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एजुकेशन न्यूज़

अनप्रोटेक्टेड सेक्स के बावजूद प्रेग्नेंसी नहीं हुई तो क्या ये इनफर्ट‍िलिटी है? एक्सपर्ट से जानें- कब करानी है जांच

प्रतीकात्मक फोटो (Getty)
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हर विवाहित जोड़ा एक बच्चे का सपना देखता है. लेकिन कई बार ऐसी समस्याएं आ जाती हैं कि कपल निराश होने लगते हैं. हमारे देश में अनफर्ट‍िलिटी को लेकर अभी भी लोगों में बहुत जागरूकता नहीं है. कोई शादी के बाद दो-तीन साल तक बच्चे का इंतजार करता रहता है, वहीं कई लोग बहुत जल्दी ही इनफर्ट‍िलिटी की जांच कराने को आतुर हो जाते हैं. जबकि डॉक्टर इनफर्ट‍िलिटी को लेकर कपल को सलाह देते हैं कि उन्हें किन हालातों और कब इनफर्टिल‍िटी की जांच करानी चाहिए. वो कौन सी जांचें है जिससे चिकित्सक पता लगाते हैं कि पत‍ि या पत्नी में से किसे समस्या है. आज मेडिकल साइंस में इसका इलाज भी मुहैया है. आइए ले‍डी हार्ड‍िंंग मेड‍िकल कॉलेज की प्रोफेसर डॉ मंजू पुरी से जानें इनफर्ट‍िलिटी से जुड़े तमाम सवालों के जवाब.    

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डॉ मंजू पुरी बताती हैं कि सबसे पहले तो किसी विवाहित जोड़े को इस बात की जानकारी होना जरूरी है कि उन्हें कब इनफर्ट‍िलिटी की जांच और इलाज कराना है. दुनिया भर में हुई तमाम स्टडी के बाद ये बात सामने आई है कि अगर कोई कपल एक साल तक अनप्रोटेक्टेड यानी बिना किसी गर्भ निरोधक के इस्तेमाल के सेक्स कर रहा है, फिर भी प्रेग्नेंसी नहीं हो रही है तो उन्हें इनवेस्टीगेशन करानी शुरू कर देनी चाहिए. 

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इसमें एक दूसरी शर्त जोड़ते हुए डॉ पुरी कहती हैं कि एक साल की अवधि ऐसे सामान्य जोड़े के लिए होती है जिनका आयुवर्ग 35 साल के भीतर का हो. अगर महिला 35 प्लस है, लेट शादी होती है तो उनको प्रेग्नेंसी न होने पर छह माह बाद ही टेस्ट कराना चाहिए. वहीं जिन महिलाओं में माहवारी की अन‍ियमितता या कभी टीबी हुआ हो या कोई गाइनी प्रॉब्लम हो तो उन्हें और जल्दी जांच करानी चाहिए. 

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कौन-कौन से टेस्ट होते हैं 
इनफर्ट‍िलिटी जांच के लिए डॉक्टर पुरुषों में सीमेन एनालिसिस कराते हैं, जो कि तीन से सात दिन सेक्सुअल एक्ट‍िविटी से परहेज पर कराते हैं. वहीं महिलाओं में अल्ट्रासाउंड और  प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन की जांच कराई जाती है. महिलाओं में फेलोपियन ट्यूब का टेस्ट भी कराते हैं जो पीरियड्स ड्राई होने के 3 से 4 दिन के बाद होता है. ये वो बेसिक टेस्ट हैं जिनसे शुरुआती तौर पर डॉक्टर इनफर्ट‍िलिटी की जांच कराते हैं. इन जांच में कोई दिक्कत आने पर डॉक्टर आगे की जांच और इलाज शुरू करते हैं. 

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क्या बांझपन सिर्फ महिलाओं की समस्या है ?
इसके जवाब में डॉ पुरी कहती हैं कि नहीं, बांझपन हमेशा महिला की समस्या नहीं होती है. पुरुष और महिला दोनों में से किसी को भी इनफर्ट‍िलिटी हो सकती है. अक्सर लोग बांझपन के लिए केवल एक महिला को कारक मानते हैं जो कि एक बड़ा मिथ है. बांझपन वाले लगभग 35% जोड़ों में, महिला के साथ पुरुष भी कारक होते हैं.  संयुक्त राज्य अमेरिका में 25 से 44 वर्ष की आयु के लगभग 9% पुरुषों ने बताया कि उन्होंने या उनके साथी ने अपने जीवनकाल में बांझपन के लिए सलाह, परीक्षण या उपचार के लिए डॉक्टर की सलाह ली. 

