दुनिया में किसी का दर्द आपके दर्द से बड़ा होता है, अगर आप इस नजरिये से आगे बढ़ेंगे तो जिंदगी आसान लगेगी. ये फलसफा है यूपीएससी 2019 में 20वीं रैंक पाने वाली कोलकाता की नेहा बनर्जी का. नेहा ने जॉब के साथ यूपीएससी की तैयारी की. अपनी बुद्धिमत्ता और अच्छी सोच से उन्होंने ये कर दिखाया. उन्होंने जिस अंदाज से हर परीक्षा के साथ साथ इंटरव्यू फेस किया वो काबिले तारीफ है. आइए जानें नेहा का सफर.
नेहा के पिता साल 2011 में जब नहीं रहे तो उनकी मां ने सिंगल पेरेंट के तौर पर उन्हें पाला. लेकिन पढ़ाई में हमेशा से अच्छी रहीं नेहा ने अपनी मां का मान बढ़ाया. उन्होंने नौकरी के साथ साथ यूपीएससी की तैयारी की और पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की.
साल 2018 में नेहा ने आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करके नोएडा में एक कंपनी में नौकरी ज्वाइन कर ली. इसी दौरान उन्हें यूपीएससी करने का ख्याल आया था. उन्होंने इसकी तैयारी जॉब में रहते हुए इतने बखूबी तरीक से की, उन्होंने पूरे आत्मविश्वास के साथ इंटरव्यू से ठीक 15 दिन पहले नौकरी से रिजाइन किया था.
नेहा अपनी पूरी जर्नी की बात करते हुए बताती हैं कि इंटरव्यू के लिए भी उन्होंने खुद ही तैयारी की थी. शायद यही वजह रही कि वो इतने आत्मविश्वास के साथ इंटरव्यू पैनल के सवालों का जवाब दे पाईं. उन्हें आईआईटी में पढ़ाई के दौरान एक साइंस स्कॉलरशिप मिलती थी, इस पर उनसे एक सवाल पूछा गया था जो कि किसी भी साइंस के स्टूडेंट को सोचने पर मजबूर कर दे, लेकिन नेहा ने धैर्य के साथ इसका जवाब दिया.
एक वीडियो इंटरव्यू में नेहा ने बताया कि उनसे ट्रिकी क्वेश्चन के तौर पर पूछा गया था कि साइंस या रिलीजन में कौन बड़ा है, मैंने दोनों को अलग-अलग फील्ड कहा तो इंटरव्यूअर ने कहा कि साइंस लॉजिक पर आधारित है और रिलीजन आपके फेथ से जुड़ा है, आप किसे बड़ा मानती हैं.
नेहा कहती हैं कि यहां सवालों के जरिये आपके व्यक्तित्व को जांचा जाता है. मैंने भी बैलेंस जवाब देने की कोशिश की थी. मैंने इसके जवाब में कहा कि दोनों का अलग अलग रोल है, दोनों को मिक्स क्यों किया जाए. दोनों अलग अलग दिशाएं देती हैं. साइंस हमें अलग तरह से आगे ले जाता है और धर्म हमें अलग तरह से ताकत देता है. इस जवाब को पैनल ने पसंद किया था.
नेहा अपनी तैयारी के बारे में कहती हैं कि पहले तो मैं थोड़ा नर्वस थी. इसके पीछे की वजह इंजीनियरिंग बैकग्राउंड थी. उन्होंने तैयारी की शुरुआत न्यूजपेपर पढ़ने से की. उन्हें न्यूजपेपर पढ़ना अच्छा लगने लगा तो दूसरे चरण में सिलेबस और तैयारी का तरीका समझा. उन्हें ये बात रोमांचित करने लगी कि अब उन्हें नये विषयों जैसे इतिहास, भूगोल, जीएस, पॉलिटिक्स वगैरह को भी समझने का मौका मिलेगा.
उन्हें इस बात ने भी अपील किया कि इस मंजिल को सिलेबस को समझकर, प्लानिंग, स्ट्रेटजी और कड़ी मेहनत से पा सकते हैं. उन्होंने सिलेबस को जानना शुरू किया, बहुत सारे टॉपर्स को सुना. कई टॉपर्स की जर्नी ने उन्हें प्रभावित किया.
वो बताती हैं कि फाइनेंशियल इंडिपिंडेंस बनाए रखना उनके लिए जरूरी था, इसलिए जॉब भी नहीं छोड़ सकती थी. इसलिए अपनी जॉब के साथ तैयारी शुरू की और आखिर में मंजिल पा ली.