कोरोना महामारी की दूसरी लहर का लोगों में जबर्दस्त खौफ है. यही नहीं इस लहर के शिकार लोगों की संख्या इतनी ज्यादा है कि जांच से लेकर इलाज तक हरेक चीज आम लोगों को आसानी से नहीं मिल पा रही. इस बीच कोरोना की जांच में सीटी स्कैन भी जोर शोर से इस्तेमाल हो रहा. आइए जानते हैं कि आखिर सीटी स्कैन होता क्या है और कोरोना जांच में इसका क्या मतलब है, क्यों डॉक्टर इसे नुकसानदेह भी बता रहे. एक्सपर्ट से जानें...
फिजिशियन डॉ अश्विनी मल्होत्रा ने aajtak से बातचीत में सीटी स्कैन के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि सीटी स्कैन Computerized Tomography Scan है. ये एक तरह का थ्री डायमेंशनल एक्सरे है. टोमोग्राफ़ी का मतलब किसी भी चीज़ को छोटे-छोटे सेक्शन में काटकर उसका अध्ययन करना. कोविड के केस में डॉक्टर जो सीटी स्कैन कराते हैं, वो है HRCT चेस्ट यानी सीने का हाई रिजोल्यूशन कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन. इस टेस्ट के जरिए फेफड़ों को 3डी इमेज के जरिये देखते हैं. इससे फेंफड़ों का इन्फेक्शन पता चल जाता है.
लेकिन डॉ अश्वनी मल्होत्रा फिजिशियन कहते हैं कि बिना डॉक्टर की सलाह पर सीटी स्कैन कराने न जाएं या बिना लक्षणों के भी इसे न कराएं. यही नहीं कोरोना संक्रमण के दूसरे तीसरे दिन भी इसे नहीं कराना है. जब तक डॉक्टर सलाह न दें, सीटी स्कैन नहीं कराना चाहिए. ये नुकसानदेह हो सकता है.
डॉ हर्ष महाजन, फाउंडर महाजन इमेजिंग कहते हैं कि सीटी स्कैन का हमारे देश में बहुत दुरुपयोग हो रहा है, इसका बहुत ज्यादा एक्सेस किया जा रहा है. लोगों को ये जरूर पता होना चाहिए कि अगर कोरोना के माइल्ड सिंप्टम्स हैं या एसिंप्टेमेटिक है तो सीटी स्कैन की कोई जरूरत नहीं है. वो कहते हैं कि मैं लगातार यह बात कहता रहा हूं कि दूसरों की बातों में आकर सीटी स्कैन कराने न पहुंच जाएं.
सोमवार को समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक बयान में एम्स डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने भी कहा था कि बार बार सीटी स्कैन कराना बड़े खतरे को बुलाना है. उन्होंने कहा कि सीटी स्कैन से कोरोना मरीजों को कैंसर होने का खतरा भी हो रहा है. डॉ. गुलेरिया ने कहा रेडिएशन के एक डेटा का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि लोग तीन-तीन दिन में सीटी स्कैन करा रहे हैं.
होम आइसोलेशन में जरूरी नहीं सीटी स्कैन
डॉ गुलेरिया ने भी कहा था कि माइल्ड सिंप्टम वाले जिन मरीजों को होम आइसोलेशन की सलाह दी गई है, उन्हें भी अपनी तरफ से सीटी स्कैन नहीं कराना चाहिए. आपको पता होना चाहिए कि एक सीटी स्कैन से करीब 300 चेस्ट एक्सरे के बराबर रेडिएशन हमारे शरीर में पहुंचता है जो बार बार कराने पर शरीर को नुकसान भी पहुंचाता है.
क्या है सीटी स्कोर और सीटी वैल्यू
डॉक्टर ऐसा मानते हैं कि सीटी वैल्यू सामान्य से जितनी कम होती है, संक्रमण उतना अधिक होता है और ये जितनी अधिक होती है, संक्रमण उतना ही कम होता है. ICMR ने अभी कोरोना का पता लगाने के लिए सीटी वैल्यू 35 निर्धारित की हुई है. इसका अर्थ ये है कि 35 और इससे कम सीटी वैल्यू पर कोविड पॉजिटिव माना जाएगा और 35 से ऊपर यदि सीटी वैल्यू है तो पेशेंट को कोविड नेगेटिव माना जाएगा.
वहीं सीटी स्कोर से ये पता चलता है कि इंफेक्शन ने फेफड़ों को कितना नुकसान किया है. इस नम्बर को CO-RADS कहा जाता है. यदि CO-RADS का आंकड़ा 1 है तो सब नॉर्मल है, वहीं ये 2 से 4 है तो हल्का फुल्का इन्फेक्शन है लेकिन यदि ये 5 या 6 है तो पेशेंट को कोविड पॉजिटिव माना जाता है.