दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद से डूसू चुनाव के नतीजे अटके हुए हैं. पिछले दिनों दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि पहले उम्मीदवार कैंपस साफ करें तभी काउंटिंग की इजाज़त देंगे. आपने इतना पैसा खर्च किया है, आप उस जगह को साफ करने, उसे दोबारा पैंट करने का खर्च भी उठा सकते हैं. हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेज और नॉर्थ और साउथ कैंपस में सफाई अभियान भी चलाया गया. छात्र नेताओं का कहना है कि इलेक्शन के टाइम से सफाई अभियान चलाया जा रहा है. अलग-अलग कॉलेजों के कैंपस में जाकर खुद सफाई कर रहे हैं. दिल्ली यूनिवर्सिटी पूरी तरह क्लीन हो चुकी है. लेकिन जब आजतक की टीम दिल्ली यूनिवर्सिटी के साउथ और नॉर्थ कैंपस पहुंची तो असलियत कुछ ही और ही नजर आई.
आज तक की टीम ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैंपस और साउथ कैंपस का जायजा लिया और एक ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की.
टीम सबसे पहले नॉर्थ दिल्ली के करोड़ीमल कॉलेज से होते हुए सेंटस्टीफेन कॉलेज के आसपास पहुंची, जहां सड़कों के बीचोंबीच डिवाइडर यूनिवर्सिटी चुनाव के कैंडिडेट्स के पोस्टर्स और पंपलेट से आज भी पटी हुई है.
आप जहां नजर डालेंगे वहां आपको कैंडिडेट्स के पोस्टर और बैनर ही नजर आएंगे. इन पोस्टर्स में दोनों छात्र संगठन चाहे NSUI हो या फिर ABVP के उम्मीदवारों के नाम के हैं.
इसके बाद आज तक की टीम दिल्ली यूनिवर्सिटी के साउथ कैंपस में भी इसी तरह की तस्वीरें देखने को मिली. अंडरपास से लेकर स्ट्रीट लाइट के पोल तक पर भी कैंडिडेट्स के पोस्टर लगे नजर आए.
बेशक कॉलेज की तरफ से यह दावा किया जा रहा है कि साफ-सफाई को लेकर अभियान चलाया गया, लेकिन ग्राउंड पर आज भी पूरी तरह से सफाई नहीं हो पाई है. यही वजह है जिसके कारण हाई कोर्ट नाराज है और डूसू चुनाव के नतीजे घोषित करने पर रोक लगाई है. इस मामले में अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी.
एबीवीपी ने दी वीसी को सौंपा मेमोरेंडम
साफ सफाई को लेकर टीम ने एबीवीपी के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक आशुतोष से भी बात की. उन्होंने कहा कि 27 सितंबर को चुनाव और चुनाव से एक दिन पहले ही सभी उम्मीदवारों के पोस्टर्स और पंपलेट सड़कों से हटा दिए गए थे. हालांकि चुनाव नतीजे में हो रही देरी को लेकर एबीवीपी द्वारा वीसी को एक मेमोरेंडम सौंपा गया है जिसमें मांग की गई है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी अपनी स्पेशल पावर का इस्तेमाल कर हाई कोर्ट के सामने अपनी बात रखे ताकि डूसू चुनाव रिजल्ट जल्द जारी हो सके.
एनएसयूआई का क्या है पक्ष?
एनएसयूआई हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. एनएसयूआई की तरफ से ऑफिशल स्टेटमेंट जारी करते हुए कहा है कि हाई कोर्ट का फैसले सही है. अब अदालत के दिशानिर्देशों का पालन करना विश्वविद्यालय पर निर्भर है. एनएसयूआई ने पोस्टर्स, बैनर्स और होर्डिंग वाली गंदगी के लिए एबीवीपी को जिम्मेदार ठहराया है.