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पुरुषों में इनफर्ट‍िलिटी की क्या वजहें होती हैं 

पुरुषों में सीमेन एनालिस‍िस से बांझपन का पता लगाया जाता है. इसके पीछे शुक्राणुओं की संख्या (एकाग्रता), गतिशीलता (गति) और मार्फोलॉजी (आकार) का मूल्यांकन किया जाता है. पुरुषों में हार्मोनल डिसऑर्डर्स से लेकर जेनेट‍िक डिसऑर्डर भी इनफर्ट‍िलिटी के कारक बन सकते हैं. इसमें से   Varicoceles भी एक ऐसी स्थिति है जिसमें जब किसी आदमी के अंडकोष पर नसें बड़ी होती हैं और उन्हें ओवरहीट करती हैं, ये हीट शुक्राणुओं की संख्या या आकार को प्रभावित कर सकती हैं. इसके अलावा कई बुरी आदतें जैसे शराब का अध‍िक उपयोग, धूम्रपान, एनाबॉलिक स्टेरॉयड का उपयोग या अवैध नशीली दवाओं का इस्तेमाल भी इसकी वजह बनता है. 

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महिलाओं में इनफर्ट‍िलिटी की ये वजहें होती हैं 

किसी महिला को प्रेग्नेंसी के लिए उसकी ओवरीज, फेलोपियन ट्यूब और यूट्रस यानी गर्भाशय फंक्शनिंग होना जरूरी है. इनमें से किसी एक या दो अंग में समस्या होने पर इनफर्ट‍िलिटी की गुंजाइश बढ़ जाती है. कई टेस्ट के जरिये इसका पता लगाया जाता है. मसलन एक महिला का माहवारी चक्र औसतन 28 दिन का होता है. "फुल फ्लो" होने पर दिन पहले दिन के रूप में परिभाषित किया गया है. हर 24 से 32 दिनों में होने वाली नियमित अनुमानित अवधि ओव्यूलेशन को दर्शाती है. वहीं अनियमित पीरियड्स वाली महिला के ओवुलेशन नहीं होने की संभावना होती है. 

 

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महिलाओं में होते हैं ये जरूरी टेस्ट 

मासिक धर्म चक्र के 21 वें दिन महिला के ब्लड से प्रोजेस्ट्रोन लेवल की जांच से भी पुष्टि की जा सकती है. वैसे किसी महिला के ओवरियन फंक्शन को जानने के लिए कई टेस्ट होते हैं, लेकिन कोई भी परीक्षण प्रजनन क्षमता का सही मूल्यांकन नहीं करता. महिलाओं में एफएसएच हार्मोन टेस्ट, एंटी-मुलरियन हार्मोन वैल्यू (एएमएच) और ट्रांस वजाइनल अल्ट्रासाउंड का उपयोग करके एंट्रल फॉलिकल काउंट (एएफसी) शामिल हैं. 

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अगर कारणों की बात करें तो महिलाओं में इनफर्ट‍िलिटी का एक कारक बड़ी उम्र यानी 35 की उम्र के बाद बच्चे की प्लानिंग से भी प्रजनन संबंधी समस्या आती है. इसके अलावा महिलाओं में भी स्मोकिंग, शराब का अध‍िक सेवन या अत्यधिक वेट गेन या लॉस के अलावा फिजिकल या इमोशनल स्ट्रेस और पीरियड्स में अनियमितता भी इनफर्ट‍िलिटी का कारक होती है. 

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बांझपन का इलाज दवा, सर्जरी, अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (Intrauterine Insemination) या सहायक प्रजनन तकनीक से किया जा सकता है

डॉक्टर इन आधारों पर बांझपन के लिए इलाज की सलाह देते हैं:
बांझपन में योगदान करने वाले कारक
बांझपन की अवधि
महिला की उम्र
प्रत्येक उपचार विकल्प की सफलता दर, जोखिम और लाभों के बारे में परामर्श के बाद दम्पति की उपचार वरीयता

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