदम अलग अनुभव है. कोरोना से बचाव और ऐसे माहौल के लिए बच्चों को तैयार करना पेरेंट्स की ही जिम्मेदारी है. जानिए- इस न्यू नॉर्मल लाइफ के लिए बच्चों को कैसे तैयार करना है.
गर्मी की छुट्टियों के पूरे दौर में बच्चों के सोने-जागने और खेलने का कोई रूटीन नहीं रहा है. अब स्कूल खुलने के बाद उमस भरी गर्मी में फिर से नये रूटीन में ढालने की तैयारी करानी होगी. बच्चों को कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन कैसे करना है, कैसे सोशल डिस्टेंसिंग के साथ क्लास करनी है इसके लिए बच्चों को अभिभावकों को ही तैयारी करानी होगी. इसके लिए अभिभावक सेहत का ध्यान रखते हुए उनकी रूटीन इस तरह से बनाएं.
अब जब स्कूल खुलने की पूरी तैयारी हो चुकी है तो यही सही वक्त है कि माता-पिता उन्हें फिर से पहले जैसी लाइफ में जाने के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार करें. IHBAS हॉस्पिटल दिल्ली के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ ओमप्रकाश कहते हैं कि सबसे पहले पेरेंट्स को बच्चों के रूटीन पर काम करना चाहिए. उन्हें सुबह उठने से लेकर शाम तक स्कूल के टाइम टेबल के अनुसार तैयार करें. उन्हें स्कूल के दोस्तों के साथ फिर से भावनात्मक रिश्ते बनाने के लिए प्रेरित करें. बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कोविड अनुरूप व्यवहार करना सिखाएं ताकि कोरोना के बाद वो क्लासरूम में इंगेज रखने में किसी तरह की परेशानी का सामना न करें.
कोरोना के खतरों के बीच बच्चों को स्कूल में पूरे दिन मास्क लगाना जरूरी किया गया है. ऐसे में कई बच्चों को सांस लेने में भी दिक्कत होने लगती है. इसके लिए बच्चों को बेहतर क्वालिटी का मास्क दिलाएं, जिससे उन्हें सांस लेने में आसानी हो. साथ ही उनको सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए पानी पीना और बात करना भी सिखाएं.
जुलाई की उमस भरी गर्मी में शरीर में पानी की कमी से शरीर डिहाइड्रेट हो जाता है. इसके लिए जरूरी है कि आप घर पर भी बच्चों के खानपान में लिक्विड चीजें बढ़ाएं. साथ ही उन्हें टिफिन में भी ऐसी चीजें दें जो सुपाच्य हों और वाटर इंडेंट जिनमें ज्यादा हो. बच्चों की पढ़ाई के लिए उनकी सेहत के साथ सही तालमेल बहुत जरूरी है.