School Reopen 2020: समर ब्रेक के बाद अब यूरोप भर के स्कूल फिर से खुल रहे हैं. यहां सरकारें जोर देकर छात्रों को कैंपस में पढ़ाई के लिए बुला रही हैं. वहीं स्कूलों ने इसके लिए अलग ही तैयारी की है. जानिए क्या है यूरोप के स्कूलों का हाल, अपने देश में अभिभावक स्कूलों में होने जा रहे संभावित पूर्ण बदलाव को किस तरह से देखते हैं.
इंग्लैंड में एक जून से प्राथमिक विद्यालय खुल गए थे. यहां 15 से 18 वर्ष की आयु के माध्यमिक स्कूल के छात्र 15 जून को वापस आ गए. यहां के एक हालिया सर्वेक्षण से पता चलता है कि 96% स्कूल छोटे समूहों या ‘बबल्स’ में कक्षाओं को विभाजित कर रहे हैं. प्रत्येक ग्रुप को दूसरे ग्रुप से एकदम अलग किया गया है, चाहे वो क्लासरूम में बैठने का तरीका हो या टाइमिंग, सब अलग-अलग है. नेशनल एसोसिएशन फॉर हेड टीचर्स के सर्वेक्षण के अनुसार अभी ब्रेक टाइम शुरू करने को लेकर लोगों से राय ली जाएगी.
स्कूलों में फेस मास्क-सैनिटाइजर सबसे जरूरी चीज बन गई है. लेकिन इंग्लैंड में माध्यमिक छात्रों को केवल लॉकडाउन वाले स्थानों से आने वाले बच्चों के लिए फेस मास्क सबसे ज्यादा जरूरी किया गया है. वैसे यूरोप के सभी देश स्कूलों में संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं, आगे पढ़ें- क्या हैं वो तरीके.
फ्रांस में स्कूल 1 सितंबर से खोले गए हैं. यहां 11 वर्ष से अधिक आयु के छात्रों को हर समय घर के अंदर मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है. स्कूलों में क्लासरूम को हवादार और कीटाणुरहित किया गया है. इसके अलावा स्कूल में उपस्थिति अनिवार्य की गई है. वैसे अगर इलाके में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता है तो कुछ दिनों या हफ्तों के लिए उपस्थिति को सीमित किया जाएगा. या किसी प्रकोप की स्थिति में, स्कूल अस्थायी रूप से बंद हो सकते हैं.
जर्मनी में अगस्त की शुरुआत में ही स्कूल खुल गए थे. यहां बच्चे और टीचर्स दोनों ही फुल टाइम मास्क पहन रहे हैं. यहां स्कूलों में ब्रेक के दौरान बच्चे अलग-अलग ही रहते हैं. इसके अलावा क्लासरूम में दरवाजे और खिड़कियां जितना संभव हो उतना खुला रखा जाता है.
इसके अलावा रूस, स्वीडन, नार्वे, इटली आदि देशों में भी स्कूल या तो खुल गए हैं या सितंबर महीने में हर हाल में खुलने की तैयारी में हैं. यहां स्कूलों की लाइफ पूरी तरह बदल चुकी है. अब बच्चों को स्कूल कैंपस में पहले जैसी आजादी नहीं रही. दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम कहती हैं कि भारत में जिस तरह कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी पकड़ रहा है, उससे लगता नहीं कि यहां सितंबर में स्कूल खुल पाएंगे. लेकिन अगर स्कूल खुलते भी हैं तो उनकी जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाएगी.