कोरोना काल के तकरीबन नौ माह बाद स्कूल खुलने की उम्मीदें एक बार फिर से जग रही हैं. असम के स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में घोषणा की है कि राज्य में प्राथमिक स्कूल 1 जनवरी, 2021 से फिर से खोले जाएंगे. जानिए क्या है दूसरे राज्यों का हाल.
एएनआई के एक ट्वीट के मुताबिक हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि असम के प्राथमिक स्कूल 1 जनवरी, 2021 से बड़े पैमाने पर फिर से खुलेंगे. इसके लिए विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी जारी की जाएगी. सरकार की इस पहल के बाद अभिभावकों की मिली जुली प्रतिक्रिया है. कुछ इसे लेकर खुश हैं तो कुछ कोरोना की वैक्सीन या दवा अभी न आने से बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर परेशान हैं. वहीं घरों में रहकर बिना दोस्तों के ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे बच्चों के लिए ये अच्छी खबर है.
15 दिसंबर से फिर से खुलेंगे कॉलेज हॉस्टल
शिक्षा मंत्री ने असम में शैक्षणिक संस्थानों को फिर से खोलने के बारे में बात करते हुए कहा कि राज्य में कॉलेज हॉस्टल 15 दिसंबर से फिर से खुलेंगे, जिसमें कई कोविड सुरक्षा दिशानिर्देश तय किए गए हैं. अब राज्य भर के छात्रावास छात्रों की सुरक्षा के लिए कुछ तय सीमाओं के साथ खुलेंगे, और भीड़भाड़ को रोकने के लिए केवल फाइनल इयर के छात्रों को शुरू में छात्रावासों में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी.
वहीं देश के कई राज्यों में कोरोना के गंभीर संकट को देखते हुए 31 दिसंबर तक स्कूल-कॉलेज बंद करने का फैसला लिया है. केंद्र सरकार की हालिया गाइडलाइन में भी 31 दिसंबर तक सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद रखने के निर्देश जारी किए गए थे.
अगर देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां कोरोना की थर्ड स्टेज को देखते हुए सरकार ने स्कूल खुलने की सारी संभावनाओं पर तकरीबन ब्रेक लगा दिया है. डिप्टी सीएम व राज्य के शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने पांच दिन पहले एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि वैक्सीन मिलने तक स्कूल खुलना मुश्किल है. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि दिल्ली के स्कूल अगले साल भी अनिश्चित काल के लिए बंद रखे जा सकते हैं.
ऐसा माना जा रहा है कि दिल्ली की तर्ज पर ही अन्य राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार हरियाणा, उत्तराखंड, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, मध्य प्रदेश, समेत कई राज्य प्राइमरी स्कूलों को जनवरी में भी नहीं खोल पाएंगे. दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने aajtak.in से बातचीत में कहा कि इस वक्त कोरोना का गंभीर संकट पूरे देश पर मंडरा रहा है. अभिभावक बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं. हमें अब तक जितने भी फीडबैक मिले हैं, उसके अनुसार कोई भी पेरेंट्स अपने बच्चे की सेहत पर रिस्क नहीं लेना चाहता. बिना वैक्सीन या दवा के आए वो अपने बच्चों को स्कूल भेजने पर राजी नहीं हैं.
बता दें कि देश भर में कोरोना लॉकडाउन के बाद से स्कूल बंद हैं. फिर करीब पांच महीने बाद सरकार ने 21 सितंबर से, अनलॉक के तहत कई शर्तों के कक्षा 9 से 12 के स्कूल खोलने की इजाजत दी. इसमें अभिभावकों की लिखित परमिशन को सबसे आगे रखा गया. फिर बाद में छोटी कक्षाओं के स्कूल खोलने की अनुमति अक्टूबर में मिली. इसके तहत स्कूलों में सख्ती से कोविड प्रोटोकॉल फॉलो करना शामिल था.
बता दें कि देश भर में कोरोना लॉकडाउन के बाद से स्कूल बंद हैं. फिर करीब पांच महीने बाद सरकार ने 21 सितंबर से, अनलॉक के तहत कई शर्तों के कक्षा 9 से 12 के स्कूल खोलने की इजाजत दी. इसमें अभिभावकों की लिखित परमिशन को सबसे आगे रखा गया. फिर बाद में छोटी कक्षाओं के स्कूल खोलने की अनुमति अक्टूबर में मिली. इसके तहत स्कूलों में सख्ती से कोविड प्रोटोकॉल फॉलो करना शामिल था.
अब कोरोना के गंभीर संकट को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि शायद मार्च से ही स्कूल नये सत्र की शुरुआत के साथ दोबारा खुल सकें. एक्सपर्ट्स के मुताबिक सर्दी कम होते ही कोरोना के मामले कम हो सकते हैं, या एक दो महीने में वैक्सीन या दवा भी भारत में आ सकती है. इससे पहले सफलतापूर्वक फुल अटेंडेंस के साथ किसी भी राज्य में स्कूल खुलना मुश्किल है.