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एजुकेशन न्यूज़

यूपी के इस जिले में पेड़ के नीचे चल रहा सरकारी स्कूल, बच्चों की पढ़ाई बनी तपस्या

गोंडा का एक उच्च प्राथमिक विद्यालय (aajtak.in)
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एक तरफ जहां सरकारी स्कूल कायाकल्प योजना के तहत चमकने लगे हैं, वहीं दूसरी तरफ यूपी के गोंडा जिले में एक सरकारी स्कूल के बच्चे स्कूल भवन के अभाव में पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर है. आज इनकी पढ़ाई एक तपस्या से कम नहीं है.  यह सरकारी स्कूल पीपल के पेड़ के नीचे चलता है, जहां बच्चे इस बरसात में भी उसी पेड़ के नीचे पढ़ाई करते हैं. यहां अक्सर सांप-बिच्छू निकलते रहते हैं. इन खतरों के बीच लगभग 170 बच्चों को टीचर पेड़ के नीचे पूरी लगन और मेहनत से पढ़ाते हैं. पढ़ें- आंचल श्रीवास्तव की रिपोर्ट. 

गोंडा के एक उच्च प्राथमिक विद्यालय की ऐसे लग रही क्लास  (aajtak.in)
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साइंटिस्ट व शिक्षक बनने का सपना पाले ये बच्चे पेड़ के नीचे कठ‍िन तपस्या कर रहे हैं. बच्चों ने बताया कि यहां सांप-बिच्छू निकलते रहते हैं. कभी कभी पेड़ की डालियां भी गिर जाती हैं. अचानक हुई बरसात में उनके कपड़े व बैग भीग जाते हैं, कभी-कभी पेड़ के नीचे बरसाती पानी भर जाने से टीचर बच्चों को पेड़ के चबूतरे व सड़क पर पढ़ाते हैं. यहां पढ़ने वाले बच्चों ने बताया कि उनकी इच्छा है कि जल्दी से जल्दी स्कूल बन जाए तो पढ़ाई ठीक से शुरू हो सके.

 

गोंडा के एक उच्च प्राथमिक विद्यालय के बच्चे (aajtak.in)
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कपूरपुर उच्च प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने बताया कि साल भर पहले स्कूल जर्जर होने के चलते विभाग ने ध्वस्त करवा दिया था जो अभी तक नहीं बना है. मजबूरन बच्चों को पेड़ के नीचे पढ़ाना पड़ रहा है, इसके लिए स्कूल भवन के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा गया है. बीएसए ने बताया कि कायाकल्प योजना के तहत सर्वे में जिले के 586 जर्जर स्कूल मिले थे जिसमें 22 को ध्वस्त कराया गया था जिनको बनवाने के लिए राज्य परियोजना कार्यालय को भेजा गया था. धनराशि आते ही निर्माण शुरू करा दिया जाएगा. बहरहाल पीपल के पेड़ के नीचे सरकारी स्कूल की पढ़ाई जारी है जो संभवत: भवन के अभाव में जाड़े में भी जारी रहेगी. 

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गोंडा का एक उच्च प्राथमिक विद्यालय (aajtak.in)
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यूपी के गोंडा के हलधरमऊ ब्लाक के कपूरपुर उच्च प्राथमिक विद्यालय में बच्चों के लिए विद्यालय की कोई भी छत नहीं है. जहां वो भीगने से बच सकें. झाड़ियों-खेतों से घिरे इस विद्यालय में बच्चे बहुत तल्लीनता से पढ़ाई करते हैं और शिक्षक भी इन्हें बहुत लगन से पढ़ाने में जुटे रहते हैं. करीब 170 छात्र-छात्राओं का यह विद्यालय अक्सर खतरों से घिर जाता है. साइंटिस्ट व शिक्षक बनने का सपना पाले बच्चों की माने तो यहां सांप व बिच्छू भी निकलते रहते हैं. पेड़ की छोटी डालियां भी टूटकर गिरती रहती हैं. पहले इस विद्यालय का अपना भवन था लेकिन कायाकल्प योजना के तहत हुए सर्वे में विद्यालय का भवन जर्जर निकला.

गोंडा का एक उच्च प्राथमिक विद्यालय (aajtak.in)
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स्कूल भवन गिरने के खतरे को देखते हुए विभाग ने उसको नीलामी के बाद एक साल पहले कोरोना काल मे ध्वस्त करा दिया. फिर तब से अबतक विद्यालय की इमारत नही बनी. अब जब विद्यालय खुले तो बच्चों को पढ़ाने की कोई जगह नही थी. मजबूरन शिक्षकों ने बच्चों को इसी पीपल के पेड़ के नीचे पढ़ाना शुरू कर दिया. बिना भवन के पेड़ के नीचे हो रही पढ़ाई से लड़कियों व महिला अध्यापिकाओं के सामने दिक्कतें आ गई हैं. उनको कई तरह की कठिनाइयों से भी रोजाना जूझना पड़ रहा है . 

