कई राज्यों में 15 जून के बाद से स्कूल खुल गए है, वहीं दिल्ली एनसीआर में कई स्कूल एक जुलाई से खुल रहे हैं. स्कूल ऑफलाइन मोड से खोले जा रहे हैं और उधर, कोरोना के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं, इसे देखते हुए स्कूलों ने अपनी तैयारी कर ली है. आइए जानें कि स्कूलों की तैयारी क्या है. aajtak.in ने दिल्ली एनसीआर के कुछ स्कूल प्रिंसिपल्स से तैयारी के बारे में बातचीत की.
दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) गाजियाबाद की प्रधानाचार्य पल्लवी उपाध्याय ने कहा कि हम अपने स्कूल के बच्चों की सुरक्षा को लेकर पहले की तरह ही सतर्क हैं. हम कोरोना दिशानिर्देशों का पूरी तरह से पालन कर रहे हैं. समय-समय पर नियमित सफाई और हैंड सैनिटाइजर उपलब्ध करा रहे हैं. इसके साथ ही बड़ी सभाओं पर भी हमने रोक लगा रखी है. स्कूल में हमने मास्क पहनना अनिवार्य कर रखा है. इसके साथ ही बच्चों के शरीर के तापमान की भी हम प्रतिदिन मॉनिटरिंग कर रहे हैं.
स्कूलों में बच्चों को किसी भी तरह का संक्रमण न हो, इसके लिए स्कूल अपनी तरफ से पूरी तैयारी कर रहे हैं. पैसिफिक वर्ल्ड स्कूल, ग्रेटर नोएडा की स्कूल की प्रधानाचार्य पूजा बोस ने कहा कि हम पहले की तरह ही कोविड-19 की गाइडलाइन का सख्ती से पालन कर रहे हैं. स्कूल में शिक्षकों, बच्चों, सुरक्षाकर्मियों और सफाईकर्मियों के साथ कोरोना नियमों के पालन के लिए नियमित तौर पर बात कर रहे हैं. इसके साथ ही अभिभावकों से भी अपील कर रहे हैं की वे पहले की तरह ही सहयोग करते रहें.
रोहिणी स्थित एमआरजी स्कूल की प्रधानाचार्य अंशु मित्तल ने कहा कि लम्बे अन्तराल के बाद स्कूल खुलने पर अभिभावकों और बच्चों में उत्साह है. स्कूल का प्रयास है कि हम इसको बनाए रखें. स्कूल में कोविड-19 संबंधी प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन सुनिश्चित कर रहे हैं. बच्चों के लिए मास्क और निश्चित दूरी बनाए रखने का नियम लागू है. साथ ही इस प्रोटोकॉल को सुनुश्चित करने के अलावा स्कूल में किसी भी तरह के बड़े आयोजनों पर रोक लगा रखी है.
अंशू मित्तल ने कहा कि स्कूल में बच्चों की सिटिंग अरेंजमेंट पहले से एकदम अलग है. यही नहीं हम बैठने वाली जगहों पर समय-समय पर नियमित सेनिटाइज करवा रहे हैं और स्कूल में ही हैंड सैनिटाइजर उपलब्ध करा रहे हैं. इसके अलावा हम अभिभावकों से बात भी कर रहे हैं ताकि वे अपने स्तर पर भी बच्चों को विद्यालय परिसर में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करें. कोविड से रोकथाम में अभिभावकों का भी खास रोल है, वो बच्चों को इस बीमारी की गंभीरता से परिचित कराएंगे तो बच्चे प्रोटोकॉल का पालन अपनी मर्जी से करेंगे.
बता दें कि दिल्ली, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में कोविड 19 संक्रमण के मामले काफी बढ़े हैं, जोकि चिंताजनक है. वहीं एक जुलाई से गर्मी की छुट्टियां खत्म होने के बाद स्कूल सभी बच्चों के लिए ऑफलाइन मोड से खुल रहे हैं. बच्चों के ट्रांसपोर्टेशन को लेकर अभिभावकों में काफी चिंता है. दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम कहती हैं कि करीब ढाई साल बीत रहे हैं, अभी तक बच्चे रेगुलर ढंग से स्कूल जाना शुरू नहीं कर पाए हैं. स्कूलों को कोविड संक्रमण के प्रति और ज्यादा संवेदनशील होने की जरूरत है, ताकि किसी भी तरह स्कूल से बच्चे को संक्रमण न फैले.
अपराजिता कहती हैं कि सबसे ज्यादा चिंता प्राइमरी क्लासेज के बच्चों की है. नये बच्चे 12 साल से कम उम्र के हैं, ये न मास्क या किसी प्रोटोकॉल पर पूरी तरह गंभीर हो पाते हैं और न ही उन्हें अभी वैक्सीन ही लगी है. आज के हालातों को देखते हुए सरकार को जल्द से जल्द इन बच्चों के लिए भी वैक्सीनेशन शुरू करना चाहिए. इससे अभिभावकों के मन का भय काफी हद तक कम होगा. इसके अलावा स्कूलों में कोविड जांच भी नियमित तौर पर होनी चाहिए.