कई लोग अक्सर रात में सोते-सोते अचानक जाग जाते हैं. इसमें कभी खर्राटे तो कभी झपकी टूटने तो कभी ऐसा लगता है कि वो सही से सांस नहीं ले पा रहे. रात में नींद टूटने से उन्हें दोबारा सोने में परेशानी होती है. इससे उनकी डेली रूटीन लाइफ काफी प्रभावित होती है. क्या आपको पता है कि सोते वक्त खून और दिमाग को जरूरी ऑक्सीजन का लेवल घटने से भी कई बार नींद की समस्या होती है. आइए इसका किन लक्षणों से पता लगाते हैं और क्या इलाज होता है.
नींद की समस्याओं में इन दिनों सबसे ज्यादा ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA) का चलन बढ़ा है. ये एक सामान्य चिकित्सा स्थिति है जिसमें प्रभावित व्यक्ति को सोते समय सांस लेने में रुकावट होती है. खासकर भारतीय उपमहाद्वीप के कई हिस्सों में पाए जाने वाले हल्के मामलों में यह खर्राटों के रूप में प्रकट हो सकती है, जिसे हानि रहित माना जाता है. लेकिन आगे चलकर ये बड़ी समस्या का रूप ले लेती है. गंभीर मामलों में व्यक्ति झपकी लेता है, कभी-कभी सांस लेने में असमर्थ होने की भावना के साथ जाग जाता है.
इस स्थिति को कई पैरामीटर के जरिये समझाया जा सकता है. इनमें मोटापा एक महत्वपूर्ण कारक है. इसलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि अधिक वजन वाले लोगों से पूछा जाना चाहिए कि क्या वे ओएसए से पीड़ित हैं, कहीं उन्हें नींद में अचानक जगने या खर्राटों की समस्या तो नहीं है. क्या उन्हें सोते वक्त पर्याप्त ऑक्सीजन मिल रही है. वहीं अन्य कारणों में निचले जबड़े के बहुत छोटे आकार के अलावा नाक और गले की मामूली विकृतियों के चलते भी ये समस्या देखी है. OSA लगभग 17 से 60% महिलाओं और 34 से 84 प्रतिशत पुरुषों में देखा जाता है, जैसे-जैसे विषय किशोर और युवा वयस्कता से मध्यम आयु तक बढ़ते हैं, इसकी आवृत्ति काफी बढ़ जाती है.
आपको बता दें कि आमतौर पर सामान्य व्यक्ति में ब्लड में 94-95 से 100 फीसदी के बीच का ऑक्सीजन का सैचुरेशन लेवल अच्छा माना जाता है. 95 फीसदी से कम ऑक्सीजन लेवल इस फेफड़ों में किसी परेशानी की ओर इशारा करता है. सोते वक्त भी अगर आपको कम ऑक्सीजन मिल रही है तो आप इसकी स्लीप स्टडी के जरिये गणना करा सकते हैं. स्लीप स्टडी के अनुसार अगर आपको 93 या 90 से नीचे का ऑक्सीजन लेवल है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
ResMed में एशिया और लेटिन अमेरिका के मेडिकल अफेयर्स हेड डॉ सिबाशीष डे का कहना है कि स्लीप एपनिया एक गंभीर और लाइफ थ्रेटनिंग स्थिति है. कमोबेश स्लीप एपनिया सभी आयु वर्गों या किसी भी जेंडर को हो सकती है, लेकिन ये पुरुषों में अधिक आम है. असल में स्लीप एपनिया एक श्वास संबंधी विकार है जो नींद के दौरान सांस लेने में संक्षिप्त रुकावट को दर्शाता है.
स्लीप एपनिया दो प्रकार के होते हैं. पहला सेंट्रल स्लीप एपनिया है जो तब होता है जब मस्तिष्क सांस लेने के लिए मांसपेशियों को उचित संकेत भेजने में विफल रहता है. सेंट्रल स्लीप एपनिया ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की तुलना में कम आम है. वहीं ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया तब होता है जब हवा नाक या मुंह में या बाहर नहीं जा सकती, हालांकि सांस लेने के प्रयास जारी रहते हैं. इससे कई बार ब्रेन को मिलने वाली ऑक्सीजन का स्तर घट जाता है.
स्लीप एपनिया को अगर शुरुआती दौर में पहचान लिया जाता है तो इसका उपचार सरल है. अगर इसे टाला जाता है तो इससे पीड़ित व्यक्ति में दिल की अनियमित धड़कन, उच्च रक्त चाप, दिल का दौरा, आघात, दिन में नींद आना, रोड एक्सीडेंट का रिस्क बढ़ जाता है. इसलिए इसका इलाज शुरुआती दौर में बहुत जरूरी है.
ये होते हैं स्लीप एपनिया के लक्षण
जोर से खर्राटे लेना, जो आमतौर पर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया में अधिक प्रमुख होता है
नींद के दौरान किसी अन्य व्यक्ति द्वारा देखी गई सांस के बंद होने की घटनाएं
सांस की तकलीफ के साथ अचानक जागना, जो अधिक संभावना केंद्रीय स्लीप एपनिया को इंगित करता है
मुंह सूखना या गले में खराश के साथ जागना
सुबह सुबह उठते ही सिरदर्द
सोने में कठिनाई (अनिद्रा)
दिन में अत्यधिक नींद आना (हाइपरसोमनिया)
चिड़चिड़ापन
डॉक्टर को कब दिखाएं
यदि आपको खुद या अपने साथ रहने वालों में सोते वक्त ये लक्षण दिखते हैं तो आपको Otolaryngologist से तत्काल परामर्श लेनी चाहिए.
- दूसरों की या खुद की नींद में खलल डालने के लिए जोर से खर्राटे लेना
- घुटन या सांस की तकलीफ जो आपको नींद से जगाती है
- नींद के दौरान आपकी सांस रुक-रुक कर आते हुए महसूस होना
- दिन में अत्यधिक नींद आना, जिसके कारण आपको काम करते हुए, टीवी देखते हुए या गाड़ी चलाते हुए भी नींद आ सकती है.