कोरोना की विकटता के बीच भारत में लगातार छात्र ये मांग कर रहे हैं कि बोर्ड एग्जाम कैंसिल किए जाएं. इसके लिए सोशल मीडिया पर कई प्रदर्शन चल रहे हैं. यहां छात्र यूके, यूएई और मैक्सिको का उदाहरण भी रख रहे हैं, जो कि वायरल हो चुका है. मैसेज में छात्र कह रहे हैं कि इन विकसित देशों ने जब ऑफलाइन परीक्षाएं कैंसिल कर दीं तो हम क्यों नहीं कर सकते. पर क्या आपको पता है कि भले ही इन देशों ने ऑफलाइन एग्जाम कैंसिल कर दिए हैं, लेकिन यहां बच्चों के मूल्यांकन के लिए अलग पॉलिसी अपनाई गई जिससे उनकी साल भर की पढ़ाई को घर बैठे ही परखा गया और उसी हिसाब से ग्रेड दिए गए. जानें- इन देशों ने बच्चों को पास करने के लिए क्या पॉलिसी अपनाई.
अगर यूके की बात करें तो वहां कोरोना महामारी के कारण सरकार ने तय किया कि इस वर्ष कई परीक्षाएं और आकलन पहले की तरह से नहीं किए जा सकते हैं जो उचित है. वहां की शिक्षा प्रणाली के सभी हिस्से यह सुनिश्चित करने के लिए एक साथ काम करने में जुट गए थे कि कैसे छात्रों और परीक्षार्थियों को क्लासरूम में बुलाए इस बात का परीक्षण हो सके कि वो कैसी ग्रेड पाने में सक्षम हैं.
इसके लिए उनकी योग्यताओं को प्रतिबिंबित करने के अलग तरीके अपनाए गए. ऐसे तनावपूर्ण समय में जब हर ओर अनिश्चितता छाई है, लोग केवल शिक्षण और सीखने पर नहीं, बल्कि साथी छात्रों, दोस्तों, परिवार और नियोक्ताओं के साथ आमने-सामने संपर्क से बचने के उपाय में लगे हैं.
यूके में शिक्षा विभाग के साथ संयुक्त रूप से परामर्श के बाद परीक्षा और मूल्यांकन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था निकाली. ये थी टीचर्स की ओर से असेसमेंट करने की व्यवस्था. इसमें यूके के एग्जाम जीसीएसई, एएस और ए स्तरों के लिए, शिक्षक उस मानक का आकलन करेंगे, जिस पर छात्र केवल उनके सिखाए के आधार पर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी से स्कूल या कॉलेज छात्रों के ग्रेड का निर्धारण कर सकेंगे. यूके की सरकार ने कहा कि शिक्षकों के निर्णय उस विषय सामग्री से संबंधित साक्ष्यों की श्रेणी पर आधारित होने चाहिए जो आपके शिक्षकों ने कक्षा में या डिस्टेंस टीचिंग के जरिये सिखाया है.
शिक्षक इसमें वह प्रोजेक्ट वर्क या पढ़ाया गया सिलेबस शामिल कर सकते हैं. इसमें पहले के परीक्षा परिणाम, होमवर्क या इन-क्लास टेस्ट भी शामिल होंगे. इसमें शिक्षक एग्जाम बोर्ड के प्रश्नों का उपयोग कर सकते हैं, जो मोटे तौर पर पिछले प्रश्नपत्रों पर आधारित हों, ताकि छात्र का मूल्यांकन किया जा सके, लेकिन यह अनिवार्य नहीं होगा. किसी प्रकार की विकलांगता होने पर उचित समायोजन को ध्यान में रखा जाएगा. इसी तर्ज पर यूएई, एल्ग्रीरिया, बेल्जियम, बोस्निया, इटली और जापान ने भी अपने छात्रों का असेसमेंट करने का तरीका अपनाया है.
यूके की सरकार ने इस वर्ष की व्यवस्था इस प्रकार तैयार की है, जिसमें टीचिंग और लर्निंग ठीक तरह से अधिक से अधिक समय तक जारी रह सके. इसलिए निर्णय लिया गया कि इस अकादमिक वर्ष में टीचर्स का असेसमेंट पूरी तरह व्यावहारिक होना चाहिए. अब परीक्षा से ज्यादा यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने सीखने और अध्ययन में यथासंभव लंबे समय तक लगे रहें ताकि आपकी मेहनत को आपके ग्रेड में शामिल किया जा सके. यही किसी छात्र को अपने जीवन के अगले चरण के लिए अच्छे स्थान पर खड़ा करेगा. शिक्षक आपको परीक्षा बोर्ड में रिजल्ट जमा करने से पहले बताएंगे कि इस वर्ष की तैयारी में आपने किस ग्रेड को पाने तक की मेहनत की.
यहां की सरकारों ने माना है कि कई छात्र अभिभावक इस बात से भी चिंतित हो सकते हैं कि छात्र ने इस साल किसी विशेष विषय के लिए सभी टॉपिक कवर नहीं किए है. लेकिन उस विषय को असेसमेंट में न्यूनतम शामिल की जाएगी ताकि ये निर्धारित हो कि उसे आगे भी ये पढ़ाया जाना चाहिए या उसका मूल्यांकन किया जाना चाहिए, लेकिन इसके लिए स्कूल या कॉलेज के प्रमुख से यह पुष्टि करने के लिए कहा गया है कि क्या छात्रों को पर्याप्त सामग्री सिखाई गई है जिससे वो अपने अगले चरण में आगे बढ़ सकें. यूके सरकार ने कहा है कि हम चाहते हैं कि छात्र अपने अगले चरण की पढ़ाई के बारे में सबसे अच्छा विकल्प बना सकें. लेकिन ये तब उपयोगी नहीं होगा यदि आप किसी ऐसे विषय का उच्च स्तर पर अध्ययन शुरू करते हैं जो आप इससे पहले की क्लास में कवर नहीं कर पाए.