गोंडा का एक उच्च प्राथमिक विद्यालय (aajtak.in)
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प्रधानाध्यापक ने स्कूल भवन शीघ्र बनवाने के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा है. बीएसए ने बताया कि कायाकल्प योजना के तहत सर्वे में जिले के 586 जर्जर स्कूल मिले थे जिसमें 22 को ध्वस्त कराया गया था. इनको बनवाने के लिए राज्य परियोजना कार्यालय को भेजा गया था.  धनराशि आते ही निर्माण शुरू करा दिया जाएगा बहरहाल पीपल पेड़ के नीचे सरकारी स्कूल की पढ़ाई जारी है. 

गोंडा का एक उच्च प्राथमिक विद्यालय (aajtak.in)
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कक्षा के छात्र आशुतोष ने कहा कि हमारे स्कूल की बिल्डिंग टूट गई है. एक साल हो गया अभी तक बिल्डिंग तैयार नहीं हुई है और यहां पर हमारे सर क्लास पेड़ के नीचे चलाते हैं. जब पानी बरसता है तो आधे यहां बैठते हैं आधे क्लास में बैठ जाते हैं. इस तरह हमारी क्लास सही से चल नहीं पाती और यहां पर सर पर अक्सर पेड़ की लकड़ियां टूट-टूटकर ऊपर से गिरती रहती हैं. बारिश में हमारी किताबें, कपड़े- बैग भी भीग जाते हैं. ऐसे में कहां पर बैठें, क्या करें, कुछ समझ में नहीं आता. इतना कीचड़ रहता है कि क्या बताएं और सांप बिच्छू भी गिरते रहते हैं. आशुतोष ने कहा कि हम साइंटिस्ट बनना चाहते हैं, इसीलिए ऐसे हाल में भी पढ़ाई कर रहे हैं. 

गोंडा का एक उच्च प्राथमिक विद्यालय (aajtak.in)
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कपूरपुर उच्च मा विद्यालय के प्रधानाध्यापक नवीन पांडेय ने कहा कि  उच्चाधिकारियों व खंड शिक्षा अधिकारी समेत बीएसए को भी एप्लीकेशन द‍िया है. हमारी मांग की है कि जल्द से जल्द हमको भवन मिल जाए. कुछ बच्चों को क्लास में और आधे में एडजस्ट करके थोड़े बच्चों को पढ़ाते हैं. यहां कुल 164 बच्चे इनरोल्ड हैं. अभ‍िभावक रीता ने कहा कि हमारे दो बच्चे यहां पढ़ते हैं. बच्चे कठ‍िन हालात में यहां पढ़ रहे हैं. छात्रा सौम्या शुक्ला ने कहा कि यहां पेड़ के नीचे पढ़ाई के दौरान दो-तीन बार सांप और बिच्छू यहां से निकले. हमें चबूतरा और सड़क पर बैठकर पढ़ना होता है. मैं बड़े होकर टीचर बनना चाहती हूं, यहां पढ़ाई में बहुत खतरा रहता है. झाड़ियों से कभी-कभी बिच्छू भी निकलते रहते हैं. अगर हम खेलना चाहें तो यहां कांटे भी पड़े रहते हैं जो कि हम बच्चों को चुभ जाते हैं. 

गोंडा का एक उच्च प्राथमिक विद्यालय (aajtak.in)
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बीएसए गोंडा विनय मोहन ने कहा कि गोंडा जिले में ऑपरेशन कायाकल्प के अंतर्गत एक सर्वे हुआ था जिसमें से 586 विद्यालय जर्जर पाए गए थे. इन जर्जर विद्यालयों की सूचना हमने राज्य परियोजना कार्यालय को प्रेषित की है. इन्हीं विद्यालयों में से अतिरिक्त व्यवस्था के रूप में इनमें शिक्षण कार्य कराया जाना उचित नहीं था. इसी में से हलधर मऊ ब्लाक में से एक विद्यालय है कपूरपुर उच्च प्राथमिक विद्यालय इस विद्यालय में लगभग 170 बच्चे नामांकित हैं जिसमें दो अध्यापक कार्यरत हैं और दो अनुदेशक. एक ही कक्षा में सभी बच्चों का शिक्षण कराया जाना संभव नहीं है. इसलिए कुछ बच्चों की बाहर कक्षा संचालित होती है. गर्मी की वजह से कभी कभी यह बच्चे पेड़ के नीचे बैठ जाते हैं और शिक्षक वहीं पढ़ाई कराते हैं. वर्षा होने पर बच्चों को कक्षा के अंदर करा दिया जाता है लेकिन संख्या बहुत ज्यादा है, एक कक्ष में सब बच्चे नहीं आ पाते हैं तो ऐसी परिस्थितियों में हमारे जो अध्यापक हैं अपनी सुविधा के अनुसार शिक्षण कार्य करते हैं. इसके लिए राज्य परियोजना कार्यालय को भेजा गया है जैसे ही धनराशि प्राप्त हो जाएगी तत्काल हम इसका निर्माण कार्य प्रारंभ करा देंगे. 

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