School Reopen: कोरोना महामारी का असर अब भारत के सभी राज्यों में घटता दिख रहा है. मरीजों की संख्या में भी काफी कमी देखती जा रही है. इसी के साथ ज्यादातर राज्य बड़ों के बाद प्राइमरी बच्चों के लिए स्कूल व्यवस्था बहाल करने का मन बना रहे हैं. लेकिन अब स्कूलों के हालात पहले जैसे कैसे होंगे, बच्चों को भेजने के लिए पेरेंट्स सहमति पत्र देंगे या नहीं, ऐसे सवाल भी उठ रहे हैं. आइए जानते हैं कि दिवाली के बाद किन किन राज्यों ने अपने यहां छोटे बच्चों के लिए स्कूल खोलने का मन बनाया है. इसके लिए उनकी क्या तैयारी है.
नवंबर से स्कूल खोलने के क्रम में सबसे पहले जिक्र करते हैं वेस्ट बंगाल का. यहां की ममता बनर्जी सरकार ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वो दुर्गा पूजा के बाद स्कूल खोलने पर विचार करेगी. अब कल यहां की सरकार ने घोषणा की है कि राज्य में 15 नवंबर से स्कूल खोल दिए जाएंगे. इस दौरान कोविड-19 गाइडलाइन्स का पालन करना स्कूलों के लिए अनिवार्य किया गया है. स्कूल खोलने को लेकर ममता बनर्जी ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि स्कूलों और कॉलेजों को खोलने से पहले पूरी तरह सैनिटाइज किया जाए.
वहीं दिल्ली में भी नवंबर से छोटे बच्चों को स्कूल खोलने की पूरी तैयारी की जा रही है. कल 27 अक्टूबर को पहली से पांचवीं तक की कक्षाएं शुरू करने को लेकर महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है. इस बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के उपराज्यपाल भी शामिल होने वाले हैं. दिल्ली सरकार ने बड़े बच्चों के लिए पहले से ही स्कूल खोल दिए थे. अब छोटे बच्चों को लेकर अभिभावकों से मिली राय के आधार पर सरकार डीडीएमए की सलाह से नवंबर से स्कूल खोल रही है.
उत्तर प्रदेश में बीते माह एक सितंबर से ही प्राथमिक स्तर के विद्यालय खोले जा चुके हैं, लेकिन यहां भी अभी बड़े शहरों में छोटे बच्चों के पेरेंट्स की सहमति न होने से निजी स्कूलों में पहले जैसा माहौल नहीं बन सका है. अब जब ज्यादातर राज्य स्कूल खोलेंगे और फिजिकल क्लासेज शुरू करेंगे तो यहां भी स्कूलों में रौनक लौटने की उम्मीद की जा सकती है. हालांकि यूपी में कक्षा 6 से 12वीं तक के संस्थान अगस्त में ही खोल दिए गए थे. वहीं बिहार में सीएम नीतीश कुमार ने 15 नवंबर, 2021 तक सभी आंगनवाड़ी केंद्र एवं छोटे बच्चों के विद्यालय को खोलने की भी घोषणा की है.
दक्षिण भारत की बात करें तो केरल और तमिलनाडु सरकारों ने भी एक नवंबर से स्कूल खोलने की घोषणा कर दी है. यहां छोटे बच्चों के स्कूल कोविड-19 एसओपी के साथ खोले जाएंगे. स्कूलों में बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग, सेनेटाइजेशन और मास्क लगाने के नियमों का सख्ती से पालन करना होगा. इसके अलावा स्कूलों में सिटिंग अरेंजमेंट भी पूरी तरह से बदल दिया गया है. स्कूलों में बच्चों को एक दूसरे से अलग बेंच पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बैठाया जाएगा.
तकरीबन डेढ़ साल से देशभर में छोटे बच्चों के स्कूल बंद हैं. अब केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक स्कूलों में बच्चों को तभी बुलाया जा सकेगा जब उनके पेरेंट्स लिखित सहमति देते हैं. वहीं अभिभावक लगातार सरकार से एक ही मांग कर रहे हैं कि अब जब इतने दिन स्कूल बंद रहे हैं तो अब जल्द से जल्द बच्चों को वैक्सीन दी जाए और वैक्सीन लगने के बाद स्कूलों में फिजिकल क्लासेज शुरू हों. इसके अलावा स्कूल में टीचर्स समेत दूसरे सभी स्टाफ पूरी तरह वैक्सीनेटेड हों.
वहीं देशभर के कोरोना एक्सपर्ट बच्चों के लिए फिजिकल क्लासेज को जरूरी बता रहे हैं. कोरोना मामलों के विशेषज्ञ डॉ चंद्रकांत लहारिया ने कहा कि तमाम सीरो सर्वे में यह बात सामने आई है कि दूसरी लहर के बाद देश में वयस्कों के समान ही बच्चों में भी हर्ड इम्यूनिटी आ गई है क्योंकि बच्चे भी बड़ों के बराबर ही एक्सपोज हुए हैं. उनका कहना है कि वैसे भी बच्चों को बड़ों की अपेक्षा कोरोना का खतरा और उसके दीर्घकालिक प्रभाव की संभावना न के बराबर है. इसलिए बच्चों के लिए अब स्कूल जाकर पढ़ाई ज्यादा जरूरी है.