Delhi School Reopen: देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) में जल्द स्कूल खोले जा सकते हैं. कोरोना वायरस (Coronavirus) के कम होते मामलों के बीच दिल्ली सरकार की एक्सपर्ट कमेटी ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है. कमेटी ने सिफारिश की है कि अब दिल्ली में सभी स्कूल खोले जाएं, सबसे पहले बड़ी क्लासों के लिए स्कूल खोले जाने चाहिए. आइए जानें- दिल्ली के पेरेंट्स इस पर क्या सोचते हैं.
दिल्ली अभिभावक संघ (DPA)की प्रेसिडेंट अपराजिता गौतम ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर के चलते कई राज्यों में स्कूलों को खोले जाने के नकारात्मक परिणाम हमारे सामने हैं. वहीं दिल्ली अभिभावक संघ द्वारा करवाए गए पोल के अनुसार दिल्ली के 79% अभिभावक स्कूलों के खुलने के विरोध में हैं क्योंकि बेशक वो जानते हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई सामान्य स्कूल की तरह नहीं है फिर भी बच्चे सुरक्षित हैं.
अपराजिता ने कहा कि ये राज्य सरकार की विफलता ही है जो पेरेंट्स के बीच इतना विश्वास नहीं बना पाई. जहां DDMA कुछ शर्तों के साथ स्कूलों को खोलने की राय दे रहा है, वहीं दिल्ली सरकार की एक्सपर्ट कमिटी का बयान कुछ और है. उन्होंने कहा कि हम ऐसी सभी समितियों को सिरे से खारिज करते हैं जहां पेरेंट्स की भागीदारी शून्य है. उन्होंने कहा कि इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी, यदि सरकार स्कूलों को खोलने का मन बना ही लिया है तो उन्हें पेरेंट्स की ये शर्तें मानना जरूरी है.
ये हैं पेरेंट्स की शर्तें:
1. सरकार और स्कूलों को बच्चों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी कोर्ट में एफिडेविट देकर लेनी चाहिए.
2. स्कूल के सभी टीचर्स व कर्मचारियों के पूर्ण टीका प्रमाणपत्र स्कूल की वेबसाइट पर अपलोड हों.
3. स्कूलों में covid सुरक्षा कमिटी पेरेंट्स को साथ लेकर गठित करनी चाहिए, जो नियमित रूप से स्कूल का निरीक्षण कर कोविड प्रोटोकॉल/ कोविड एप्रोप्रियेट बेहेवियर सुनिश्चित कर सके.
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4. बच्चों की ऑफलाइन के साथ साथ ऑनलाइन क्लासेज की सुविधा बरकरार रहे, जिससे बच्चों और अभिभावकों के बीच विश्वास उत्पन्न हो और वो भी भविष्य में अपने बच्चों को स्कूल भेजने का निर्णय ले सकें.
5. सरकार एक आपातकालीन नंबर जारी करें और शिकायत पर तुरंत कार्यवाही हो, और एक भी केस आने पर स्कूल तुरंत 14 दिनों के लिए बंद हो और स्कूल में मॉस लेवल पर कोरोना टेस्टिंग हों.
माता गुजरी पब्लिक स्कूल के अभिभावक उमेश सिंधु ने कहा कि अगर सरकार स्कूल खोलना ही चाहती है तो सबसे पहले सरकार को कक्षा नौवीं से लेकर कक्षा बारहवीं तक के स्टूडेंट्स को स्कूल बुलाना चाहिए. लेकिन, इससे पहले इन बच्चों का टीकाकरण होना चाहिए जब तक बच्चों का टीकाकरण नहीं होता तब तक स्कूल खोलने की कोई सहमति नहीं मिलनी चाहिए. टीकाकरण के उपरांत भी बच्चों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन और राज्य सरकार की होनी चाहिए.
कमला नगर, दिल्ली के रहने वाले अभिभावक नितिन गुप्ता ने कहा कि स्कूल खोले जाने को लेकर मैं सहमत नहीं हूं. उन्होंने इस बारे में शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया को पत्र लिखकर कहा है कि एक महीने पहले जब आप बोर्ड की परीक्षाओं के खिलाफ थे और जब तक कोरोना की वैक्सीन बच्चों के लिए ना आ जाए आप परीक्षाओं के खिलाफ थे. आज जब तीसरी लहर का मंडरा रहा है, तब आप स्कूल खोले जाने का सुझाव मांग रहे हैं.
नितिन गुप्ता ने कहा कि क्या आपने स्कूल खोले जाने पर कोई रणनीति बनाई है. अगर क्लास में एक भी बच्चा पॉजिटिव पाया जाएगा क्या आप क्लास को, या स्कूल को या स्कूल बस के सभी बच्चों को क्वारनटीन कराएंगे. बच्चों से स्कूल में कोरोना के नियमों का पालन कैसे करवाएंगे ? अभी हम बच्चों की जान जोखिम में डालकर स्कूल भेजने के हक में नहीं हैं. उन्होंने शिक्षामंत्री से अनुरोध किया है कि जैसा कि स्कूलों द्वारा एनुअल चार्ज और डेवलपमेंट चार्ज के नाम के पैसे दोबारा मांगने चालू कर दिए गए हैं, दिल्ली सरकार उसके विरुद्ध भी कोई सख़्ती से कानून बनाएं एवं स्कूलों पर कार्रवाई करें. दिल्ली उच्च न्यायालय में भी अपनी बात जोरदार तरीके से रखें.
अभिभावक रोहित अरोड़ा ने कहा कि अधिकांश माता-पिता अपने बच्चों को टीकाकरण से पहले या अगले 4-5 महीने तक भेजने को तैयार नहीं हैं. माता-पिता / छात्र स्कूलों में वायरस फैलने के डर को झेलने को तैयार नहीं है. छात्रों को सोशल डिस्टेंसिंग के मानदंडों को लागू करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा. अभी दिल्ली ही नहीं पंजाब, महाराष्ट्र, केरल आदि राज्यों के अभिभावक इसके लिए तैयार नहीं हैं.